आज हमने इस लेख में गुरु नानक जयंती पर निबंध (Essay on Guru Nanak Jayanti in Hindi) हैं। जिसमें गुरु नानक जयंती क्या है तथा इसे क्यों मनाया जाता है? कब मनाया जाता है, कैसे मनाया जाता है, महत्व, साथ ही लेख के अंत में गुरु नानक जयंती पर दी गई दस पंक्तियां इस निबंध को बेहद आकर्षक बनाते हैं।
प्रस्तावना (गुरु नानक जयंती पर निबंध Essay on Guru Nanak Jayanti in Hindi)
गुरु नानक को सिख समुदाय के प्रथम गुरु के रूप में पूजा जाता है। सिख संप्रदाय सनातन धर्म से निकली हुई एक क्षत्रिय शाखा है।
सिख समुदाय के आराध्य गुरु नानक देव का जीवन सच्चाई और महान कामों के प्रति समर्पित था। जिन्हें पूरा समाज तथा समाज श्रद्धा की नजरों से देखता है।
गुरु नानक देव जी ने सनातन संस्कृति के गूढ़ रहस्य तथा पूजा पद्धतियों को बेहद सरल रूप में लोगों को सिखाया। जिसके माध्यम से लोगों ने उस परमपिता परमात्मा का सच्चा स्वरूप जाना।
सिखों के धर्मगुरु नानक देव जी ने अपने जीवन के उद्देश्य को खोजने के लिए अपना घर-बार तथा संसार सब कुछ छोड़ दिया था। उन्होंने विशेष तब कर ईश्वर के सच्चे स्वरूप को जाना और सनातन ज्ञान को संसार में फैलाने के लिए निकल गए।
गुरु नानक देव की जयंती के रूप में हर वर्ष उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं तथा उनके जीवन को आदर्श मानकर समाज को समर्पित करने का प्रण लेते हैं।
गुरु नानक जयंती क्यों मनाया जाता है? Why is Guru Nanak Jayanti Celebrated in Hindi?
सिख समुदाय के लोग गुरु नानक देव के जन्म के उपलक्ष को एक पर्व के रूप में मनाते हैं। जिसे गुरु पर्व, प्रकाश पर्व या गुरु नानक जयंती के रूप में जाना जाता है।
गुरु नानक देव एक दिव्य आत्मा थे। जिनका मन सांसारिक कामों में बिल्कुल भी नहीं लगता था वह अपना ज्यादातर समय भगवान की भक्ति और सत्संग में लगाया करते थे। उनके इन कामों से उनका परिवार ज्यादा खुश नहीं था।
प्रभु नानक को सिख संप्रदाय का संस्थापक भी माना जाता है। एक महापुरुष और महान धर्म प्रवर्तक थे जिन्होंने संसार में उपजी अज्ञानता को देखा तथा समझा व उसे दूर करने के लिए जनसमूह को ज्ञानार्जन के लिए प्रेरित भी किया।
उनके इन्हीं कर्मों के कारण लोग उन्हें ईश्वर का दर्जा देने लगे और हर वर्ष उनके जन्मदिन को एक बड़े त्यौहार यानी गुरु नानक जयंती के रूप में मनाने लगे। यह परंपरा सदियों से चलती आई है।
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गुरु नानक जयंती कब है? When is Guru Nanak Jayanti in Hindi?
अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 19 नवंबर सन 2021 दिन शुक्रवार को गुरुपूरब या गुरु नानक जयंती है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर साल कार्तिक महीने की पूर्णिमा तिथि को यह जयंती बेहद धूमधाम से मनाई जाती है।
गुरु नानक जी के विषय में जानकारी Information about Guru Nanak Jayanti in Hindi
सिखों के प्रथम गुरु और सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव का जन्म सन् 1469 में कार्तिक पूर्णिमा का दिन अखंड भारत के हिस्से तलवंडी, (वर्तमान पंजाब,पाकिस्तान) में हुआ था। जिसे अब ननकाना साहिब के नाम से जाना जाता है।
सनातन संस्कृति में हर किसी को उसके अनुसार पूजा पद्धति चुनने की छूट है। जिसमें साकार उपासना तथा निराकार उपासना दोनों शामिल है। आकार उपासना के रूप में मूर्ति पूजा के माध्यम से परमपिता परमात्मा के ध्यान की परंपरा है।
निराकार साधना के रूप में उस परमपिता परमात्मा के वजूद को पूजा जाता है। गुरु नानक देव जी आकार उपासना को ना मानकर निराकार उपासना में विश्वास करते थे तथा ध्यान, प्रार्थना तथा सेवा के माध्यम से ईश्वर की प्राप्ति का संदेश देते थे।
गुरु नानक जी के पिता का नाम बाबा कालु चंद वेदी और माता का नाम त्रिपति था। उनके पिता गांव के राजस्व प्रशासन के अधिकारी थे और माता बेहद धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थी। इसलिए कहा जा सकता है कि नानक जी का जन्म एक संपन्न परिवार में हुआ था।
बहुत छोटी सी उम्र में नानक जी ने कई भाषाओं को सीख लिया था। इस्लामिक लुटेरों के समय में उन्होंने सूफी संतों से अरबी तथा फारसी का ज्ञान ले लिया था।
लेकिन बाद में परमपिता परमात्मा की खोज के लिए उन्होंने अपने पिता का व्यवसाय तथा घर बार सब कुछ छोड़ दिया तथा ज्ञान के मार्ग पर चल दिए। ज्ञानार्जन के बाद उन्होंने सिख संप्रदाय की स्थापना की।
16 साल की उम्र में उनका विवाह हो गया और जैसे ही उनके पुत्रों का जन्म हुआ तो उन्होंने तीर्थ यात्रा करने की शुरुआत की तथा जगह-जगह जाकर सीख ज्ञान का प्रचार किया।
22 सितंबर सन 1539 को अखंड भारत के करतारपुर ( वर्तमान पाकिस्तान) में गुरु नानक देव ने शरीर छोड़ा। इसके बाद उनके अनुयायियों ने सिख संप्रदाय का विकास किया।
गुरु नानक जयंती का महत्व Importance of Guru Nanak Jayanti in Hindi
किसी भी धर्म संप्रदाय के लिए उनके महापुरुषों की जयंती का महत्व बहुत ही अधिक होता है। गुरु नानक जयंती का महत्व हर मायने में बहुत ही अधिक है।
क्योंकि गुरु नानक देव ने सिख संप्रदाय की स्थापना की थी और कोई भी संप्रदाय का व्यक्ति अपने स्थापक को बहुत ही आदर की नजरों से देखता है।
नानक जी को बाबा नानक और नानक शाह जैसे नामों से पुकारा जाता था इन्होंने नैतिकता, कड़ी मेहनत और सच्चाई को धर्म की नींव बताया। साथ ही प्रार्थना कथा कीर्तन को उच्च पूजा पद्धति का नाम दिया।
साल 1485 में भगवान नानक ने दौलत खान लोधी के राशन की दुकान में अधिकारी के रूप में नियुक्ति ली। लेकिन उसके कुछ ही समय बाद उन्होंने अपने पिता या पैतृक दुकान को संभालना शुरू कर दिया।
शुरुआत में बेहद मुनाफा मिलने के बाद व्यवसाय में उधार की मात्रा बहुत ही ज्यादा हो गई और एक समय पर उन्हें बहुत ही ज्यादा घाटा उठाना पड़ा। लेकिन उन्होंने किसी से बैर रखने के बजाय अपने बही खाते को पानी में बहा दिया।
इसी कारण गुरु नानक जयंती का महत्व हर धर्म के लोगों के लिए बेहद ही अधिक है। गुरु नानक जी के जीवन से त्याग तथा करुणा का संदेश मिलता है। नानक जी आजीवन गरीबों और पिछड़ों की सेवा करते रहे और उन्हें ज्ञान के माध्यम से ऊंचा उठाते रहे।
इन्होंने अपने तर्क और ज्ञान के माध्यम से समाज में पनप रही बुराइयों को खुली चुनौती दी थी। इनके तेज के माध्यम से समाज में व्याप्त बुराइयां समाप्त होने लगी इसी कारण इन्हें देव स्वरूप का दर्जा दिया जाने लगा।
गुरु नानक जयंती का महत्व इसलिए भी बेहद अधिक है कि गुरु नानक जी शांति, सौहार्द और भाईचारे में विश्वास रखते थे और अपने पास आए हुए हर व्यक्ति को भोजन कराते थे। उनका मानना था कि हर कोई ईश्वर का ही रूप है।
सनातन संस्कृति में गुरु की महिमा हर ग्रंथों में गाई गई हैं ऐसा माना जाता है कि बिना गुरु के ज्ञान तथा उत्थान नामुमकिन है। सिख समुदाय के लोग गुरु नानक जी को अपने गुरु के रूप में पूजते हैं। जिससे उनका अहंकार और अज्ञानता का नाश होता है।
सामाजिक दृष्टि से गुरु नानक जयंती का महत्व किसी से कम नहीं है क्योंकि गुरु नानक जयंती के दिन सिख समुदाय एकत्रित होकर एकमत से अपने आराध्य की उपासना करते हैं। जिससे उनके भाईचारे तथा सौहार्द में वृद्धि होती है।
गुरु नानक जयंती कैसे मनाया जाता है? How is Guru Nanak Jayanti Celebrated in Hindi?
पूरे विश्व में जहां कहीं भी सिख समुदाय के लोग बसते हैं वहां पर गुरु नानक जयंती बेहद धूमधाम से मनाया जाता है। गुरु नानक जयंती के कई दिन पहले से ही घरों, दुकानों और गुरुद्वारों में साफ सफाई की जाती है।
जयंती के 2 दिन पहले से ही गुरु ग्रंथ साहिब का 48 घंटों तक अखंड पाठ किया जाता है। जयंती से एक दिन पहले गुरु नानक तथा पंच प्यारों की झांकी निकाली जाती है। जिसे निशांत साहिब और गुरु ग्रंथ साहिब की पालकी (पालकी) के रूप में जाना जाता है।
गुरुपूरब के दिन की शुरुआत सुबह बहुत ही जल्दी हो जाती है। सबसे पहले गुरु स्तुति कथा कीर्तन होते हैं। बाद में गुरु नाम तथा प्रार्थनाएं चलती हैं। इसी बीच प्रसाद तथा गुरु आवाहन का कार्यक्रम चलता है। गुरुद्वारों में रात की प्रार्थना के सत्रों के बाद कीर्तन तथा लंगर का आयोजन होता है।
इस दिन भारत के बड़े-बड़े नेता अभिनेता गुरु नानक देव जी के दर्शन करने जाते हैं तथा सिख समुदाय के लोगों को अभिवादन पेश करते हैं।
स्कूलों कॉलेजों में इस दिन विशेष रूप से सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की जाती है। बहुत से स्थान पर गुरु नानक सिख समुदाय से जुड़े घटनाओं का नाट्य रूपांतरण भी होता है।
भारत के अलावा कनाडा में रहने वाले सिख वहां पर विशेष कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं जिसे देखने के लिए पूरी दुनिया से प्रवासी गण कनाडा जाते हैं।
गुरुपूरब के दिन हर कोई भाव विभोर रहता है तथा अपने गुरु के स्मरण में जप, सेवा तथा कीर्तन के माध्यम से उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करते रहता है।
गुरु नानक जयंती पर 10 लाइन 10 Lines on Guru Nanak Jayanti in Hindi
- गुरु नानक को सिख समुदाय के प्रथम गुरु के रूप में पूजा जाता है। सिख संप्रदाय सनातन धर्म से निकली हुई एक क्षत्रिय शाखा है।
- सिखों के धर्मगुरु नानक देव जी ने अपने जीवन के उद्देश्य को खोजने के लिए अपना घर-बार तथा संसार सब कुछ छोड़ दिया था।
- हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर साल कार्तिक महीने की पूर्णिमा तिथि को यह जयंती बेहद धूमधाम से मनाई जाती है।
- गुरु नानक देव का जन्म सन 1469 में कार्तिक पूर्णिमा का दिन अखंड भारत के हिस्से तलवंडी, (वर्तमान पंजाब,पाकिस्तान) में हुआ था।
- नानक देव जी आकार उपासना को ना मानकर निराकार उपासना में विश्वास करते थे तथा ध्यान, प्रार्थना तथा सेवा के माध्यम से ईश्वर की प्राप्ति का संदेश देते थे।
- गुरु नानक जी के पिता का नाम बाबा कालु चंद्र वेदी और माता का नाम त्रिपति था।
- बहुत छोटी सी उम्र में नानक जी ने कई भाषाओं को सीख लिया था
- 16 साल की उम्र में उनका विवाह हो गया और जैसे ही उनके पुत्रों का जन्म हुआ तो उन्होंने तीर्थ यात्रा करने की शुरुआत की
- साल 1485 में भगवान नानक ने दौलत खान लोधी के राशन की दुकान में अधिकारी के रूप में नियुक्ति ली।
- 22 सितंबर सन 1539 को अखंड भारत के करतारपुर ( वर्तमान पाकिस्तान) में गुरु नानक देव ने शरीर छोड़ा।
निष्कर्ष Conclusion
इस लेख में आपने गुरु नानक जयंती पर निबंध हिंदी में पढ़ा। आशा है इसलिए इसके बाद आपकी सारी तलाश पूर्ण हुई हो। अगर यह लेख आपको सरल तथा जानकारी से भरपूर लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें।