गणेश चतुर्थी पर निबंध Essay on Ganesh Chaturthi in Hindi

इस लेख में गणेश चतुर्थी पर निबंध (Essay on Ganesh Chaturthi in Hindi)  बेहद आकर्षक रूप से लिखा गया है। इस लेख में गणेश चतुर्थी क्या है तथा यह कब तथा क्यों मनाई जाती हैं साथ ही गणेश चतुर्थी का महत्व, पौराणिक कहानियां, पूजा व्रत की पद्धतियां तथा गणेश चतुर्थी पर 10 लाइन इस निबंध मैं बेहतरीन ढंग से लिखा गया हैं।

प्रस्तावना (गणेश चतुर्थी पर निबंध Essay on Ganesh Chaturthi in Hindi) 

सनातन संस्कृति में धार्मिक तथा सांस्कृतिक त्योहारों का बड़ा महत्व है। इस संस्कृति के अंतर्गत आने वाले पर्वों में आध्यात्मिक तथा वैज्ञानिक रहस्य छुपे होते हैं। गणेश चतुर्थी भी उन्हीं पर वह में से एक हैं जिसके प्रत्यक्ष और परोक्ष फायदे जनसमूह को मिलते हैं।

अपने अथाह प्रयासों और षड्यंत्रों के बावजूद जब अंग्रेजी हुकूमत सनातन संस्कृति की नींव को हिलाने में असफल रही तो उन्होंने सांस्कृतिक परंपराओं के बारे में अफवाह फैला कर तथा अनुचित नियम कानून लाकर उन्हें बंद करा दिया।

परिणामस्वरूप तमाम गुरुकुल, आयुर्वेद शाला तथा पर्व आयोजन प्रक्रियाए बंद होती चली गई। इसके कारण हिंदू एकता बिखरती चली गई। लेकिन कुछ महापुरुषों ने अपनी दूरदर्शिता से इसके दूरगामी परिणाम देखें तथा उसके उपाय का ताना-बाना बुनने लगे।

उन्होंने पौराणिक कथाओं को पर्व के रूप में फिर से मनाने की प्रक्रिया शुरू की। आज हम जितने भी त्यौहार मनाते हैं, उनमें से अधिकतर में प्राण प्रतिष्ठा उन महापुरुषों द्वारा ही की गई है।

छत्रपति शिवाजी महाराज ने गणेश चतुर्थी को पूरे महाराष्ट्र में मनाने की प्रक्रिया शुरू की थी। लेकिन अंग्रेजों ने अपने काले कानूनों से इसे बंद करवा दिया था।लेकिन साल 1893 में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने इसे फिर से प्राण प्रतिष्ठित किया।

गणेश चतुर्थी क्या है What is Ganesh Chaturthi in Hindi

गणेश चतुर्थी एक हिंदू त्यौहार है जिस दिन भगवान श्री गणेश का जन्म हुआ था। भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र भगवान गणेश का जन्म हुआ था। हर वर्ष शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है।

गणेश चतुर्थी कब है? When is Ganesh Chaturthi?

इस वर्ष गणेश चतुर्थी हिंदू कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को और अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार गणेश चतुर्थी 10 सितंबर दिन शुक्रवार को पड़ रहा है। मुहूर्त की दृष्टि से यह तिथि बेहद सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है।

गणेश चतुर्थी क्यों मनाई जाती है? Why is Ganesh Chaturthi Celebrated in Hindi

सनातन संस्कृति में हर त्यौहार के पीछे गूढ़ रहस्य छिपे होते हैं। सामान्य बुद्धि का इंसान इन रहस्यों को नास्तिकता की दृष्टि से दिखता है तथा इसके ज्ञान और फल से वंचित रह जाता है।

भारत देश सदियों तक विदेशी आक्रांताओं के आक्रमण से संघर्ष करता रहा। विदेशी लुटेरों ने सनातन संस्कृति को नष्ट करने का भरपूर प्रयास किया। कई हद तक वे अपनी कोशिशों में कामयाब भी रहे।जिसके कारण हिंदू धर्म के लोग संकीर्ण मानसिकता तथा नास्तिकता व छद्म सेकुलरवादी विचारधारा से घिर गए।

हिंदू समाज के लोगों को पाश्चात्य मानसिकता से बचाने के लिए हिंदू पर्व के पुनरुत्थान की प्रक्रिया शुरू की गई जिसमें हिंदू महापुरुषों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया तथा उन्होंने नास्तिकता व झूठे सेकुलरवादी विचारधारा से हिंदू युवाओं तथा जनसमूह को निकाला।

गणेश चतुर्थी मनाए जाने के पीछे आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक तीन कारण हैं। आध्यात्मिक दृष्टिकोण से इस दिन को एक विशेष दिन माना जाता है जिसमें किसी भी पूजा अनुष्ठान अथवा प्रार्थना का ज्यादा असर होता है।

इस पर्व के सांस्कृतिक कारणों में सनातन धर्म के उन रहस्यों से अवगत कराना है जो सामान्य मानवी के समझ से बाहर होता है। सनातन संस्कृति को विश्व की सबसे पुरानी संस्कृति मानी जाती है। दुनिया के सभी धर्मों संप्रदायों की उत्पत्ति सनातन के द्वारा ही हुई है।

ऐसे में अपनी संस्कृति के वास्तविक रूप के प्रति गौरव तथा उत्साह को बनाए रखना एक बड़ा मुद्दा था। उदाहरण स्वरूप भगवान शंकर के द्वारा विषपान का हवाला देकर आज कई लोग नशे के उन्माद में खोए रहते हैं तथा खुद के हानि के साथ अपनी संस्कृति की भी हानि करते हैं।

गणेश चतुर्थी के माध्यम से लोगों को यह सोचने पर मजबूर किया जाता है वास्तव में भगवान शंकर कौन है? तथा यह पौराणिक कथाएं किस ओर इशारा कर रही हैं? ईश्वर का वास्तविक रूप क्या है?

इस त्योहार के मनाए जाने के पीछे के सामाजिक कारण सर्वविदित हैं। समय के साथ जब हिंदू धर्म के लोग सिर्फ अपने परिवार तक सीमित होते चले गए तो उन्हें एक बहुत बड़ा समय संघर्ष के रूप में गुजारना पड़ा।

महापुरुष श्री बाल गंगाधर तिलक ने हिंदू समाज को उनकी संकीर्ण मानसिकता से दूर रखने के लिए गणेश चतुर्थी को एक महापर्व के रूप में मनाने का फैसला किया।

परिणाम स्वरूप गणेश चतुर्थी के दिन पूरे भारत के करोड़ों लोग एकत्रित होने लगे तथा एक मन से भगवान गणेश की उपासना के माध्यम से संगठित होने लगे जिससे हिंदुत्व मजबूत हुआ।

गणेश चतुर्थी का महत्व Importance of Ganesh Chaturthi in Hindi

गणेश चतुर्थी के महत्व को तीन भागों में बांटा जा सकता है। धार्मिक, सामाजिक व सांस्कृतिक। गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा होती है। सनातन संस्कृति में सबसे ज्यादा दिन चलने वाले त्योहारों में गणेश चतुर्थी का नाम प्रथम स्थान पर आता है।

यह 10 दिनों तक चलने वाला त्यौहार है। सबसे पहले अपनी श्रद्धा व व्यवस्था के अनुसार लोग भगवान श्री गणेश की मूर्तियों कोई स्थापित करते हैं। जिसके कारण स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर मिलते हैं।

गणेश चतुर्थी अधिकतर जनसमूह के परस्पर सहयोग से मनाया जाने वाला त्यौहार है। इसमें लोग अपने अनुसार धन राशि दान कर मनाते हैं। इसके माध्यम से लोगों को यह सीख मिलती है कि किसी भी समाज का उत्थान लोगों के पारस्परिक सहयोग से ही मुमकिन हो पाता है।

इसलिए गणेश चतुर्थी के माध्यम से हिंदू समाज में एकता बढ़ती है। बहुत से धर्म मूर्ति पूजा का विरोध करते हैं लेकिन कहीं ना कहीं वह भी किन्हीं चिन्हों का ही प्रयोग करते हैं।

गणेश चतुर्थी के दिन पूजा पद्धतियों में उपयोग होने वाले मंत्रों व कथाओं का मानव जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। कहीं ना कहीं यह कथा तथा मंत्र मानवों को उत्थान की ओर धकेलने का काम करते हैं। 

इस त्योहार के माध्यम से लोगों में श्रद्धा विश्वास व खुशी की लहर दौड़ उठती है। जिससे सामाजिक नीरसता का नाश होता है।

गणेश चतुर्थी के दिन हर राज्यों में उनके सांस्कृतिक लोक नृत्य तथा लोक गान का आयोजन होता है जिसके माध्यम से यह सांस्कृतिक विरासत जीवित रहते हैं तथा आने वाली पीढ़ियों को जरूरी ज्ञान देते रहते हैं।

इस त्योहार का महत्व इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि इससे अंग्रेजी हुकूमत घबराने लगी थी तथा असेम्बली में इसका जिक्र करती थी कि गणेश चतुर्थी के दिन युवा सड़कों पर टोली बनाकर ब्रिटिश का विरोध करते हैं तथा बच्चे तथा औरतें पर्चे बांटते हैं। ब्रिटिश शासन काल में ऐसे पर्वों का बेहद खौफ रहा।

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गणेश चतुर्थी की 3 मुख्य कहानियाँ Ganesh Chaturthi Stories in Hindi

गणेश चतुर्थी कहानी 1

ऐसा माना जाता है कि माता पार्वती ने भगवान श्री गणेश के रूप में एक माटी की मूर्ति बनाई थी तथा अपने तेज व शक्ति के उपयोग से उसमें प्राण प्रतिष्ठित किया था। एक बार क्रोध बस भगवान शंकर ने अपने त्रिशूल से भगवान गणेश का सिर धड़ से अलग कर दिया था।

माता पार्वती के वियोग तथा आवाहन पर उन्होंने उनके सर के स्थान पर एक हाथी का सर लगा दिया तथा उनकी मातृभक्ति से खुश होकर उन्हें सबसे पहले पूजे जाने का आशीर्वाद भी दिया। इसी कारण भगवान श्री गणेश की पूजा सभी देवताओं में सबसे पहले की जाती है।

गणेश चतुर्थी कहानी 2

एक बार देवता किसी संकट में घिरे हुए थे और वे कैलाश आकर भगवान शिव से मदद की गुहार लगा रहे थे। भगवान शंकर के बगल में भगवान श्री गणेश तथा कार्तिकेय बैठे हुए थे। प्रभु शिव ने दोनों से पूछा की कौन देवताओं के समस्या का निवारण जल्दी कर सकता है।

भगवान शिव का प्रश्न सुनकर दोनों ने खुद को सर्वश्रेष्ठ बताया। भगवान शंकर ने दोनों की परीक्षा लेने के लिए एक स्पर्धा का आयोजन किया तथा पृथ्वी की परिक्रमा लगाकर सबसे पहले लौटने वाले को विजई घोषित कर देवताओं की समस्या का निवारण करने की शर्त रखी।

उनके शर्त सुनकर भगवान कार्तिकेय अपनी सवारी मोर पर बैठ कर पृथ्वी की परिक्रमा पूरी करने के लिए निकल पड़े लेकिन भगवान श्री गणेश की सवारी मूषक उनका वजन न सहकर धीमी गति से आगे बढ़ने लगा तभी श्रीगणेश को एक उपाय सूझा और उन्होंने भगवान शंकर और माता पार्वती को एक चौकी पर बैठा कर उनकी सात परिक्रमा पूरी की।

भगवान श्री गणेश ने कहा कि माता-पिता धरती से भी बड़े होते हैं इसलिए आप दोनों की परिक्रमा कर मैंने पूरी पृथ्वी की परिक्रमा पूरी कर ली। उनकी बुद्धि तथा भक्ति को देखकर भगवान बेहद प्रसन्न हुए तथा देवताओं की रक्षा का कार्यभार उन्हें सौंपा। 

गणेश चतुर्थी कहानी 2

पौराणिक कथाओं के अनुसार जब भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का विवाह तय हो चुका था तब सभी को न्योता दिया गया लेकिन भगवान गणेश को न्योता नहीं दिया। इससे क्रुद्ध होकर भगवान गणेश नें उनके विवाह में नही जाने का फैसला किया।

जब भगवान् विष्णु को यह बात पता चली तो उन्होंने कहा की न्योता उनकी जगह पर भगवन शंकर को न्योता दिया गया है वे चाहें तो आ सकते हैं। साथ ही उन्होंने यह भी कहा की भगवान् गणेश अपनी सवारी चूहे पर न आएँ क्योंकि उनके धीरे चलने से बारात को रुकना पड़ेगा।

उनके तथा बारातियों द्वारा भगवान् गणेश का मजाक उड़ाया गया और कहा गया की भगवान गणेश को द्वारपाल बना दिया जाएगा। इससे दुखी होकर भगवान गणेश ने अपनी व्यथा नारद मुनि को बताई तो नारद मुनि ने उन्हें एक उपाय बताया।

उन्होंने कहा की अपनी मूषक सेना को भेज कर आप बारात के रास्तों को खोदवा सकते हैं जिससे उन्हें आपको बाइज्जत बुलाना ही पड़ेगा। भगवान गणेश ने भी ठीक ऐसा ही किया और अपनी मूषक सेना को भेज कर रास्ते में गड्ढा करवा दिया।

इसके बाद भगवान विष्णु तथा लक्ष्मी जी ने भगवान गणेश का आवाहन किया और उनसे क्षमा मांगी तथा विवाह संपन्न हुआ।

गणेश चतुर्थी पर पूजा और व्रत Worship on Ganesh Chaturthi in Hindi

गणेश चतुर्थी के दिन विशेष पूजा अर्चना की जाती है| लोग प्रातः जल्दी उठकर लाल वस्त्र धारण कर गणेश मंदिर जाते हैं| एक दन्त तथा लम्बोदर के नाम से जाने जाने वाले भगवान की श्रद्धा पूर्वक उपासना करते हैं| पूजा के दौरान श्री गणेश जी का मुख उत्तर या पूर्व दिशा में रखा जाता है। 

पंचामृत में सबसे पहले दूध से गणेश जी का अभिषेक किया जाता है। उसके बाद दही से फिर घी से शहद से ओर अंत मे गंगाजल से अभिषेक किया जाता है। गणेश जी पर रोली ओर कलावा चढ़ाया जाता है। सिंदूर गणेश जो को बहुत अधिक प्रिय  है। इसलिय उनको सिंदूर चढ़ाया जाता है।

रिद्धि – सिद्धि के रूप में दो सुपारी ओर पान चढ़ाया जाते है। इसके बाद फल पिला कनेर ओर दुब फूल चढ़ाया जाता है। उसके बाद गणेश जी की सबसे मनपसंद मिठाई मोदक ओर लड्डू चढ़ाया जाता है। 

भोग चढ़ाने के बाद सभी परिवारजनों द्वारा मिलकर गणेश जी की आरती गाई जाती है।श्री गणेश जी के 12 नामों का ओर उनके मन्त्रो का उच्चारण किया जाता है।

गणेश चतुर्थी पर कविता व मंत्र Poem and Mantra on Ganesh Chaturthi in Hindi

मंत्र

  1. ‘ॐ गं गणपतये नमः’।
  2. ॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा। 
  3. ॐ वक्रतुण्डैक दंष्ट्राय क्लीं ह्रीं श्रीं गं गणपते वर वरद सर्व जनं मे वशमानय स्वाहा।
  4. ऊँ नमो हेरम्ब मदमोहित मम संकटान निवारय स्वाहा
  5. ऊँ गणेश ऋणं छिन्धि वरणयं हुं नमः फट।

कविता

हे गौरी के लाल,
देवों के तुम सरताज!
सुन ले गणेश मेरी पुकार,
प्रभु कर दे मेरी नैया पार!
रिद्धि-सिद्धि के तुम हो दाता,
दीन दुखियों के भाग्य विधाता!
तुझमें ज्ञान-सागर अपार,
प्रभु कर दे मेरी नैया पार!
सब देवों में प्रथम देव तुम,
मूषक तुम्हारे पास विराजे!
करते पूजन आरती उतार – कविता सोलंकी

गणेश चतुर्थी पर 10 लाइन 10 lines on Ganesh Chaturthi in Hindi

  1. छत्रपति शिवाजी महाराज ने गणेश चतुर्थी को पूरे महाराष्ट्र में मनाने की प्रक्रिया शुरू की थी
  2. भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र भगवान गणेश का जन्म हुआ था।
  3. गणेश चतुर्थी मनाए जाने के पीछे आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक तीन कारण हैं।
  4. महापुरुष श्री बाल गंगाधर तिलक ने हिंदू समाज को उनकी संकीर्ण मानसिकता से दूर रखने के लिए गणेश चतुर्थी को एक महापर्व के रूप में मनाने का फैसला किया।
  5. गणेश चतुर्थी 10 दिनों तक चलने वाला त्यौहार है।
  6.  गणेश चतुर्थी अधिकतर जनसमूह के परस्पर सहयोग से मनाया जाने वाला त्यौहार है।
  7. गणेश चतुर्थी के माध्यम से हिंदू समाज में एकता बढ़ती है।
  8. गणेश चतुर्थी के दिन हर राज्यों में उनके सांस्कृतिक लोक नृत्य कथा लोक गान का आयोजन होता है
  9. णेश चतुर्थी हिंदू कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है|
  10. महाराष्ट्र में लाल बाग़ का राजा नामके भगवान श्री गणेश की प्रतिमा भारत की सबसे ऊँची मूर्ति होती है|

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में आपने गणेश चतुर्थी पर निबंध (Essay on Ganesh Chaturthi in Hindi) पढ़ा आशा है यह लेख आपको सरल तथा जानकारियों से भरपूर लगा हो। अगर यह लेख आपको पसंद आया हो तो इसे शेयर जरुर करें|

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