इस आर्टिकल में आप डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जीवनी (Dr. Sarvepalli Radhakrishnan Biography in Hindi) हिन्दी में पढ़ सकते हैं। इसमें हमने उनके जन्म, विद्यार्थी, राजनीति, निजी जीवन, पुरस्कार और मृत्यु से जुड़ी सभी जानकारी दी है।
चलिए शुरू करते हैं – डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जीवनी Dr. Sarvepalli Radhakrishnan Biography in Hindi
परिचय Introduction
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी 1952 में भारत देश के प्रथम उप राष्ट्रपति और साल 1962 में दूसरे राष्ट्रपति बने। राष्ट्रपति के साथ ही वे देश के महान दार्शनिक के तौर पर भी पूरे विश्व में जाने जाते हैं। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को किताबों से बहुत ही लगाव था इन्होंने हिंदू धर्म का आधुनिक रूप का समर्थन करते हुए वेदांग और इसके आध्यात्मिक कुल धारणा को लेकर हिंदी शास्त्र पर एक ऐसी किताब लिखी थी जो बाद में बहुत प्रसिद्ध हुई और उसका प्रकाशन भी हुआ।
फिलॉस्फी ऑफ उपनिषद, ईस्ट एंड वेस्टरु सम रिफ्लेक्शन ईस्टार्न रिलीजन एंड वेस्टर्न थॉट बेहद उम्दा किताबे लिखा। 40 साल शिक्षा के क्षेत्र में गुज़ारने के बाद राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से प्रभावित होकर आजादी की लड़ाई से प्रेरणा लेकर राधाकृष्णन जी ने कई किताबें लिखी। डॉ राधाकृष्णन अपने गांव सर्वपल्ली से इतना प्यार करते थे कि उन्होंने अपना नाम के आगे में उसे जोड़ लिया।
डॉ राधाकृष्णन हेलीकॉप्टर से अमेरिकी राष्ट्रीय भवन वाइट हाउस पहुंचने वाले विश्व के पहले नेता बने। डॉ. राधाकृष्णन को साल 1954 में देश के सर्वोच्च सम्मान, भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। पूरे देश में सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी का जन्मदिन 5 सितंबर को टीचर्स डे यानी की शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है।
पढ़ें: आधुनिक भारत का इतिहास
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी का जन्म और प्रारंभिक जीवन Early Life and Birth
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को तमिलनाडु के तिरुट्टनी गांव, ब्रिटिश भारत, में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम सर्वपल्ली वीरास्वामी था और उनकी माता का नाम सीताम्मा था। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी की चार भाई और एक बहन थी। राधाकृष्णन जी बचपन से ही मेधावी छात्र थे।
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का विद्यार्थी जीवन Educational Life
डॉ. राधाकृष्णन जी को क्रिश्चियन मिशनरी संस्था लुथर्न मिशन स्कूल तिरुपति में1896-1900 के मध्य पढ़ने के लिए भेज दिया। फिर अगले 4 वर्ष 1904 से उनकी शिक्षा बेंगलुरु में हुई इसके बाद उन्होंने मद्रास से क्रिश्चियन कॉलेज से शिक्षा प्राप्त की। वह एक मेधावी छात्र थे।
इन 12 वर्षों के अध्ययन काल में राधाकृष्णन ने बाइबिल के महत्वपूर्ण अंश भी याद कर लिए इसके लिए उन्हें विशिष्ट योग्यता का सम्मान प्रदान किया गया। इस उम्र में उन्होंने वीर सावरकर और स्वामी विवेकानंद का भी अध्ययन किया।
उन्होंने 1902 में मैट्रिक स्तर की परीक्षा भी उत्तीर्ण की। और उन्हें छात्रवृत्ति भी प्राप्त हुई। इसके बाद उन्होंने 1904 में कलाशंकाये परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। उन्हें मनोविज्ञान, इतिहास और गणित विषय में विशेषज्ञता की टिप्पणी कुछ प्राप्त अंकों के कारण मिली।
इसके अलावा क्रिश्चियन कॉलेज मद्रास में उन्हें छात्रवृत्ति विधि दर्शन शास्त्र में M.A. करने के पश्चात 1916 में वे मद्रास प्रेसिडेंसी कॉलेज में सहायक प्राध्यापक नियुक्त हुए। राधाकृष्णन ने अपने लेखक और भाषण के माध्यम से विश्व को भारतीय दर्शन माध्यम से परिचित कराया।
पढ़ें: मेरे सपनों का भारत निबंध
डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी का वैवाहिक जीवन Marital Life
1903 में 16 वर्ष की आयु में उनका विवाह एक दूर के रिश्तेदार सिवकामो के साथ संपन्न हो गया उस समय उनकी पत्नी की आयु 10 वर्ष की थी। इसे कारण 3 वर्ष बाद ही उनकी पत्नी ने उनके साथ रहना शुरू किया हालांकि उनकी पत्नी सिवकामो ने परंपरागत से शिक्षा प्राप्त नहीं की थी।
लेकिन उनका तेलुगु भाषा पर अच्छा ज्ञान था। वह अंग्रेजी भाषा में लिख पढ़ सकती थी 1908 में राधाकृष्णन दंपत्ति को संतान के रूप में पुत्री की प्राप्ति हुई।
डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी का राजनीतिक जीवन Political Life
जब भारत को स्वतंत्रता मिली उस समय जवाहरलाल नेहरू ने राधाकृष्णन से यह आग्रह किया कि वह विशिष्ट राजदूत के रूप में सोवियत संघ के साथ राजनयिक कार्यों की पूर्ति करें। नेहरू जी की स्वीकारते हुए डॉ राधाकृष्णन ने 1947से 1949 तक संविधान निर्मात्री सभा के सदस्य के रूप में कार्य क्या। संसद के सभी लोग उनके कार्य और व्यवहार की बहुत प्रशंसा करते थे।
अपने सफल अकादमिक कैरियर के बाद उन्होंने राजनीतिक में अपना कदम रखा। 13 मई 1952 से 13 मई 1962 तक वे देश के उपराष्ट्रपति रहे। 13 मई 1962 को ही वे भारत के राष्ट्रपति निर्वाचित हुए। राजेंद्र प्रसाद की तुलना से इनका कार्यकाल काफी चुनौतियों से भरा हुआ था, क्योंकि जहां एक और भारत के चीन और पाकिस्तान के साथ युद्ध हुए, जिसमें चीन के सामने भारत को हार का सामना करना पड़ा।।
डॉ राधाकृष्णन को मिले सम्मान और अवार्ड Awards and Honors
शिक्षा और राजनीति में उत्कृष्ट योगदान देने के लिए डॉ राधाकृष्णन को सन 1954 में सर्वोच्च अलंकरण भारत रत्न से सम्मानित किया गया 1962 में राधाकृष्णन जी के सम्मान में उनके जन्म दिवस 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गई।
सन 1962 में डॉ राधाकृष्णन को ब्रिटिश एकेडमी का सदस्य बनाया गया। पोप जॉन पाल ने इनको गोल्डन स्पर भेंट किया। इंग्लैंड सरकार द्वारा इनको ऑर्डर ऑफ मेरिट का सम्मान प्राप्त हुआ। 1975 में आपको अमेरिकी सरकार द्वारा टेम्पलटन पुरस्कार द्वारा सम्मानित किया गया।
मृत्यु Death
17 अप्रैल 1975 को एक लंबी बीमारी के बाद डॉ. राधाकृष्णन का निधन हो गया।
शिक्षक दिवस का उत्सव Celebration of Teachers Day
शिक्षा के क्षेत्र में उनका योगदान विशेषकर याद किया जाता है इसीलिए 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है तथा आपको को सम्मान व्यक्त किया जाता है। वह सभी छात्र-छात्राओं के प्रिय थे। आपका मनना था कि शिक्षक हमारे समाज के निर्माता है। इस दिन छात्र छात्राओं शिक्षकों के सम्मान में अनेक कार्यक्रमों का आयोजन करते है।
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की अनमोल विचार S. Radhakrishnan Quotes in Hindi
- पुस्तके वे सावधान है जिसके माध्यम से हम विभिन्न संस्कृतियों के बीच उसका निर्माण कर सकते हैं।
- धर्म के बिना इंसान बिना लगाम के घोड़े की तरह होता है।
- ज्ञान हमें शक्ति देता है और प्रेम परिपूर्णता देती है।
- किताबें पढ़ना हमें एकांत में आदत और सच्ची खुशी देता है।
- राष्ट्र व्यक्तियों की तरह है, उनका निर्माण केवल इससे नहीं होता कि उन्होंने क्या हासिल किया बल्कि इससे होता है कि उसने त्याग क्या किया।
- आध्यात्मिक जीवन भारत की प्रतिभा है।
- धर्म डर पर जीत है और निराशा और मौत का विनाश है।
- मानव की प्रकृति स्वाभाविक रूप से अच्छी है और ज्ञान के फैसले से सभी बुराइयों का अंत हो जाए।
- हमारे सारे विश्व संगठन गलत साबित हो जाएंगे यदि को इस सत्य से प्रेरित नहीं होंगी की प्यार ईर्ष्या से ज्यादा मजबूत है।
- जीवन को एक बुराई के रूप में देखना और दुनिया को एक भ्रम मानना तुच्छ सोच है।
आशा करते हैं आपको डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जीवनी Dr. Sarvepalli Radhakrishnan Biography in Hindi अच्छी लगी होगी।