इस लेख में हमने गौतम बुद्ध पर निबंध (Essay on Gautam Buddha in Hindi) बेहद सरल व आकर्षक रूप से लिखा है। इसमें गौतम बुद्ध का जन्म,प्रारंभिक जीवन,शिक्षा दीक्षा,उपदेस,मृत्यु,तथा 10 लाइन के बरे मे लिखा गया है।
भगवान बुद्ध ने मानव समाज को जीने की नई दिशा दिखाई इसलिए बुद्ध के जीवन पर निबंध कक्षा 5 से कक्षा 12 तक परीक्षाओं में विभिन्न रूपों से पूछ लिया जाता है।
प्रस्तावना गौतम बुद्ध पर निबंध (Essay on Gautam Buddha in Hindi)
ज्ञान प्राप्ति के बाद भगवान बुद्ध के पीछे उनके भक्तों का एक जन सैलाब उमड़ पड़ा था जो आगे चलकर भिक्षु और उनके अनुयायियों में परिवर्तित हो गए और पूरी दुनिया में बौद्ध धर्म का प्रचार प्रसार किया।
इसी कारण बोधिसत्व दुनिया के कई देशों में लोगों को जीवन जीने की कला सिखा रहा है। गौतम बुद्ध ने जब लोगों को कुरीति वश धर्म का आडंबर करते देखा तो उन्होंने कड़े शब्दों में कटाक्ष किया।
एक बार महात्मा बुद्ध ज्ञान प्राप्ति के लिए गांव गांव में विचरण कर रहे थे तभी उनकी नजर कुछ लोगों द्वारा दी जा रही जानवरों की कुर्बानी पड़ी तो उन्होंने रुक कर उसका कारण पूछा।
उन लोगों ने उन्हें बताया की उनका ईश्वर उन्हें ऐसा करने के लिए कहता है। तब उन्होंने तुरंत कहा कि अगर तुम्हारा ईश्वर तुम्हें बेजुबान की जान लेना सिखाता है तो ऐसे ईश्वर को मानने की कोई जरूरत नहीं।
आज भी दुनिया का एक बड़ा वर्ग ध्यान और साधना के लिए बौद्ध क्रियाकलापों को पसंद करता है क्योंकि इनमें भौतिक अवलंबन के स्थान पर आत्मा पर विश्वास की अधिकता होती है।
गौतम बुद्ध का जन्म Birth of Gautam buddha in Hindi
गौतम बुद्ध का जन्म 563 ईसवी पूर्व वर्तमान नेपाल के कपिलवस्तु के निकट लुंबिनी में हुआ था। उनके पिता का नाम शुद्धोधन था जो क्षत्रिय राजा थे। उनके जन्म के 7 दिन बाद उनकी माता महामाया का देहांत हो गया था जिसके कारण उनकी मौसी और राजा शुद्धोधन की दूसरी पत्नी महाप्रजापति गौतमी ने उनका पालन पोषण किया।
बौद्ध धर्म के संस्थापक महात्मा बुद्ध के बचपन का नाम सिद्धार्थ था। सिद्धार्थ का अर्थ होता है जो सिद्धियां लेने के लिए पैदा हुआ हो। गौतम गोत्र में जन्म लेने के कारण उनका नाम गौतम भी पड़ा।
उनके जन्म के बाद जब राजपुरोहित को बुलाकर उनकी कुंडली बनाने को कहा गया तो राजपुरोहित ने कहा कि यह बालक या तो एक चक्रवर्ती सम्राट बनेगा या एक महान पथ प्रदर्शक।
गौतम बुद्ध का प्रारम्भिक जीवन Gautam Buddha early life in Hindi
गौतम बुद्ध का प्रारंभिक जीवन बेहद सुख सुविधाओं से भरा हुआ था लेकिन बचपन से ही उनके मन में करुणा और दया की अधिकता थी। जिसके कारण जब वे किसी भी जीव जंतु को तकलीफ में देखते थे तो उनका मन भी करुणा से भर आता था।
एक बार घुड़दौड़ में दौड़ते हुए घोड़े के मुंह से झाग निकलते देखा तो उन्होंने घोड़ों को थका हुआ समझकर उन्हें रोक दिया था और जीती हुई बाजी भी स्वयं ही हार गए थे।
इसका एक कारण यह भी था कि सिद्धार्थ किसी को दुखी नहीं देख पाते थे इसलिए उनके चचेरे भाई देवदत्त द्वारा घायल किए गए हंस कि उन्होंने सहायता की और उसके प्राणों की रक्षा भी की।
गौतम बुद्ध एक राजा के इकलौते पुत्र होने के कारण उन्हें महल में हर तरह की सुख सुविधाओं के बीच रखा जाता था। माना जाता है कि जहां पर भी टहलते थे वहां मखमल के गलीचे बिछाए जाते थे ताकि उनके पैरों को कोई हानि न हो।
उनके पास हर ऋतु में रहने के लिए तीन प्रकार के महल थे और दास दसियों की भी कोई कमी नहीं थी। लेकिन बचपन से ही वे कुछ खोए खोए से रहते थे और खिड़की से बाहर देखा करते थे।
16 वर्ष की आयु में गौतम बुद्ध का विवाह यशोधरा के साथ हुआ और अपने पिता के द्वारा दिए गए आलीशान महल में वे यशोधरा के साथ खुशी-खुशी रहने लगे जिससे उन्हें एक पुत्र हुआ जिसका नाम राहुल रखा गया।
गौतम बुद्ध की शिक्षा-दीक्षा Education of Gautam Buddha in Hindi
गौतम बुद्ध के शुरुवाती शिक्षा दीक्षा गुरु विश्वामित्र के समीप संपूर्ण हुई। जिसमें उन्होंने वेद, उपनिषद, शास्त्र, श्रुति, स्मृति के साथ-साथ राजनीति, युद्ध कला की शिक्षा भी ली।
गुरु विश्वामित्र के आश्रम में इनके जैसा मेधावी छात्र कोई और न था क्योंकि इन्हें घुड़सवारी, तीरंदाजी, कुश्ती और रथ हांकने की कला में महारत हासिल हो गई थी।
समस्त वेद और ज्ञानार्जन के बावजूद भी सिद्धार्थ का मन हमेशा कुछ प्रश्नों में उलझा रहता और वह हर किसी से कुछ न कुछ प्रश्न करते पाए जाते।
एक बार सिद्धार्थ ने जंगल में घूमने की इच्छा जाहिर की और सेनापति उन्हें जंगल की सैर कराने के लिए रथ पर बैठा कर ले गए। जहां पर उन्होंने एक बूढ़े व्यक्ति को देखा जिसके दांत टूट गए थे, बाल पक गए थे शरीर रोगी हो गया था और वह डंडे के सहारे चल रहा था।
उन्होंने सेनापति से पूछा कि यह व्यक्ति ऐसा क्यों है? तो सेनापति ने जवाब दिया की वह व्यक्ति बुड्ढा हो चुका है जिससे उसका शरीर पूरी तरह से कमजोर हो गया है। तो सिद्धार्थ ने पूछा कि क्या सभी बुड्ढे होते हैं? सेनापति ने जवाब दिया कि हां! हम सभी को एक न एक दिन बुड्ढा जरूर होना है।
दूसरी बार जब सिद्धार्थ जंगल घूमने गए तो एक व्यक्ति उनके रथ के सामने से गुजरने लगा जिसके कंधे झुक गए थे शरीर सूख चुका था और वह बड़ी मुश्किल से चल पा रहा था। सिद्धार्थ ने सेनापति से फिर वही प्रश्न किया और सेनापति ने वही उत्तर दिया कि हम सभी की ऐसी अवस्था आती है।
तीसरी बार जब वे जंगल की सैर करने निकले तो उन्होंने एक अर्थी देखी तो सेनापति से पूछा कि यह क्या है? तो सेनापति ने जवाब दिया कि वह जो व्यक्ति आपने पिछले दो बार देखा था अब उसकी मृत्यु हो चुकी है इसलिए हर कोई छाती पीट-पीटकर रो रहा है।
उन्होंने फिर सेनापति से वही प्रश्न पूछा कि क्या हम सब एक दिन मर जाएंगे? तो सेनापति ने जवाब दिया कि हां! सभी को एक न एक दिन जरुर मरना है। इस दृश्य ने सिद्धार्थ की आंखें खोल दी और उन्होंने नश्वर जीवन को त्याग कर सन्यासी बनने का व्रत धारण कर लिया।
गौतम बुद्ध के उपदेश Teachings of Gautam buddha in Hindi
अपनी पत्नी यशोधरा और बच्चे राहुल तथा कपिलवस्तु जैसे विशाल राज्य को को छोड़कर गौतम बुद्ध तपस्या करने चले गए थे। जहां पर वे जप, तप, ध्यान, धारणा समाधि को सिद्ध कर एक बैरागी की अवस्था में पहुंच गए।
35 वर्ष की आयु तक उन्होंने तपस्या की, जिसके बाद वैशाखी पूर्णिमा के दिन गया के एक पीपल के वृक्ष के नीचे उन्हें ब्रह्म ज्ञान की प्राप्ति हुई। तभी से सिद्धार्थ को भगवान बुद्ध कह कर पुकारा जाने लगा।
गौतम बुद्ध 80 साल की उम्र तक संस्कृत भाषा में उपदेश देने की जगह सीधी साधी पाली भाषा में लोगों को उपदेश दिया करते थे।
उनके उपदेशों में उन्होंने अहिंसा, सेवा, दया, करुणा, संवेदना, सहानुभूति और क्षमा को स्थाई सुख का साधन बताया है।
उनके अनुयायियों ने उनके द्वारा दिए गए उपदेशों को पूरी दुनिया के कोने कोने में फैलाया। उनके सबसे करीबी शिष्य आनंद ने उनके बाद कार्यभार संभाला और बौद्ध संप्रदाय को आगे बढ़ाया।
गौतम बुद्ध की प्रेरक कहानी Motivational story of Gautam Buddha in Hindi
भगवान बुद्ध की सबसे प्रेरक कहानी उनकी क्षमा भावना को उजागर करता है। जब एक जंगल में एक डाकू का आतंक हुआ करता था। जंगल में आने जाने वाले राहगीरों को वह डाकू लूट कर उनकी हत्या कर देता था और उनकी उंगली को काटकर गले में पहन लेता जिससे उसका नाम अंगुलिमाल डाकू पड़ गया था।
एक बार गौतम बुद्ध भी उसी जंगल से गुजर रहे थे तो उनके सामने अंगुलिमाल डाकू आया और सब कुछ उसके हवाले कर देने का आदेश दिया।
उसके आदेश को सुनकर महात्मा बुद्ध ने उसे ऐसा करने का कारण पूछा तो उसने बताया कि वह यह सब अपने परिवार के पालन-पोषण के लिए करता है।
बुद्ध ने उससे पूछा कि क्या तुम्हारे इस काम में तुम्हारा परिवार साथ देता है? क्या तुम्हारे पाप कर्मों में तुम्हारे परिवार सम्मिलित होगा? तो इस प्रश्न पर अंगुलिमाल डाकू विचार में पड़ गया और उसने कहा कि हां क्योंकि मैं यह सब उनके लिए ही तो करता हूं।
भगवान बुद्ध ने अंगुलिमाल डाकू से कहा कि तुम एक बार उनसे पूछ लो। इस पर वह डाकू बुद्ध का उपहास उड़ाते हुए कहा कि अगर मैं पूछने जाऊं तो तुम भाग जाओगे। तो बुद्ध ने कहा कि तुम मुझे बांधकर पूछने जा सकते हो।
अंगुलिमाल डाकू ने ऐसा ही किया और अपने परिवार से जाकर पूछा तो उनके परिवार ने उनके पाप में हिस्सेदारी उठाने के लिए मना कर दिया बल्कि उसके द्वारा किए जा रहे पाप कर्म को उसका कर्तव्य बता दिया।
इस बात से अंगुलिमाल बहुत दुखी हुआ और जंगल वापस जाकर भगवान बुद्ध के हाथ पैर खोल कर उनके चरणों में गिर गया और पाप मुक्ति का मार्ग पूछने लगा।
गौतम बुद्ध की मृत्य Death
80 साल की उम्र में भगवान बुद्ध ने कुंडा नामक एक लोहार के यहां रुक कर भोजन तथा विश्राम किया था जिसके बाद वे गंभीर रूप से बीमार पड़ गए थे।
उनके बीमार पड़ने पर लोहार बहुत ही चिंतित हुआ और भगवान बुद्ध के चरणों में गिरकर अपनी अबोधता जाहिर करने लगा। जिस पर भगवान बुद्ध ने का कि तुम्हारी कोई गलती नहीं है तुम बेगुनाह हो। अब मेरे महाप्रयाण का समय समीप आ चुका है।
483 ईसा पूर्व बौद्ध धर्म के संस्थापक भगवान बुद्ध शरीर को त्याग कर स्थूल से सूक्ष्म जगत में दाखिल हो गए। उनके बाद उनके कार्य को उनके अनुयायियों ने अधिक रफ्तार से आगे बढ़ाया और पूरी दुनिया में बौद्ध धर्म का प्रचार प्रसार किया।
गौतम बुद्ध पर 10 लाइन Best 10 Lines on Gautam buddha in Hindi
- भगवान बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व कपिलवस्तु के नजदीक लुंबिनी वर्तमान नेपाल में हुआ था।
- गौतम बुद्ध के पिता का नाम शुद्धोधन था और माता का नाम महामाया था।
- गौतम बुद्ध के जन्म के सात दिन के बाद उनकी माता महामाया का देहांत हो गया था।
- भगवान बुध के बचपन का नाम सिद्धार्थ था जिसका अर्थ होता है सिद्धियों वाला।
- सिद्धार्थ का पालन पोषण उनकी माता की सगी बहन और राजा शुद्धोधन की दूसरी पत्नी गौतमी ने किया था।
- गुरु विश्वामित्र से शिक्षा दीक्षा लेकर सिद्धार्थ शास्त्र, शस्त्र में पारंगत हो चुके थे।
- 16 वर्ष की आयु में गौतम बुद्ध की शादी राजकुमारी यशोधरा से हुआ था।
- गौतम बुद्ध के पुत्र का नाम राहुल था।
- 35 वर्ष की आयु में भगवान बुद्ध को गया वर्तमान बिहार में एक पीपल के वृक्ष के नीचे आत्मज्ञान की प्राप्ति हुई थी।
- 80 वर्ष की आयु में महात्मा बुद्ध ने अपना शरीर त्यागा था।
निष्कर्ष Conclusion
इस लेख में आपने गौतम बुद्ध पर निबंध हिंदी में (Essay on Gautam Buddha in Hindi) पढ़ा। आशा है यह लेख आपको पसंद आया होगा। अगर यह निबंध आपको अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें।