इस लेख में ईद-उल-जुहा (Essay on Eid-ul-zuha in Hindi) पर निबंध लिखा गया है। दिए गए लेख में ईद-उल-जुहा कब है,किसकी याद मे मनाया जाता है,कैसे मनाया जाता है, महत्व तथा ईद-उल-जुहा पर 10 लाइन को सरल रूप से लिखा गया है।
प्रस्तावना (ईद-उल-जुहा Essay on EId-ul-Zuha in Hindi)
इस्लाम के मुख्य त्योहारों में ईद उल अजहा को भी शामिल किया जाता है। ईद उल जुहा को बकरीद के नाम से भी जाना जाता है। बकर ईद अरबी शब्द “बकर” से लिया गया है। बकर का मतलब होता है बड़ा या विशाल।
इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार ईद उल अजहा को बेहद पाक पर्व माना जाता है। सभी मुसलमान इस त्यौहार का बेसब्री से इंतजार करते रहते हैं।
हर धर्म में त्याग का बड़ा महत्व होता है। त्याग शब्द को इस्लामिक मान्यताओं में कुर्बानी कहा जाता है। बकरीद पर्व की नींव ही कुर्बानी शब्द पर रखी गई थी। इसका नैतिक अर्थ यह होता है कि इंसान अपने अंदर की पशु वृत्ति यानी अपने अंदर की बुराइयों की कुर्बानी दे।
ईद-उल-जुहा यह मुसलमानों के लिए विशेष इसलिए भी है कि इस दिन हर मुसलमान आपसी दुश्मनी को भूलकर एक साथ एकत्रित होता है।
त्याग के रूप में दान को हर धर्म में तवज्जो दिया जाता है। इस इस्लामिक पर्व के दिन भी काबिल लोग गरीबों को दान करते हैं।
इस त्यौहार को हर मुस्लिम देश बेहद उत्साह के साथ मनाता है। इंडोनेशिया, मलेशिया तथा यूएई तथा भारत में इस पर्व के दिन सामूहिक अवकाश होता है। लेकिन अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में सामूहिक अवकाश नहीं होता है।
आज पूरी दुनिया में इस्लाम की नींव पर सवाल उठाए जा रहे हैं। क्योंकि कुछ लोग मजहब की अगुवाई करके मुसलमानों को गलत संदेश दे रहे हैं। उदाहरण के तौर पर ईद की कुर्बानी के तौर पर अपनी सबसे प्यारी चीज की कुर्बानी देने का रिवाज है।
नैतिकता की दृष्टि से इंसान की सबसे प्यारी चीज उसका गुरुर, गुस्सा, लालच, बेईमानी तथा कट्टरता होती है। कुर्बानी के तौर पर इन्हीं बुराइयों को छोड़ने का संदेश बकरीद देता है लेकिन आज सिर्फ मासूम जानवरों को मारकर इन नैतिक कर्तव्यों से पल्ला झाड़ लिया जाता है।
लेकिन आज भी कई मुसलमान है जो इन नेताओं को तवज्जो देते हैं ना कि सिर्फ चिन्ह पूजा करने पर। भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति श्री अब्दुल कलाम जी उन्हीं महापुरुषों में से एक हैं।
ईद उल जुहा कब है? When is EId-ul-Zuha in Hindi
ईद उल अजहा को रमजान महीने के अंत में मनाया जाता है और इस वर्ष ईद-उल-जुहा 19 जुलाई से 23 जुलाई तक पड़ रहा है।
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ईद उल जुहा किसकी याद में मनाया जाती है? EId-ul-Zuha is Celebrated in Whose Memory?
इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार पैगंबर हजरत इब्राहिम को एक सपना दिखा। सपने में अल्लाह ने उनसे उनकी सबसे प्यारी चीज की कुर्बानी देने का आदेश जारी किया।
काफी सोच विचार करने के बाद उन्होंने अपनी सबसे प्यारी चीज पर गौर किया। उनके लिए उनकी सबसे प्यारी चीज उनका बेटा इस्माइल था। इब्राहिम जिसे अपनी जान से भी ज्यादा चाहते थे।
इब्राहिम के आगे कुआं पीछे खाई जैसी परिस्थिति उत्पन्न हो गई थी। एक तरफ उनका सबसे प्यारा बेटा है दूसरी तरफ अल्लाह का आदेश।
काफी सोच विचार करने के बाद इब्राहिम ने अपने बेटे इस्माइल को अपने सपने के बारे में बताया। तो इस्माइल ने अल्लाह की बंदगी में अपना सब कुछ न्योछावर करने की बात कबूली और कुर्बानी देने के लिए राजी हो गया।
गले मिलने यानी आखिरी मुलाकात के बाद इस्माइल ने अपनी गर्दन झुकाई तथा इब्राहिम को कुर्बानी लेने का आदेश दिया। आदेश मिलते ही इब्राहिम ने उनके बेटे इस्माइल के गर्दन पर छुरी फेर दी।
कहते हैं कि अल्लाह को उनकी बंदगी इतनी पसंद आई कि उन्होंने छुरी लगने से पहले स्माइल को हटाकर एक मेमने को रख दिया। इस तरह अल्लाह ने इस्माइल को नई जिंदगी दी।
इस्लाम मजहब के अनुयायी इसी परंपरा का पालन करते आए हैं जो हर साल कुर्बानी के अवसर पर एक बेगुनाह जानवर की हत्या करते हैं।
आज इस्लाम धर्म के ज्ञानी लोगों को आगे आकर कुछ परंपराओं में फेरबदल करने की जरूरत है। ताकि इस्लाम अपने मूल काम यानी प्रेम और शांति का संदेश दे।
ईद उल जुहा (बकरीद) का महत्व Importance of EId-ul-Zuha in Hindi
इस्लाम में ईद उल अजहा को बहुत ही अधिक महत्व दिया जाता है। क्योंकि इस त्यौहार को वे अपने आराध्य से जोड़ते हैं तथा उन्हें याद करते हैं।
इस्लाम में प्रायश्चित का भी बहुत महत्व है जिसके लिए ईद उल फितर त्यौहार मनाया जाता है। ईद-उल-जुहा का धार्मिक महत्व भी है। इस दिन मुसलमान अपने पैगंबर को याद करते हैं तथा उनके योगदान के लिए उन्हें धन्यवाद देते हैं।
यह इस्लामिक पर्व मुसलमानों को भाईचारा, प्रेम तथा शांति का भी संदेश देता है। इस दिन सभी मुसलमान एक दूसरे का हालचाल लेते हैं तथा अपने संगठन की एकता को बढ़ाते हैं।
बकरीद से कई दिनों पहले बाजारों में भीड़ लगी हुई रहती है। मुस्लिम लोग ईद की तैयारी के लिए दिल खोलकर खरीदी करते हैं। जिसके कारण मुस्लिम लोगों को रोजगार प्राप्त होता है।
इस दिन बकरे हलाल करने के लिए लोगों को पैसे दिए जाते हैं जिससे लोगों को रोजगार मिलता है। इस दिन लोग बकरे के गोश्त को गरीबों में भी बांटते हैं तथा इसके साथ उन्हें जरूरी चीजें भी मुहैया कराते हैं।
ईद के मौके पर अन्य धर्मों के लोग भी शामिल होते हैं तथा इस पर्व के रौनक का आनंद लेते हैं। मांसाहार का सेवन करने वाले लोग ईद की बिरयानी अवश्य खाते हैं।
किसी भी धर्म का त्यौहार उस धर्म की विशेषताओं को उजागर करने के लिए आता है लेकिन साथ ही उस धर्म की कमियों पर भी प्रकाश डालता है। हर धर्म या मजहब में बहुत सी अच्छाइयां तथा बुराइयां होती है। लेकिन विश्व गुरु वही बन सकता है जो वास्तव में अहिंसा, त्याग तथा मानवता का संदेश देता हो।
ईद उल जुहा कैसे मनाया जाता है? How is EId-ul-Zuha Celebrated in Hindi
ईद उल अजहा आने के कई दिनों पहले ही मुस्लिम लोग अपने घरों की साफ-सफाई करने लगते हैं। इस दिन मस्जिदों को आकर्षक रूप से सजा दिया जाता है।
ईद उल फितर की तरह ही इस त्यौहार के दिन भी मुस्लिम लोग मस्जिदों में जाकर सामूहिक नमाज अदा करते हैं।
नमाज अदा करने के बाद बकरों की कुर्बानी दी जाती है। ऐसा माना जाता है कि बकरों की गर्दन पर धारदार छुरी को रगड़ने पर उनकी गर्दन तो करती है लेकिन उन्हें दर्द नहीं होता।
इसलिए बकरों को एक झटके में नहीं मारा जाता बल्कि धीरे धीरे उनकी गर्दन काटी जाती है। बकरे के मर जाने के बाद उसके मांस को पक्का कर उसका एक तिहाई भाग परिवार वालों के लिए बाकी दोस्तों और मोहल्ले वालों के लिए रखा जाता है।
इस दिन मुसलमान महिलाएं हाथों में मेहंदी तथा नए कपड़े धारण करती हैं। बच्चों को विशेष खरीदारी करने के लिए ईदी जाती हैं।
इस दिन विशेष पकवानों को बनाया जाता है जिसमें बिरयानी तथा सेवइयां मुख्य होती है। इन पकवानों को कपास पड़ोसियों तथा जानने वालों के यहां पहुंचाया जाता है।
शाम के समय विशेष कार्यक्रम का आयोजन होता है जिसमें गीत, संगीत, भाषण तथा मेल मिलाप मुख्य होता है। बड़े-बड़े मुसलमान नेता इस दिन इफ्तार पार्टी का आयोजन करते हैं जिसमें ऊंचे ओहदे धारी नेता भी शामिल होते हैं।
यह त्योहार लोगों में रोमांच तथा खुशियों का सरोबार लाता है। एक साथ मिलकर सभी मुस्लिम अपने ईमान बता एकता को बढ़ाते हैं तथा हर मुश्किल में एक साथ रहने की कसम खाते हैं।
ईद उल जुहा पर 10 लाइन 10 Lines on EId-ul-Zuha in Hindi
- ईद उल जुहा को बकरीद के नाम से भी जाना जाता है।
- इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार पैगंबर हजरत इब्राहिम को एक सपना दिखा। सपने में अल्लाह ने उनसे उनकी सबसे प्यारी चीज की कुर्बानी देने का आदेश जारी किया।
- ईद उल अजहा मुसलमान अपने आराध्य से जोड़ते हैं तथा उन्हें याद करते हैं।
- इस्लाम में प्रायश्चित का भी बहुत महत्व है जिसके लिए ईद उल फितर त्यौहार मनाया जाता है।
- ईद-उल-जुहा का धार्मिक महत्व भी है। इस दिन मुसलमान अपने पैगंबर को याद करते हैं
- यह इस्लामिक पर्व मुसलमानों को भाईचारा, प्रेम तथा शांति का भी संदेश देता है।
- इस दिन सभी मुसलमान एक दूसरे का हालचाल लेते हैं तथा अपने संगठन की एकता को बढ़ाते हैं।
- ईद के मौके पर अन्य धर्मों के लोग भी शामिल होते हैं तथा इस पर्व के रौनक का आनंद लेते हैं।
- नमाज अदा करने के बाद बकरों की कुर्बानी दी जाती है।
- ईद उल अजहा को पूरी दुनियाँ में रहने वाले मुसलमान एक परंपरा के अनुसार मनाते हैं बस जानवरों की क़ुरबानी में अंतर हो सकता है।
निष्कर्ष Conclusion
इस लेख में आपने ईद उल अजहा पर (Essay on Eid ul Zuha in Hindi) निबंध पढ़ा आशा है यह लेख आपको सरल लगा हो। अगर यह लेख आपको पसंद आया हो तो इसे शेयर जरुर करें।