इस लेख में हमने लाल बहादुर शास्त्री पर निबंध (Essay on Lal Bahadur Shastri in Hindi) लिखा है जिसमें लाल बहादुर शास्त्री का प्रारंभिक जीवन तथा शिक्षा व राजनीतिक कैरियर को शामिल किया गया है। लेख में लाल बहादुर शास्त्री पर 10 लाइनें इसलिए हो और भी आकर्षक बनाती हैं।
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प्रस्तावना (लाल बहादुर शास्त्री पर निबंध Essay on Lal Bahadur Shastri in Hindi)
भारत को स्वतंत्रता दिलाने में ऐसे कई लोगों का योगदान है जिन्होंने बिना किसी स्वार्थ के अपने मातृभूमि के हित में कार्य किया।
ऐसे ही प्रतिभाशाली व्यक्तित्व के धनी लाल बहादुर शास्त्री जी ने अपनी अंतिम सांस तक देश हित में कार्य किया। शास्त्री जी ऐसे महान व्यक्ति थे जिन्होंने राजनीति में रहकर देश के लिए प्रशंसनीय योगदान दिया।
शास्त्री जी का जीवन बहुत ही संघर्ष से भरा रहा। अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद शास्त्री जी गांधीवादी विचारधारा से अत्यंत प्रभावित हुए। गांधी जी के संपर्क में आकर उन्होंने कई सारे आंदोलनों में अपना मूल्यवान योगदान दिया।
1964 में भारत के दूसरे प्रधानमंत्री बनने के बाद शास्त्री जी का मुख्य उद्देश्य पूरे देश में से गरीबी की समस्या का निवारण करना था। लाल बहादुर शास्त्री ने देश की सेना और किसान के लिए प्रसिद्ध नारा दिया- ‘ जय जवान, जय किसान’
प्रारंभिक जीवन Early life of Lal Bahadur Shastri in Hindi
लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था उनके पिता का नाम मुंशी शारदा प्रसाद और माता का नाम राम दुलारी देवी था।
शास्त्री जी के पिता एक शिक्षक थे जिससे उन्हें मुंशी जी कहकर पुकारा जाता था। कुछ समय बाद उनकी नौकरी राजस्व विभाग में क्लर्क के स्थान पर हुई।
जब शास्त्री जी केवल डेढ़ साल के थे तो दुर्भाग्यवश उनके पिता का देहांत हो गया था। पिता के निधन के बाद घर में अत्यंत संकट की घड़ी आ गई।
कठिनाई भरे हालात में शास्त्री जी की माता अपने बच्चों को लेकर मिर्जापुर में अपने पिता हजारीलाल के घर रहने के लिए चली गई।
कुछ समय बीतने के बाद उनके नाना जी का भी देहांत हो गया। पिता के अभाव में उनके मौसा रघुनाथ प्रसाद ने मुसीबत की घड़ी में उनके माता का बहुत साथ दिया।
अपने मौसा के आर्थिक मदद मिलने के बाद शास्त्री जी अपने ननिहाल में ही रहते हुए शिक्षा प्रारंभ की।
शिक्षा Education of Lal Bahadur Shastri in Hindi
शास्त्री जी ने प्राथमिक शिक्षा के बाद हरीशचंद्र हाई स्कूल में दाखिला लिया। हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद उनका दाखिला उत्तर प्रदेश के प्रख्यात काशी विद्यापीठ में हुआ जिसे आज महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के नाम से भी जाना जाता है।
विश्वविद्यालय में शिक्षा पूरी करने पर लाल बहादुर जी को शास्त्री की उपाधि प्राप्त हुई। यह उपाधि मिलने के बाद उन्होंने जातिसूचक शब्द ‘श्रीवास्तव’ को सदा के लिए हटाकर उसके स्थान पर अपने नाम के आगे ‘शास्त्री’ लगा लिया।
शिक्षा के दौरान ही इनमें अपने मातृभूमि के लिए कुछ करने की भावना जागृत हुई। भारतीयों पर होने वाले अत्याचार को देखकर शास्त्री जी को अत्यंत दुख होता था इसके बाद उन्होंने राजनीति में आने का निर्णय लिया।
राजनीतिक करियर Political Career of Lal Bahadur Shastri in Hindi
स्नातक की शिक्षा के बाद लाल बहादुर शास्त्री भारत सेवक संघ से जुड़ गए और प्रत्यक्ष रूप से देश की स्वतंत्रता में अपना योगदान देना आरंभ कर दिया।
शास्त्री जी गांधीजी के विचार धारा से अत्यंत प्रभावित थे और उन्हें अपना आदर्श मानकर गांधीवादी विचारधारा को अपने जीवन में लागू करते थे। लाल बहादुर ने इतने उच्च शिक्षा तथा धनी होने के बावजूद अपना पूरा जीवन अत्यंत सादगी में व्यतीत किया।
गांधी जी के नेतृत्व में अंग्रेजी हुकूमत के विरुद्ध देश में चलाए जाने वाले लगभग हर आंदोलन में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती थी।
हालांकि शास्त्री जी को आंदोलन भड़काने के जुर्म में कई बार अंग्रेजी हुकूमत द्वारा गिरफ्तार किया गया था। लेकिन इन्होंने कभी भी हार नहीं मानी और हमेशा स्वतंत्रता के लिए लड़ते रहे।
1921 के असहयोग आंदोलन में शास्त्री जी ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था और लोगों को भी पश्चिमी सभ्यता द्वारा बनाई गई वस्तुओं के बहिष्कार के लिए प्रेरित किया था।
अंग्रेजी सरकार द्वारा नमक पर लगाए गए अन्यायपूर्ण नियमों को खत्म करने के लिए 1930 में लाल बहादुर शास्त्री, जवाहरलाल नेहरू, महात्मा गांधी, सरदार वल्लभभाई पटेल तथा अन्य कई क्रांतिकारियों ने अपना अमूल्य योगदान दिया।
1942 में अंग्रेजों के विरुद्ध चलाए गए भारत छोड़ो आंदोलन में लाल बहादुर शास्त्री जी की भूमिका उल्लेखनीय रही है।
द्वितीय विश्वयुद्ध में इंग्लैंड को कमजोर पड़ता देख सुभाष चंद्र बोस ने आजाद हिंद फौज की स्थापना की थी। ऐसे माहौल में मौके को देखकर गांधीजी ने 1942 की रात को मुंबई से भारतीय को ‘करो या मरो’ का नारा दिया।
गांधी जी का यह नारा कदाचित लोगों में छोटी सी नकारात्मक भावना भी उत्पन्न कर रहा था। 9 अगस्त 1942 के दिन शास्त्री जी ने इलाहाबाद पहुंचकर गांधी जी के अनुपस्थिति में इस नारे को पूरी तरह दूसरी दिशा देकर नया नारा दिया- ‘मरो नहीं मारो’
पूरे देश में अंग्रेजी सरकार के विरुद्ध लोगों को एकजुट करने और देश में स्वतंत्रता की प्रचंड ज्वालामुखी फैलाने के कारण अंग्रेज इनसे इतने भयभीत हो गए थे की कई दिन तक ने जेल से बाहर ही नहीं आने दिया था।
भारत जब गुलामी की जंजीर से स्वतंत्र हुआ तो केवल भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में लाल बहादुर शास्त्री जी ने बहुत ख्याति प्राप्त की थी।
लाल बहादुर शास्त्री के कार्य Work of Lal Bahadur Shastri in Hindi
शास्त्री जी के महत्वपूर्ण योगदान के कारण उन्हें इलाहाबाद इकाई के सचिव के रूप में चुन लिया गया था जिसके बाद वे पूरे देश में प्रसिद्ध हो गए थे।
इलाहाबाद में रहते हुए जवाहरलाल नेहरू से शास्त्री जी की बहुत अच्छी मित्रता हो गई थी। जिसके बाद शास्त्री जी एक के बाद एक सफलता की सीढ़ियां चढ़ते गए। कुछ समय बाद शास्त्री जी को नेहरु के मंत्रिमंडल में गृह मंत्री के प्रमुख पद पर आसीन किया गया।
लाल बहादुर शास्त्री के प्रशंसनीय योगदान को देखते हुए उन्हें 1964 में स्वतंत्र भारत का दूसरा प्रधानमंत्री बना दिया गया।
शास्त्री जी के प्रधानमंत्री का कार्यकाल बेहद कठिन रहा। आजादी के बाद से ही भारत पर दुश्मन देशों की बुरी नजर पड़ने लगी थी ।
भारत-पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध में शास्त्री जी ने लोगों का मनोबल टूटने नहीं दिया और राष्ट्र के लिए उत्तम नेतृत्व प्रदान किया।
लाल बहादुर शास्त्री ने देश की सेना तथा किसान को सर्वोपरि रखा और प्रसिद्ध नारा दिया-’ जय जवान- जय किसान’
भारत और पाकिस्तान के बीच हो रहे आकस्मिक युद्ध को देखकर अमेरिका ने लाहौर में निवास करने वाले अमेरिकी नागरिकों को वहां से निकालने के लिए कुछ समय के लिए युद्ध रोकने की मांग की थी।
दोनों देशों के तनावपूर्ण माहौल को देखकर शास्त्री जी ने देश में शांति लाने के लिए हर महत्वपूर्ण प्रयास कर लिया था लेकिन इसका कुछ खास असर नहीं हुआ।
निजी जीवन Personal Life of Lal Bahadur Shastri in Hindi
लाल बहादुर शास्त्री का विवाह 1927 में ललिता देवी के साथ हुआ, जो मिर्जापुर में निवास करती थी। शास्त्री जी दहेज प्रथा के बिल्कुल खिलाफ थे इसीलिए उन्होंने अपने विवाह में दहेज लेने से इनकार कर दिया था।
शास्त्री जी पूरे भारतवर्ष के समक्ष सादगी की मिसाल थे जिन्होंने भारत के प्रधानमंत्री के पद पर होने के बावजूद भी देश सेवा को खुद से भी ऊपर रखा।
मृत्यु Death of Lal Bahadur Shastri in Hindi
1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच के मतभेद को सुलझाने के लिए सोवियत संघ आगे आया। सोवियत संघ ने ताशकंद में एक समझौता बुलाया था जिसके तहत दोनों देश आपस में मिलकर शांतिपूर्वक सारे मसले का समाधान करते थे।
1965 में पाकिस्तान द्वारा भारत पर आक्रमण कर कब्जा किए गए जमीन और जवाबी कार्यवाही में भारत के पाकिस्तान पर आक्रमण कर कब्जा किए गए हिस्से को लौटाने के लिए अंतरराष्ट्रीय दबाव डाला जा रहा था।
रूस और अमेरिका के दबाव के बाद भारत के प्रधानमंत्री को रूस के ताशकंद समझौता में बुलाया गया। ताशकंद समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद उसी रात 11 जनवरी 1966 में रहस्यमई ढंग से लाल बहादुर शास्त्री जी की हार्ट अटैक आने से मृत्यु हो गई।
यह खबर जब हिंदुस्तान को लगी तो पूरे भारतवर्ष में भक्त विरोध हुआ। शास्त्री जी के आकस्मिक हुए निधन पर आज तक खुलासा नहीं हो पाया है।
शास्त्री जी भले ही आज हमारे बीच उपस्थित ना हो लेकिन उनके द्वारा किए गए कार्य हमेशा हमेशा के लिए हमारे दिल में मौजूद रहेंगे।
लाल बहादुर शास्त्री पर 10 लाइन Few lines on Lal Bahadur Shastri in Hindi
- लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था।
- उनकी माता का नाम रामदुलारी श्रीवास्तव तथा पिता का नाम मुंशी शारदा प्रसाद श्रीवास्तव था।
- पूरे परिवार में सबसे छोटे होने के कारण प्यार से इन्हें नन्हे कहकर पुकारा जाता था।
- शास्त्री जी ने प्राथमिक शिक्षा के बाद हरीश चंद्र हाई स्कूल में दाखिला लिया। हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद उनका दाखिला उत्तर प्रदेश के प्रख्यात काशी विद्यापीठ में हुआ।
- शास्त्री जी गांधीजी के विचार धारा से अत्यंत प्रभावित थे और उन्हें अपना आदर्श मानकर गांधीवादी विचारधारा को अपने जीवन में लागू करते थे।
- 1921 के असहयोग आंदोलन में शास्त्री जी ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था और लोगों को भी पश्चिमी सभ्यता द्वारा बनाई गई वस्तुओं के बहिष्कार के लिए प्रेरित किया था।
- 1942 में अंग्रेजों के विरुद्ध चलाए गए भारत छोड़ो आंदोलन में लाल बहादुर शास्त्री जी की भूमिका उल्लेखनीय रही है।
- 9 अगस्त 1942 के दिन शास्त्री जी ने इलाहाबाद पहुंचकर गांधीजी के अनुपस्थिति में इस नारे को पूरी तरह दूसरी दिशा देकर नया नारा दिया- ‘मरो नहीं मारो’।
- लाल बहादुर शास्त्री के प्रशंसनीय योगदान को देखते हुए उन्हें 1964 में स्वतंत्र भारत का दूसरा प्रधानमंत्री बना दिया गया।
- लाल बहादुर शास्त्री का विवाह 1927 में ललिता देवी के साथ हुआ।
निष्कर्ष Conclusion
इस लेख में आपने लाल बहादुर शास्त्री पर निबंध (Essay on Lal Bahadur Shastri in Hindi) पढ़ा। आशा है यह निबंध आपको सरल तथा जानकारियों से भरपूर लगा होगा। अगर यह लेख आपको अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें।