बिहू पर निबंध Essay on Bihu Festival in Hindi

इस लेख में बिहू पर निबंध (Essay on Bihu Festival in Hindi) बेहद आकर्षक रूप से लिखा गया है। अगर

इस लेख में बिहू क्या है और यह कहाँ मनाया जाता साथ ही बिहू का महत्व तथा बिहू पर दस वाक्य सरल रूप से दिया गया है। शुरू करते हैं बिहू पर निबंध।

प्रस्तावना (बिहू पर निबंध Essay on Bihu Festival in Hindi) 

भारत को त्योहारों का देश भी कहा जाता है क्योंकि जितने त्योहार भारत में आते हैं उतने किसी और देश में नहीं आते। बिहू पर्व भी उनमें से एक है।

सनातन संस्कृति में त्योहारों के पीछे गहरा और वैज्ञानिक मर्म छिपा होता है। जिसमें मानव, पशु और पर्यावरण सभी का हित समाया हुआ होता है। 

बिहू पर्व से लोगों में उत्साह तथा सामाजिक एकता व समरसता की वृद्धि होती है। इस दिन एक आकर्षक नृत्य का कार्यक्रम होता है जो पूरे दुनिया भर में प्रसिद्ध है।

बिहू त्योहार क्या है? (What is Bihu in Hindi?) 

बिहू पर्व यह मुख्यतः कृषि और संस्कृति से जुड़ा हुआ एक प्रमुख त्योहार है। यह हर बार एक अलग कृषि चक्र को दर्शाता है।

असम के लोग इस पर्व को विशेष रूप से मनाते हैं। पूरे भारत में जहां कहीं भी असम के निवासी रहते हैं वे वहां पर इस पर्व को मनाते हैं।

इस त्योहार के दिन लोगों में खुशी का माहौल रहता है यह वर्ष में 3 बार मनाया जाता है। पहली बार यह पौष संक्रांति, दूसरी बार विषुव संक्रांति के दिन और तीसरी बार यह कार्तिक महीने में मनाया जाता है।

असम के तीनों बिहू त्योहारों के नाम भी अलग-अलग हैं। रोंगली बिहू ,भोगाली बिहू और कोंगाली बिहू। इन तीन त्योहारों के माध्यम से बिहू को पूरे भारत में जाना जाता है।

बिहू त्योहार मुख्यतः विषुव संक्रांति के दिन बेहद धूमधाम से मनाया जाता है। आसामी भाषा में रोंगाली का अर्थ प्रसन्नता होता है और रंगाली बिहू  को मनाने का मुख्य कारण जन समूह में प्रसन्नता का संचार करना है।

पौष या भोगाली बिहू यह भी बेहद श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। कार्तिक माह में मनाये जाने वाले कोंगाली बिहू में रौनक बहुत ही ज्यादा होती है। ठीक ऐसे ही कोंगाली बिहू भी मनाया जाता है।

बिहू किस राज्य का त्योहार है? Bihu Festival State 

भारत के अनेकों राज्यों में अलग-अलग त्योहार मनाए जाते हैं और कुछ ऐसे त्योहार है जो सिर्फ एक या दो राज्यों में मनाये जाते हैं। बिहू यह असम का मुख्य त्योहार है इसलिए इस त्योहार को ज्यादातर असम में ही मनाया जाता है।

बिहू कब मनाया जाता है? When is Bihu Celebrated?

बिहू साल में तीन बार आता है। रोंगाली बिहू या बहोग बिहु यह बिहू हिंदू कैलेंडर को मुताबिक वैशाख के महीने में मनाया जाता है और यह साल का पहला बिहु है। इस समय बसंत ऋतू का आगमन होता है। 

इस पर्व के समय खेत-खलिहान अन्न से भर जाते हैं, बरदैसिला यानी बसंती हवा पेडू-पौधों, फूलों, पशु-पक्षियों और नर-नारियों के मन में आनंद की लहरें पैदा कर देती हैं।

भोगाली बिहू यह पौष संक्रांति के दिन मनाया जाता है इस दिन को माघ बिहू भी कहा जाता है। कोंगाली बिहु कार्तिक माह में मनाया जाता है और इस दिन कोई आनंद नहीं मनाया जाता है।

इस दिन तुलसी के पौधे के नीचे दीप लगाए जाते है।

बिहू क्यों मनाया जाता है? Why is Bihu Celebrated?

सनातन धर्म के हर त्योहार मनाए जाने के पीछे कई वैज्ञानिक व धार्मिक कारण होते हैं। जैसे कि दिवाली और होली का अर्थ बुराई पर अच्छाई की जीत है। बिहू त्योहार के भी कई वैज्ञानिक और धार्मिक कारण है।

बिहू त्योहार को मनाने के पीछे सांस्कृतिक व धार्मिक कारण है। सर्वप्रथम बिहू त्योहार वसंत ऋतु में मनाया जाता है क्योंकि इस वक्त प्रकृति में परिवर्तन होता है तथा सभी पुराने पत्ते झड़ जाते हैं और नए पत्तों व फूलों का निर्माण होता है।

भोगाली बिहू के वक़्त धार्मिक क्रिया कर्म करने के लिए अनुकूल होता है इसलिए इस दिन किया गया धार्मिक कृत्य बेहद ही फलदाई होता है। इस दिन कई अनुष्ठान भी पूरे किए जाते हैं।

भोगाली बिहू के दिन तरह-तरह के पकवान बनाने की परंपरा है क्योंकि प्राकृतिक परिवर्तन के समय मानव शरीर में कई तरह की खामियां उपजने लगती हैं। इसलिए इन पारंपरिक पकवानों के माध्यम से रुक प्रतिकारक क्षमता विकसित किए जाने के प्रयास किए जाते हैं।

कोंगाली बिहू या कटी बिहू कार्तिक माह में मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन को किया गया प्रायश्चित बेहद फलदायी होता है। इसलिए कोंगाली बिहू के समय कोई उत्सव नहीं मनाया जाता बल्कि तरह-तरह के अनुष्ठान किए जाते हैं। 

बिहू का महत्व Importance of Bihu Festival in Hindi

हमारे हर त्योहारों के महत्वों को अनेक आयामों में समझा जा सकता है। क्योंकि वर्तमान पद्धति के अनुसार त्योहारों के सटीक महत्व का अंदाजा नहीं लग पाता। लेकिन यह त्योहार कहीं ना कहीं मनुष्य के जीवन को समुन्नत बनाने के लिए ही आते हैं।

बिहू त्योहार का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी बेहद ही ज्यादा है। एक तरफ यह त्योहार तीन कृषि चक्रों को इंगित करता है तो दूसरी तरफ बिहू के माध्यम से फसल कटाई और प्रकृति संरक्षण विषयों पर ज्ञान मिलता है।

जैसे कि रोंगाली बिहू के समय दान, दया, धर्म के मार्ग पर आगे बढ़ने की परंपरा है। जिसका आध्यात्मिक महत्व लोगों में त्याग और तप की भावना पैदा करना है।

भोगाली बिहू के सांस्कृतिक महत्व के रूप में प्रकृति की सच्चाई को जानना और उसके अनुसार अपने जीवन में आमूलचूल आध्यात्मिक परिवर्तन करना तथा अग्नि को साक्षी मानकर अपने बुरे विचारों को त्याग त्याग कर अच्छे  मार्ग को अपनाना मुख्य है।

कोंगाली बिहू के भी सांस्कृतिक और धार्मिक दोनों प्रकार के महत्व हैं। इसके सांस्कृतिक महत्व के रूप में अपने प्रति कठोरता और औरों के प्रति उदारता का संदेश है। 

साथ ही जो भी गलतियां भूतकाल में हुई हो उसे प्रायश्चित के माध्यम से दूर करने का ज्ञान इस पर्व से मिलता है। इसलिए कोंगाली बिहू के दिन कोई उत्सव नहीं मनाया जाता बल्कि कई अनुष्ठानों के द्वारा प्रकृति और स्वयं की रक्षा की कामना की जाती है।

बिहू त्योहार कैसे मनाया जाता है? How is Bihu Festival Celebrated?

प्रथम बिहू त्योहार रोंगाली के दिन दान और अनुष्ठान को महत्व दिया जाता है इसलिए इस दिन प्रातः जल्दी उठ तथा स्नान कर लोग मंदिरों में जाते हैं और जरूरतमंदों की मदद के साथ ईश्वर की प्रार्थना करते हैं।

इस दिन आकर्षक नृत्य और संगीत के कार्यक्रम को रखा जाता है जिसमें पूरी दुनिया में प्रसिद्ध बिहू लोक नृत्य को किया जाता है साथ ही बनाए जाने वाले पकवान भी अद्वितीय होते हैं।

इस दिन अनेक जगहों पर बैल तथा बकरों व मुर्गों की लड़ाई आयोजन किया जाता है। जिसे देखकर लोग उत्साहित होते हैं।

भोगाली बिहू के दिन भी लोग प्रातः जल्दी उठ तथा स्नान कर मंदिर जाते हैं। उसके बाद बांस की मदद से एक मंदिर की रचना करते हैं जिसे मेजी कहा जाता है। 

इस दिन ईश्वर के रूप में अग्नि देव की पूजा की जाती है और यह प्रार्थना की जाती है कि जिस प्रकार अग्नि में किसी भी चीज की आहुति देने पर वह पर्यावरण में समा जाती है ठीक उसी प्रकार इंसानों की बुराई भी अग्नि में भस्म होकर पृथ्वी से बाहर हो जाए।

कोंगाली बिहू के दिन किसी भी पकवान व उत्सव मनाने की कोई परंपरा नहीं है क्योंकि इस दिन को पश्चाताप व प्राकृतिक संरक्षण के दिन के रूप में देखा जाता है।

इस दिन बांस की लकड़ियों के ऊपर तथा तुलसी के नीचे दीपक जलाया जाता है।

असम का बिहू लोक नृत्य Bihu Dance Information in Hindi

बिहू त्योहार के उपलक्ष में किए जाने वाले नृत्य को पूरी दुनिया में बिहू लोक नृत्य के रूप में जाना जाता है। इस नृत्य को महिलाएं तथा पुरुष दोनों मिलकर करते हैं।

आमतौर पर नृत्य की विशेषता निश्चित मुद्राएं, लय में कूल्हे, बाजू, कलाइयां हिलाना, घूमना, घुटनों को मोड़ना तथा झुकना है लेकिन इसमें छलांगें नहीं है। इसमें पुरुषों और महिलाओं की नृत्य मुद्राएं एक समान हैं।

पूरे भारत में जहां कहीं भी असम के निवासी होते हैं वहां पर बिहू लोक नृत्य की प्रतियोगिताएं होती हैं जिसे देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग उमड़ते हैं। 

बिहू पर गाये जाने वाले गीतों में नव वर्ष के स्वागत से ले कर एक किसान के दैनिक जीवन के वर्णन, असम पर आक्रमण के ऐतिहासिक संदर्भों से ले कर व्यंग्यपूर्ण सामयिक सामाजिक व राजनीतिक टिप्पणी शामिल की जाती हैं।

बिहू नृत्य में ताल, माहौल, गति व एकाएक मुद्रा में परिवर्तन जैसे तीव्र बदलावों द्वारा इसे सजीव बनाया जाता है तथा नर्तकों तथा संगीतकारों को अपनी कला प्रवीणता दिखाने के लिए अल्प अवसर दिए जाते हैं।

भोगाली बिहू के महीने के अंत में, स्मरणोत्सव के रूप में कई बोहागी बिदाई कार्यक्रमों का आयोजन करके इस महीने का समापन किया जाता है।

बिहू पर 10 वाक्य 10 Lines on Bihu in Hindi

नीचे पढ़ें बिहू पर 10 लाइन-

  1. बिहू पर्व यह मुख्यतः कृषि से जुड़ा हुआ एक प्रमुख त्योहार है। यह हर बार एक अलग कृषि चक्र को दर्शाता है 
  2. इस बिहू त्योहार से लोगों में उत्साह तथा सामाजिक एकता व समरसता की वृद्धि होती है।
  3. असम के तीनों बिहू त्योहारों के नाम भी अलग-अलग हैं। रोंगाली बिहू ,भोगाली बिहू और कोंगाली बिहू।
  4. बिहु लोक नृत्य एक समूह नृत्य है जिसमें पुरुष और महिलाएं साथ-साथ नृत्य करते हैं।
  5. इसके माध्यम से फसल कटाई और प्रकृति संरक्षण विषयों पर ज्ञान मिलता है।
  6. भोगाली बिहू के दिन ईश्वर के रूप में अग्नि देव की पूजा की जाती है।
  7. इस दिन अनेक जगहों पर बैल तथा बकरों व मुर्गों की लड़ाई आयोजन किया जाता है।
  8. बिहू के दिन आकर्षक नृत्य और संगीत के कार्यक्रम को रखा जाता है जिसमें पूरी दुनिया में प्रसिद्ध बिहू लोक नृत्य को किया जाता है।
  9. पूरे भारत में जहां कहीं भी जहां कहीं भी असम के निवासी होते हैं वहां पर बिहू लोक नृत्य की प्रतियोगिताएं होती हैं जिसे देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग उमड़ते हैं।
  10. कोंगाली बिहू के दिन किसी भी पकवान व उत्सव मनाने की कोई परंपरा नहीं है।

निष्कर्ष Conclusion 

इस लेख में आपने बिहू पर निबंध (Essay on Bihu Festival in Hindi) पढ़ा। आशा है यह लेख आपकी मदद कर सका हो, अगर यह लेख आपको पसंद आया हो तो इसे शेयर जरूर करें। 

Leave a Comment

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.