बसंत पंचमी (सरस्वती पूजा) पर निबंध Basant Panchami Essay in Hindi

इस लेख में हमने प्रस्तुत किया है (सरस्वती पूजा) बसंत पंचमी पर निबंध (Basant Panchami Essay in Hindi). साथ ही उत्सव, महत्व, पौराणिक कथा, पूजा विधि के विषय में भी पूरी जानकारी दी है।

इस निबंध को आप अपनी ज़रुरत 100, 300, 500 700 words में बना कर मदद ले सकते हैं। आप परीक्षा में सरस्वती पूजा पर निबंध आने पर भी यह इस लेख से मदद ले सकते हैं।

प्रस्तावना (सरस्वती पूजा / बसंत पंचमी पर निबंध Basant Panchami Essay in Hindi)

बसंत पंचमी के दिन को बहुत ही शुभ माना जाता है क्योंकि इस दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है और यह वसंत माह का आगमन होता है। चलिए शुरू करते हैं – वसंत पंचमी पर निबंध! (Vasant Panchami Essay).

बहुत लोग इस पर्व को वसंत पंचमी (Vasant Panchami) या बसंत पंचमी (Basant Panchami) बुलाते हैं। आपको बात दें की यह दोनों ही नाम सही हैं।

सरस्वती पूजा या बसंत पंचमी कब है? When is Basant Panchami (Saraswati Puja)

बसंत पंचमी सरस्वती पूजा का यह त्यौहार 29 जनवरी को मनाया जाएगा। भारत के कुछ क्षेत्रों में पंचांग के अनुसार इसकी तिथि अगले दिन 30 जनवरी को भी मनाया जायेगा। इस त्यौहार को भारत में सरस्वती पूजा के नाम से भी जाना जाता है। यह शुभ दिन प्रतिवर्ष नए साल के शुरुवाती समय में आता है।

बसंत पंचमी का त्यौहार Festival of Vasanta Panchami

बसंत पंचमी (Vasant Panchami) के दिन बसंत ऋतू का आगमन होता है। इस दिन ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा होती है। बसंत पंचमी का यह त्यौहार हिंदुओं द्वारा बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता हैं। बसंत पंचमी को ऋषि पंचमी या सरस्वती पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। 

‘बसंत पंचमी’ शब्द का अर्थ व उत्सव Meaning of Basant Panchami and Its Celebration

बसंत पंचमी का अर्थ दो शब्दों से जाना जा सकता है; बसंत से बसंत ऋतु और पंचमी से पांचवा दिन है। आसान शब्दों में कहें तो बसंत पंचमी यानी की बसंत ऋतु के पांचवे दिन को मनाया जाता है। माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है। 

इस दिन महिलाएं पीले वस्त्र पहनती हैं। बसंत ऋतु सबसे लोकप्रिय ऋतु है। इस ऋतु में प्रकृति का सौंदर्य हमारे मन को मोह लेता है। बसंत ऋतु का स्वागत करने के लिए इस दिन भगवान विष्णु और कामदेव की पूजा होती है। 

बसंत ऋतु में आप किसानों के खेतों में पीली सरसों का फूल घर आते हुए देख सकते हैं जिससे यह पता चलता है कि बसंत ऋतु का आगमन हो गया है। बसंत पंचमी को मां सरस्वती के जन्म दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। 

इस पर्व को भारत में स्कूलों, कॉलेजों, यूनिवर्सिटी, में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। सभी विद्यार्थी इस दिन पूजा सामग्री लेकर अपने विद्यालय जाते हैं। माँ सरस्वती की मूर्ति स्थापित करके विधि-विधान से पूजा की जाती है।

बसंत पंचमी का यह मौसम बहुत सुहाना होता है इस समय खेतों में फसलें लहराते हुए बहुत सुंदर लगते हैं। इस दिन वाद्य यंत्रों, किताबों ,संगीत से जुड़ी यंत्रों की पूजा की जाती है। बसंत पंचमी के दिन पतंग भी उड़ाया जाता है। 

बसंत ऋतु का महत्व Importance of Basant Panchami in Hind

इस दिन भूत्वा मुहूर्त रहता है अर्थात बिना पंचांग देखें कोई भी शुभ कार्य कर सकते हैं। ज्योतिष में पांचवी राशि के अधिष्ठाता भगवान सूर्यनारायण होते हैं, इस कारण यह बसंत पंचमी अंधकार से दूर करके हमें प्रकाश की ओर ले जाती है। इस कारण इस दिन सभी कार्य शुभ होते हैं। विद्यार्थी शिक्षक सभी इस दिन मां सरस्वती की पूजा अर्चना करते हैं। 

इस दिन गरीब छात्रों को पुस्तक प्रिय आदि विद्या से संबंधित चीजें दान करनी  चाहिए। इस दिन शक्तियों का पुनर्जागरण होता है। इस दिन विवाह अधिक होते हैं ,गृह प्रवेश, वाहन खरीदना, विद्या अध्ययन  करना, आदि अनेकों ऐसे शुभ कार्य किए जाते हैं। 

बसंत पंचमी त्योहार का पौराणिक कथा Story behind Basant panchami

ब्रह्मा जी ने जब सृष्टि की रचना की तब उन्हें लगा की कहीं कुछ कमी रह गई है इस कारण सब जगह सन्नाटा छाया रहता है तब ब्रह्मा जी ने कमंडल से जल छिड़का तब वहां से चार हाथ वाली एक स्त्री प्रकट हुई, उस देवी के एक हाथ में वीणा,और दूसरे हाथ में वर मुद्रा थी। बाकी दो हाथों में पुस्तक और मालाएं थी।

सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी ने जब उस देवी को वीणा बजाने को अनुरोध किया तब सृष्टि में जीव जंतु बाकी सब को वाणी प्राप्त हुई। इस घटना के बाद उस देवी को मां सरस्वती कहा गया। वाणी के साथ-साथ उस देवी ने विद्या और बुद्धि दीया इसलिए बसंत पंचमी के दिन घरों में भी सरस्वती की पूजा की जाती है।

अर्थात बसंत पंचमी का दूसरा नाम सरस्वती पूजा भी है। देवी सरस्वती को भागेश्वरी,देवी भगवती, शारदा, वीणा वादिनी, भाग देवी, और अनेकों नाम से जानते हैं। 

बसंत पंचमी पर सरस्वती पूजा की विधि Sarawati Puja Vidhi on Basant Panchami Day in Hindi

सरस्वती पूजा करते समय मां सरस्वती की तस्वीर को सामने रखना चाहिए। उसके बाद कलश स्थापना करके गणेश जी और नौ ग्रह की विधिवत पूजा करनी चाहिए। इसके बाद माता सरस्वती की पूजा करनी चाहिए।

माता सरस्वती की पूजा करते समय सबसे पहले उनकी मूर्ति को स्नान कराएं। उसके बाद फूल और मालाएँ चढ़ाएं। सरस्वती माता को सिंदूर एवं अन्य श्रृंगार की वस्तुएँ चढ़ाएं। 

बसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती के चरणों में गुलाल भी अर्पित किया जाता है। देवी सरस्वती श्वेत वस्त्र धारण करती हैं इस कारण उन्हें श्वेत वस्त्र पहनाए।

सरस्वती पूजा करते समय सरस्वती माता को पीले रंग का फूल चढ़ाएं। फल के रूप में मौसंबी फलों के अलावा बुंदिया अर्पित करनी चाहिए। इस दिन सरस्वती माता को मालपुए एवं खीर का भोग लगाया जाता है। 

बसंत पंचमी पर 10 लाइन Few Lines on Basant Panchami Festival in Hindi

  1. बसंत पंचमी भारत का एक प्रसिद्ध हिंदू त्यौहार है।
  2. यह ऋतु परिवर्तन का त्यौहार है इसलिए बसंत ऋतु के आगमन पर यह पर्व मनाया जाता है।
  3. इस त्योहार के दौरान पेड़-पौधे में नए पत्ते आते हैं।
  4. यह त्यौहार माघ महीने के पांचवे दिन में मनाया जाता है। जो जनवरी अथवा फरवरी में आता है।
  5. बसंत पंचमी का दिन मां सरस्वती का जन्म दिवस है इसीलिए इस दिन मां सरस्वती की पूजा-अर्चना की जाती है।
  6. इस दिन लोग पीले वस्त्र धारण करते हैं और मां सरस्वती को पीले रंग का फूल चढ़ाकर उनका नमन करते हैं।
  7. बसंत पंचमी का एक विशिष्ट अर्थ है ‘बसंत‘ अर्थात वसंत ऋतु, ‘पंचमी‘ अर्थात पांचवा दिन।
  8. सरस्वती पूजन, तथा ऋषि पंचमी के नाम से भी बसंत पंचमी को जाना जाता है।
  9. माँ सरस्वती, विद्या की देवी हैं, अतः इस दिन सभी विद्यालयों में मां सरस्वती की पूजा, धूम-धाम से की जाती है।
  10. बसंत पंचमी का यह पर्व भारत के सभी राज्यों में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है।

निष्कर्ष Conclusion

बसंत पंचमी का त्यौहार पुरे भारत में धूम-धाम से माया जाता है। आशा करते हैं आपको यह लघु और बेहतरीन बसंत पंचमी पर निबंध (Basant Panchami Essay in Hindi) पसंद आया होगा। आप पर माँ सरस्वती की कृपा बने रहे। धन्यवाद!

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