दुर्गा पूजा पर निबंध Essay on Durga puja in Hindi

इस लेख में हमने दुर्गा पूजा पर निबंध (Essay on Durga Puja in Hindi) लिखा है। अगर आप दुर्गा पूजा पर बेहतरीन निबंध खोज रहे हैं तो यह लेख आपके लिए बेहद मददगार साबित हो सकता है। इस लेख में दुर्गा पूजा क्या है तथा यह कैसे मनाई जाती है साथ ही दुर्गा पूजा के महत्व को आकर्षक रूप से लिखा गया है। निबंध के अंत में दुर्गा पूजा पर 10 लाइनें इस लेख को बेहद आकर्षक बनाते हैं।

प्रस्तावना (दुर्गा पूजा पर निबंध Essay on the Durga Puja in Hindi)

सनातन संस्कृति में त्योहारों का विशेष महत्व होता है। हिंदू संस्कृति के त्योहारों के पीछे वैज्ञानिक, आध्यात्मिक तथा सामाजिक कारण छुपे होते हैं।

दुर्गा पूजा भी ऐसे ही गूढ़ रहस्यों से भरा पर्व है। वैसे तो इस पर्व को हिंदू समुदाय बढ़ चढ़कर मनाता है लेकिन दुर्गा पूजा खासकर बंगाल में देखने को मिलती है।

सनातन संस्कृति में परम पिता परमेश्वर के दो रूप बताए गए हैं। पहले जो कठोर हैं और अनुशासन तथा विज्ञान के प्रायोजक हैं। दूसरी महामाया जो उनका ही सौम्य अवतार है। जिसमें ममता तथा सौम्यता को अधिक महत्व दिया गया है।

सामान्य भाषा में जिन्हें शिव-शक्ति भी कहा जाता है। महामाया के रूप में देवी दुर्गा की आराधना की जाती है। सनातन संस्कृति में अनेकों कहानियों का जिक्र मिलता है। इसके पीछे का एकमात्र वैज्ञानिक उद्देश्य यह है कि इंसानी मस्तिष्क को कहानियों के माध्यम से किसी भी बात को आसानी से समझाया जा सकता है।

दुर्गा पूजा को बुराई पर अच्छाई की जीत साथ ही मातृत्व शक्ति की महानता के रूप में मनाया जाता है। भले ही चिन्हों के रूप में कितनी भी विभिन्नता हो लेकिन आदर्श एक ही होते हैं।

दुर्गा पूजा क्या है? What is Durga Puja in Hindi?

शक्ति स्वरूपा माता दुर्गा के स्वरूपों की विशेष पूजा-अर्चना होती है, जिसे दुर्गा पूजा कहा जाता है। दुर्गा पूजा के दिन माता दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है।

दुर्गा पूजा यह हिंदू धर्म के कुछ प्रमुख त्योहारों में से एक हैं। हिंदू धर्म के लोग उस परमपिता परमात्मा को अलग-अलग नामों तथा चिन्हों के रूप में पूजते हैं। इसलिए दुर्गा पूजा एक विशेष पर्व के रूप में मनाया जाता है।

दुर्गा पूजा कब है? When is durga puja in Hindi?

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, शारदीय नवरात्रि के समय में ही दुर्गा पूजा का उत्सव भी मनाया जाता है। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि से दुर्गा पूजा का शुभारंभ होता है और दशमी के दिन समापन होता है।

शारदीय नवरात्रि की षष्ठी से दुर्गा पूजा का आगाज होता है। दुर्गा पूजा 5 दिन षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी और दशमी तक मनाया जाता है।

इस वर्ष दुर्गा पूजा 11 अक्टूबर से लेकर 15 अक्टूबर तक पड़ रहा है। ज्योतिष की दृष्टि से यह दिन बेहद ही शुभ है। इस दिन किए गए अनुष्ठान बेहद लाभदायक होते हैं।

दुर्गा पूजा क्यों मनाई जाती है? Why is Durga Puja Celebrated?

दुर्गा पूजा मनाए जाने के पीछे आध्यात्मिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक कारण है। सांस्कृतिक कारण के रूप में सनातन संस्कृति की आराध्य माता दुर्गा की आराधना की परंपरा है। जिसे जारी रखने के लिए हर वर्ष दुर्गा पूजा पर्व को मनाया जाता है।

पुराणों के अनुसार देवी दुर्गा को मातृत्व, सौम्यता तथा करुणा की मूर्ति कहा गया है। लेकिन दुष्टता बढ़ जाने पर उनके महाकाली के रूप को भी भली-भांति दर्शाया गया है। मां दुर्गा उन्हीं के रूपों में से एक है।

पुरातन काल में महिषासुर नामक एक भयंकर दुष्ट और प्रतापी राक्षस हुआ। जिसने अपने ताकत तथा शौर्य के दम पर मासूम लोगों को मारना काटना शुरू कर दिया।

उसके दंभ के कारण साधु-संत तथा सामान्य लोग सुख को पूरी तरह से भूलकर दुख और डर के माहौल में रहने लगे। उस दुष्ट के नाश के लिए सभी ने मां दुर्गा का आवाहन किया।

महिषासुर ने भक्ति का सहारा लेकर भगवान से विशेष वरदान प्राप्त कर रखे थे, इसलिए उसे परास्त करना किसी के लिए भी मुमकिन नहीं था।

उसकी शक्ति और घमंड के नाश के लिए भगवान ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों ने अपनी शक्तियों को एकत्रित किया जिसे मां दुर्गा कहा जाता है।

त्रिदेव की शक्ति से माता दुर्गा महिषासुर से लड़ी। महिषासुर से उन्होंने लगातार नौ दिनों तक भयानक युद्ध किया और दसवें दिन उसका समूल नाश कर दिया। उनके भक्तों द्वारा इन 10 दिनों को दुर्गोत्सव के पर्व के रूप में मनाया जाने लगा।

दूसरी पौराणिक घटना के रूप में इस दिन भगवान राम ने रावण पर विजय पाई थी और माता दुर्गा की उपासना कर वे वापस लौटे थे। उनके अनुयायी इस दिन को दुर्गा पूजा के रूप में मनाने लगे और तब से यह परंपरा लगातार चलती आ रही है।

माता दुर्गा ने इससे पहले कई राक्षसों का संहार कर मानव जाति को दुष्टों के आतंक से मुक्त किया था। माता दुर्गा की पूजा का एकमात्र कारण सिर्फ महिषासुर का वध नहीं बल्कि ऐसे हजारों राक्षसों का वध भी है जिन्होंने मानव जाति का संपूर्ण नाश करने का ताना-बाना रच दिया था।

दुर्गा पूजा का महत्व Importance of Durga Puja in Hindi

सनातन संस्कृति में दुर्गा पूजा का महत्व बेहद अधिक है। जहां एक तरफ दुर्गा पूजा से सांस्कृतिक गौरव में वृद्धि होती है वहीं दूसरी तरफ हिंदू समुदाय में सामाजिक समरसता और एकता का विकास होता है।

ऐसा माना जाता है कि हिंदू समुदाय अपनी स्वार्थपरता के कारण संगठित ना हो सका। इसलिए हमारे महापुरुषों ने हमारी सांस्कृतिक घटनाओं के माध्यम से ऐसे पर्वों का निर्माण किया जिनके माध्यम से हिंदू समुदाय फिर से एक हो सके और अपने धर्म के लिए खड़े हो सके।

आध्यात्मिक दृष्टि से दुर्गा पूजा का महत्व भी बेहद ही अधिक माना जाता है। दुर्गा पूजा को अच्छाई की जीत के चिन्ह के रूप में भी मनाया जाता है। ताकि जन समूह में यह भाव जागृत किया जा सके कि बुराई पर अच्छाई की हमेशा ही जीत होती है।

ज्योतिष की दृष्टि से इन 9 दिनों में बेहद गूढ़ व रहस्यमई बदलाव होते हैं। इन दिनों में की गई साधना का बेहद ही अधिक प्रभाव होता है।

मनोविज्ञान के अनुसार मानव अपने विचारों को जिन तत्वों पर एकत्रित करता है वह तत्व चमत्कारिक रूप से परिवर्तित होना शुरू हो जाते हैं। भक्ति पर भी यही सूत्र लागू होता है की हम जिन गुणों व शक्तियों को अपने आराध्य में ढूढ़ते हैं वे हमें उसी तरह दिखने लगते हैं।

माता दुर्गा को तमस निवारिणी भी कहा जाता है। तमस निवारण अर्थात अज्ञानता को दूर कर ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाएं।

दुर्गा पूजा की विधि Durga Puja vidhi in Hindi

दुर्गा पूजा को पूरे भारत भर में अनेकों विधियों से मनाया जाता है। लेकिन बंगाल में इस दिन बहुत ही अधिक रौनक होती है। बंगाल की दुर्गा पूजा पूरे भारत में प्रसिद्ध है।

बंगाल के अलावा गुजरात, महाराष्ट्र, झारखंड, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश में विशेष रूप से मनाया जाता है। गुजरात में दुर्गा पूजा के अवसर पर डांडिया तथा गरबा का विशेष आयोजन किया जाता है जो पूरे विश्व में प्रसिद्ध है।

दुर्गा पूजा के दिन माता के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है साथ ही लक्ष्मी, सरस्वती, गणेश तथा कार्तिकेय की भी पूजा की जाती है।

हिंदू समुदाय के लोग इस दिन के लिए विशेष तैयारियां करते हैं। एक-दो दिन पहले से ही मंडप सजा लिए जाते हैं तथा माता की भव्य मूर्ति की स्थापना की जाती है।

लोगों की श्रद्धा के अनुसार दिए गए भेंट के माध्यम से ही प्रसाद तथा अन्य वस्तुओं की व्यवस्था की जाती है। सुबह दुर्गा सप्तशती का पाठ होता है तथा यज्ञ आदि का कार्यक्रम होता है और शाम को दुर्गा चालीसा तथा दुर्गा आरती के बाद रात्रि भोजन का कार्यक्रम प्रारंभ होता है।

दुर्गा पूजा के प्रथम दिन मां की मूर्ति स्थापित की जाती है, प्राण प्रतिष्ठा होती है और 5वें दिन उनका विसर्जन किया जाता है।इस प्रकार लोग अपनी क्षमता के अनुसार उपवास तथा अनुष्ठान रखते हैं तथा माता की भक्ति में तल्लीन रहते हैं।

दुर्गा पूजा की कहानी Story of Durga Puja in Hindi

पुरातन काल में राजा दक्ष की पुत्री माता सती ने हिमालय में रहने वाले योगी यानी भगवान शिव से विवाह कर लिया। लेकिन यह बात उनके पिता यानी पर्वतराज दक्ष को पसंद नहीं आई।

एक बार राजा दक्ष ने एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया, जिसमें उन्होंने माता सती और शिव को न्योता नहीं दिया। पिता के प्रेम में माता सती ने शिव के मना करने के बावजूद अपने यज्ञ में पहुंच गई।

राजा दक्ष ने उनका सम्मान करने के बदले, भगवान शिव के बारे में अपमानजनक बातें कहीं। उनकी बातों से माता सती को गहरा आघात पहुंचा और उन्होंने यज्ञ में समाहित होकर अपने प्राण त्याग दिए।

यह खबर सुनते ही भगवान शिव ने अपने सेनापति वीरभद्र को दक्ष का वध करने भेजा और वीरभद्र ने दक्ष का सिर काट दिया। भगवान शिव दुखी होकर माता सती के बदले शरीर को सिर पर धारण कर भ्रमण करने लगे।

भगवान शिव के क्रोध के कारण धरती पर प्रलय की स्थिति बन चुकी थी। माता सती को सिर पर धारण कर भगवान शिव अंतरिक्ष में घूमने लगे तथा माता सती के अंग के टुकड़े धरती पर 64 जगहों पर गिरे और उन सभी को शक्ति पीठ के रूप में जाना जाने लगा।

यज्ञ कुंड में कूदकर आत्मदाह करने के कारण भी उन्हें सती कहा जाता है। बाद में उन्हें पार्वती के रूप में जन्म लिया। पार्वती नाम इसलिए पड़ा की वह पर्वतराज अर्थात् पर्वतों के राजा की पुत्र थी। राजकुमारी थी। माता पार्वती ने ही आगे चलकर महिषासुर नामक राक्षस का वध किया।

दुर्गा पूजा पर 10 लाइन Best 10 Lines on Durga Puja in Hindi

  1. दुर्गा पूजा को बुराई पर अच्छाई की जीत साथ ही मातृत्व शक्ति की महानता के रूप में मनाया जाता है।
  2. शक्ति स्वरूपा माता दुर्गा के स्वरूपों की विशेष पूजा-अर्चना होती है जिसे दुर्गा पूजा कहा जाता है।
  3. हिन्दू  कैलेंडर के अनुसार, शारदीय नवरात्रि के समय में ही दुर्गा पूजा का उत्सव भी मनाया जाता है। शारदीय नवरात्रि की षष्ठी से दुर्गा पूजा का आगाज होता है।
  4. पुराणों के अनुसार देवी दुर्गा को मातृत्व, सौम्यता तथा करुणा की मूर्ति कहा गया है। लेकिन दुष्टता बढ़ जाने पर उनके महाकाली के रूप को भी भली-भांति दर्शाया गया है।
  5. त्रिदेव की शक्ति से माता दुर्गा महिषासुर से लड़ी। महिषासुर से उन्होंने लगातार नौ दिनों तक भयानक युद्ध किया और दसवीं दिन उसका समूल नाश कर दिया।
  6. दूसरी पौराणिक घटना के रूप में इस दिन भगवान राम ने रावण पर विजय पाई थी
  7. ज्योतिष की दृष्टि से इन 9 दिनों में बेहद गूढ़ व रहस्यमई बदलाव होते हैं।
  8. यज्ञ कुंड में कूदकर आत्मदाह करने के कारण भी उन्हें सती कहा जाता है। बाद में उन्हें पार्वती के रूप में जन्म लिया।
  9. बंगाल में इस दिन बहुत ही अधिक रौनक होती है। बंगाल की दुर्गा पूजा पूरे भारत में प्रसिद्ध है।
  10. गुजरात में दुर्गा पूजा के समय किये जाने वाले नृत्य गरबा और डांडिया पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। 

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में आपने दुर्गा पूजा पर निबंध  (Essay on Durga Puja in Hindi) हिंदी में पढ़ा। आशा है यह लेख आप को सरल लगा हो, अब आपको और तो इसे शेयर जरूर करें। 

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