इस लेख में हमने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध (Bachao Beti Padhao Yojana Essay in Hindi) लिखा है। इसमे हमने प्रस्तावना, इसका महत्व, योजना की जानकारी, महत्व, अवश्यता, 10 लाइन और निष्कर्ष।
प्रस्तावना Introduction
क्या आप जानते हो कि इस दुनिया में महिलाओं और बालिकाओं का रहना कितना जरूरी है?
क्या बेटा और बेटी में भेदभाव करना यह सही है?
इस अनुच्छेद मे हमने बेटी-बचाओ बेटी-पढ़ाओ पर इसी प्रकार के सवालों का उत्तर दिया है। आईए शुरू करते हैं यह प्रेरणादायक निबंध।
“हर लड़ाई जीतकर दिखाऊंगी,मैं अग्नि में जल कर भी जी जाऊंगी।
मैं बोझ नहीं पर भविष्य हूं,मैं बेटा नहीं बेटी हूं।”
बेटी-बचाओ बेटी-पढ़ाओ योजना की शुरुवात Start of Beti Bachao Beti Padhao Scheme
पृथ्वी पर मानव जाति का अस्तित्व् आदमी औरत के समान भागीदारी के द्वारा असंभव है, साथ ही साथ किसी राष्ट्र के चहुमुखी विकास हेतु दोनों ही समान रूप से जिम्मेदार हैं। परंतु भारतीय संस्कृति में एक ओर नारी को देवी का स्थान दिया गया है तो वहीं दूसरी ओर आए दिन उनके ऊपर अत्याचार तथा दुष्कर्म का पहाड़ तोड़ दिया जाता है।
यहां तक की महिलाओं से सुनहरे प्रकृति के दर्शन तक का मौका छीन लिया जाता है। इन्हीं कुछ कारणों से भारत में कन्याओं के हित हेतु लाडली योजना, सबला योजना, धनलक्ष्मी योजना, आदि को प्रारंभ किया गया था।
परंतु स्थिति में कुछ विशेष परिवर्तन ना होने के कारण माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ ”नामक योजना का शुरुआत 22 जनवरी 2015 को हरियाणा के पानीपत से की। भारत में हो रहे लड़का लड़की के भेदभाव को कम करने के लिये यह एक महत्वपूर्ण कदम है।
इस धरती पर आदमी और औरत दोनों का समान दर्जा देना चाहिए। महिलाएं पुरुषों से अधिक महत्वपूर्ण होती हैं क्योंकि महिलाओं के बिना मानव जाति की निरंतरता के बारे में कल्पना भी नहीं की जा सकती। महिलाएं ही वह हैं जो शिशु को जन्म देती हैं और पृथ्वी पर जीवन चक्र चलता है।
महिलाओं पर होने वाला सबसे बड़ा अपराध कन्या भ्रूण हत्या है, जिसमें सोनोग्राफी के माध्यम से लिंग परीक्षण के बाद बेटियों को मां के गर्भ में ही मार दिया जाता है। इसके फलस्वरूप समाज में लड़कियों की संख्या कम होती जा रही है।
हमारे देश के लोगों ने हमारे देश में मिलकर पुरुष प्रधान नीति को अपना लिया है जिसके कारण देश की बेटियों की हालत गंभीर रूप से खराब हो गई है। उनके साथ लैंगिक भेदभाव किया जा रहा है और ना ही उन्हें उचित शिक्षा दी जा रही है जिसके कारण वह हर क्षेत्र में पिछड़ गई है।
आवाज को इस कदर दबा दिया गया जी उन्हें घर से बाहर निकलने की आजादी तक नहीं दी जाती है। इस गंभीर मुद्दे के कारण ही बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरुआत की गई। इसी दिशा में आगे कदम बढ़ाते हुए सरकार ने सुकन्या समृद्धि योजना की शुरुआत भी की है जिसके तहत लड़कियों के पढ़ाई और शादी के लिए सरकार पैसे मुहैया कराएगी। यह संभव है कि इस योजना से लड़की और लड़का का भेदभाव खत्म हो जाए और कन्या भ्रूण हत्या का अंत करने में यह बहुत मुख्य कड़ी साबित होगी।
“बेटी बचाओ जीवन सजाओ।
बेटी पढ़ाओ खुशियां बढ़ाओ।”
योजना का महत्व Importance of BBBP Yojana
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना को एक राष्ट्रीय अभियान के माध्यम से कार्यविनित् किया जा रहा है। देश में हरियाणा से कम 1000 लड़कों में से 775 लड़कियाँ है इसी कारण इसका शुभारंभ हरियाणा से हुआ। साथ ही साथ 100 सबसे कम लिंगानुपात वाले जिलों का चुनाव भी किया गया जहां पर विभिन्न क्षेत्रों में ध्यान केंद्रित कर कार्य किया जा रहा है।
यह योजना महिला व बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, तथा मानव संसाधन विकास मंत्रालय की संयुक्त पहल है। इसका उद्देश्य कन्या भ्रूण हत्या की रोकथाम, बालिकाओं की अस्तित्व को बचाना, उनकी शिक्षा सुरक्षा तथा भागीदारी सुनिश्चित करना है।
यह योजना ना केवल लड़कियों बल्कि पूरे समाज के लिए वरदान साबित हो सकती है इतना ही नहीं यह योजना महिलाओं पर हो रहे अत्याचार दुष्कर्म को रोकने में भी सहायक है। इसी वजह से भी इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।
“बेटियां को मत रखो निरक्षर बेटियां ही बनेगी बड़ी अफसर।
खुले आसमान की ऊंची उड़ान है बेटी, हर मां-बाप का गर्व और सम्मान है बेटी।”
योजना की आवश्यकता Need of Beti Bachao Beti Padhao scheme in India
भारत रूपी समुद्र शाली राष्ट्र में इस प्रकार की योजना की आवश्यकता क्यों पड़ी है एक संवेदनशील मुद्दा है। इस योजना की जरूरत 2001 के जनसंख्या के आंकड़ों के अनुसार हुई जिसके तहत हमारे देश में 0 से 6 साल के बीच लिंगानुपात 1000 लड़कों पर 921 का था।
इसके बाद 2011 में गिरावट देखी गई और अब आंकड़ा 1000 लड़कों पर 918 तक पहुंच गया इसी वजह से भारत में लड़कियों की जागरूकता जरूरी हो गई। कन्या भ्रूण हत्या पर अंकुश लगाने के लिए ऐसी योजना की आवश्यकता थी।
“बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ समाज को प्रगति के रास्ते ले जाओ।”
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर 10 लाइन 10 Lines on Start of Beti Bachao Beti Padhao
- पृथ्वी पर आदमी और औरत का होना बहुत ही जरूरी है दोनों से ही हमारे देश का विकास होता है।
- भारत में कन्याओं के हित हेतु अनेक प्रकार की योजनाएं बनाए गए पर यह योजना सफल होते हुए प्रतीत नहीं हुआ इसी कारण
- माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ नामक योजना की शुरुआत की।
- श्री नरेंद्र मोदी जी ने 22 जनवरी 2015 को हरियाणा के पानीपत से बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ नामा योजना की शुरुआत की।
- भारत में लड़का लड़की के भेदभाव को कम करने के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम है।
- महिलाएं अंतर का महत्वपूर्ण होती है क्योंकि महिलाओं के बिना मानव जाति के निरंतरता की कल्पना भी नहीं की जा सकती।
- बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना को एक राष्ट्रीय अभियान के माध्यम से कार्य विनीत क्या जाएगा।
- देश में हरियाणा से काम 1000 लड़कों में से 775 लड़कियाँ हैं इसी कारण इसका शुभारंभ हरियाणा से हुआ।
- यह योजना महिला व बाल विकास मंत्रालय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय तथा मानव संसाधन विकास मंत्रालय की संयुक्त पहल है।
- इसका उद्देश्य कन्या भ्रूण हत्या की रोकथाम बालिकाओं के अस्तित्व को बचाना उनकी शिक्षा सुरक्षा तथा भागीदारी सुनिश्चित करना है। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ सिर्फ एक योजना ही नहीं बल्कि देश के हर नागरिक की सामूहिक ज़िम्मेदारी भी है।
निष्कर्ष Conclusion
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ सिर्फ एक योजना ही नहीं बल्कि देश के हर नागरिक की सामूहिक ज़िम्मेदारी है। यदि एक समाज के रूप में हम इस समस्या के प्रति संवेदनशील और जागरूक नहीं होंगे तो हम अपनी ही नहीं आने वाली पीढ़ी के लिए भयंकर संकट को निमंत्रण देंगे।
इसीलिए यह आवश्यक है कि एक नागरिक के रूप में हम सचेत रहें तथा आसपास होने वाली गतिविधियों पर नजर रखें साथ ही साथ शिक्षित युवाओं लोगों को सर्च करें क्योंकि हमारा राष्ट्रीय या समाज अबोध बालिकाओं की हत्या का पाप और नहीं झेल सकता।
“बनो ज्ञानी बनो दानी, अब तो लोगों जाग जाओ।
मत करो भ्रूण हत्या, बेटी बचाने में लग जाओ।”
आशा करते हैं आपको बेटी-बचाओ बेटी-पढ़ाओ योजना पर या निबंध पसंद आया होगा।