दहेज प्रथा पर निबंध Essay on Dowry System in Hindi

क्या आप दहेज प्रथा पर निबंध (Essay on Dowry System in Hindi) की तलाश कर रहे हैं? अगर हां तो इस लेख के बाद आपकी सारी तलाश पूरी होने वाली है। इस लेख में हमने दहेज प्रथा के ऊपर हिंदी में निबंध लिखा है। जिसमें दहेज प्रथा की परिभाषा, इतिहास, दुष्प्रभाव, अभिशाप, कानून, समाधान तथा 10 वाक्यों को शामिल किया गया है।

प्रस्तावना(दहेज प्रथा पर निबंध Essay on Dowry System in Hindi)

भारतीय संस्कृति दुनिया की सबसे पुरानी संस्कृति है। प्राचीनतम ग्रंथों में सभी लोगों के लिए न्याय संगत तथा एक समान व्यवस्था होता था, जिसमें किसी के भी साथ अन्याय की कोई गुंजाइश नहीं होती थी।

लेकिन बीते कुछ समय में कई प्रकार की कुरीतियां और प्रथाएं व्यापक स्तर पर फैल चुकी हैं। यह प्रथाएं न केवल हमारी संस्कृति का अपमान करती हैं, बल्कि एक सभ्य समाज की बहुत हानि करती है।

दहेज प्रथा ऐसी ही एक प्रथा है, जिसमें महिलाओं के साथ अन्याय पूर्ण व्यवहार किया जाता है। प्रतिदिन अखबारों में यह खबर छापी जाती है, कि दहेज के लिए महिलाओं को प्रताड़ित किया गया। कई बार तो दहेज की मांग में महिलाओं को मौत के घाट उतार दिया जाता है।

यह बात सत्य है की दहेज प्रथा पुराने समय से ही चली आ रही है लेकिन आज के समय में इन प्रथाओं को बेहद तोड़ मरोड़ कर पेश किया जाता है जो अपने वास्तविक स्वरूप से बिल्कुल अलग है।

दहेज प्रथा सबसे अधिक भारत देश में ही देखने को मिलता है। विज्ञान चाहे कितने भी प्रगति क्यों न कर लें किंतु लोगों की रूढ़िवादी प्रथाएं कभी खत्म ही नहीं होती हैं।

दहेज प्रथा क्या ? What is Dowry System in Hindi?

विवाह के समय वधू के परिवार की तरफ से वर को दी जाने वाली संपत्ति दहेज कहलाती है। विवाह के दौरान वर को दहेज के रूप में नकदी, संपत्ति, आभूषण,  फर्नीचर आदि कीमती वस्तुएं भेंट में दी जाती हैं।

दहेज को उर्दू में जहेज़ कहा जाता है। भारत के अलावा यूरोपीय और अफ्रीकी देशों में दहेज प्रथा का इतिहास बहुत पुराना रहा है।

आमतौर पर दहेज वह संपत्ति होती है जो वर के परिवार वालों को वधू के साथ दिया जाता है। यह प्रथा समाज में लंबे समय से प्रचलित है। आधुनिक समय में दहेज प्रथा नाम की बुराई दिन-ब-दिन अपना विकराल रूप धारण कर रही है।

दहेज प्रथा का इतिहास History of Dowry System in Hindi

प्राचीन समय में कई प्रकार की प्रथाएं प्रचलित हुआ करती थी। वास्तव में दहेज प्रथा का इतिहास बहुत पुराना है जो वैदिक समय से शुरू होकर आज के आधुनिक युग में भी जारी है। दहेज प्रथा का प्रारंभ उत्तर वैदिक काल में हुआ था तब यह प्रथा केवल नाम मात्र की थी।

प्राचीन समय के राजा महाराजा अपनी पुत्री का विवाह करते समय वर पक्ष को अपनी खुशी के लिए अनमोल उपहार देते थे। हालांकि वर पक्ष की ऐसी कोई भी मांग नहीं होती थी।

राजा महाराजाओं से फैलकर यह प्रथा आम लोगों में भी प्रचलित होने लगी। लोग दहेज देने को अपनी प्रतिष्ठा तथा सम्मान से जोड़कर देखने लगे।

जिस रूप में यह छोटी सी रीति शुरू हुई थी वह आज विकराल रूप धारण कर चुकी है। आज के समय में यदि वर पक्ष को दहेज न दिया जाए तो विवाह नहीं हो पाता है।

इन कुरीतियों के कारण लोग विवाह के पहले ही लड़की के परिवार वालों से बड़े-बड़े दहेज की मांग करते हैं। यह शर्त रखी जाती है कि यदि उन्हें उनका मनचाहा दहेज मिलता है तभी वे विवाह करेंगे।

इस कलयुग में यदि दहेज न दिया जाए तो ससुराल में विवाहित महिलाओं को खूब प्रताड़ित किया जाता है।

विद्वानों का मानना है कि कोई भी चीज या प्रथा स्वयं में अच्छी अथवा बुरी नहीं होती है बल्कि उसे तोड़ मरोड़ कर अपने स्वार्थ हेतु अनुकूल बना दिया जाता है। 

दहेज़ प्रथा के दुष्प्रभाव Side Effects of Dowry System in Hindi

दहेज प्रथा आज के समय में एक ऐसी बीमारी बन चुकी है जो अनपढ़ लोगों के साथ- साथ पढ़े लिखे लोगों में भी देखने को मिलती है।

आज के समय में कुछ लोग चाहे कितनी भी अच्छी नौकरी क्यों न कर रहे हो किंतु दहेज से मिलने वाला धन उनके लिए अधिक सुखदाई होता है।

दहेज प्रथा के कारण देश में हर घंटे में एक महिला को मौत के घाट उतार दिया जाता है। यदि प्रताड़ित करने पर कोई असर ना हुआ तो महिलाओं को मौत की आग में झोंक दिया जाता है।

भारत में वर्ष 2007 से 2011 के बीच दहेज से प्रताड़ित और मारी गई महिलाओं के मामलों में काफी वृद्धि देखी गई है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक इन वर्षों में सबसे अधिक दहेज प्रथा के मामले हुए हैं।

ऐसी बात नहीं है कि इस कुरीति का प्रभाव केवल गरीब लोगों पर पड़ता है, अपितु मध्यम तथा उच्च वर्गीय परिवारों में भी यह समस्या देखी जाती है।

ससुराल के लोगों द्वारा महिलाओं को अपने घर से अधिक धन लाने के लिए प्रताड़ित किया जाता है। लड़की के माता-पिता यदि दहेज का इंतजाम नहीं कर पाते हैं तो वें भी आत्महत्या करने को मजबूर हो जाते हैं।

दहेज प्रथा एक अभिशाप Dowry system a curse in Hindi

दहेज प्रथा हमारे  समाज और देश के लिए एक अभिशाप बन गई है। यह प्रथा हमारे देश में सदियों से विद्यमान है।

कहने को तो यह एक सामाजिक रीती है, लेकिन इसका दुष्प्रभाव केवल नवविवाहित लड़कियों को ही भोगना पड़ता है। 

जो लोग गरीब होते हैं वे वर पक्ष के मांगों को पूरा करने के लिए साहूकारों से कर्ज उधार ले लेते हैं, जिसे चुकाने के लिए वे पूरी जिंदगी बोझ तले दब जाते हैं ।

यह हमारे लिए बहुत शर्म की बात है कि विज्ञान के क्षेत्र में इतनी तरक्की करने के बाद भी हमारे समाज में ऐसी रूढ़िवादी प्रथाएं आज भी देखी जाती हैं।

दहेज प्रथा पर कानून Law on dowry system in Hindi

दहेज प्रथा को लगाम लगाने के लिए वर्ष 1961 में दहेज निषेध अधिनियम लाया गया था। जिसके अनुसार दहेज लेने- देने या इसके लेनदेन में किसी प्रकार के सहयोग करने पर 5 साल की कैद हो सकती है और ₹15000 के जुर्माने भी लगाया जा सकता है।

भारतीय दंड संहिता के अनुसार दहेज के लिए उत्पीड़न करने पर पति और उनके रिश्तेदारों को अवैधानिक मांग के मामले में 3 वर्ष की कैद तथा जुर्माना लगाया जा सकता है।

यदि लड़के के परिवार वाले लड़की के स्त्रीधन को सौंपने से मना करते हैं, तो इसके लिए भी उन्हें कड़ी सजा दी जा सकती है।

आज के समय में लोग इतने लालची और क्रूर हो गए हैं की विवाहित युवतियों को दहेज के लिए प्रताड़ित करके मार दिया जाता है तथा इसे आत्महत्या का नाम दे दिया जाता है।

ऐसे दानवों की चतुराई का भी हल निकाला गया है। जिसके लिए यदि किसी भी लड़की के विवाह के 7 वर्ष के भीतर उसकी असामान्य हत्या होती है और यह साबित हो जाता है कि उसे दहेज के लिए प्रताड़ित किया गया था, तो दंड संहिता के आधार पर सभी गुनहगारों को उम्रकैद की सजा भी दी जा सकती है।

दहेज प्रथा का समाधान Solution to dowry system in Hindi

दहेज प्रथा के उन्मूलन के लिए चाहे कितने भी कानून बना दिए जाएं किंतु यह सब जानते हैं कि आज भी लोग खुल्लम- खुल्ला दहेज का लेनदेन करते हैं।

किसी भी कुरीति को खत्म करने के लिए पूरे समाज को आगे आना होगा। दहेज प्रथा को रोकने के लिए सभी महिलाओं को सशक्तिकरण करके इसके विरुद्ध खड़ा होना होगा।

यह घृणित समस्या के निवारण के लिए सभी महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त  बनाना पड़ेगा। किसी भी रूढ़िवादी प्रथा को खत्म करने का सबसे उत्तम उपाय शिक्षा होता है इसलिए सभी लोगों को शिक्षा के प्रति जागरूक करना अत्यंत आवश्यक है।

दहेज प्रथा पर 10 वाक्य 10 lines on dowry system in Hindi

  1. गांधीजी के अनुसार जो भी व्यक्ति दहेज को विवाह का शर्त बनाता है, वह अपने शिक्षा और देश का अपमान करता है साथ ही स्त्री जाति का भी अपमान करता है।
  2. दहेज प्रथा का प्रचलन हमारे हमारे समाज में वैदिक काल से चला आ रहा है जिसका अर्थ ह्रदय से दी गयी भेंट होता था।
  3. विवाह के समय लड़की के परिवार वालों के द्वारा वर पक्ष को दिया जाने वाला भेंट दहेज कहलाता है।
  4. दहेज के कारण नव विवाहित महिलाओं को प्रताड़ित किया जाता है जिससे उनका शारीरिक और मानसिक विकास रुक जाता है।
  5. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार हर घंटे एक महिला को दहेज के कारण मार दिया जाता है।
  6. दहेज प्रथा के विरोध में सन 1961 में भारत सरकार द्वारा “दहेज निषेध अधिनियम” कानून लाया गया था।
  7. ऐसी रूढ़िवादी प्रथाओं के कारण समाज का अधिक विकास नहीं हो पाता है क्योंकि किसी भी देश का विकास वहां की महिलाओं पर आधारित होता है।
  8. महिलाओं के अधिकारों का संरक्षण करने के लिए “महिला सशक्तिकरण आयोग” का गठन किया गया है।
  9. दहेज प्रथा के खिलाफ सामाजिक जागरूकता फैलाने की अत्यंत आवश्यकता है।
  10. दहेज देने के भय से कई लोग कन्याओं को गर्भ में ही मार डालते हैं जो एक अपराध है। 

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में आपने दहेज प्रथा पर हिंदी में (Essay on  dowry system in Hindi) निबंध पढ़ा। आशा है यह लेख आपके लिए सहायक सिद्ध हो। अगर यह निबंध आपको अच्छा लगा हो तो शेयर जरूर करें।

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