गुरु नानक पर निबंध Essay on Guru Nanak in Hindi

इस लेख में हमने गुरु नानक पर निबंध (Essay on Guru Nanak in Hindi) हिंदी में लिखा है। जिसमें गुरु नानक देव कौन थे? तथा उनके जीवन से जुड़े सभी पहलुओं को इस निबंध में आकर्षक रूप से शामिल किया गया है। इस लेख मे हमने प्रस्तावना, जन्म, शुरुआती जीवन, शिक्षा दीक्षा, कार्य, मृत्यु तथा गुरु नानक पर 10 लाइन के बारे में लिखा है।

पढ़ें: गुरु नानक जयंती पर निबंध

प्रस्तावना (गुरु नानक पर निबंध Essay on Guru Nanak in Hindi)

भारतीय संस्कृति दुनिया की सबसे प्राचीन सभ्यताओं में से एक है। भारत में अनेक रीति-रिवाजों और परंपराओं का संगम देखने को मिलता है जो इसे दुनिया के दूसरे देशों से अलग बनाता है।

प्राचीन समय में सोने की चिड़िया कहलाने वाले भारत पर एक नहीं बल्कि कई बार विदेशी लुटेरों ने आक्रमण किया है, लेकिन अपनी एड़ी चोटी लगा देने के बाद भी वह भारत की संस्कृति को नष्ट नहीं कर पाए।

विधि के अनुसार भारत में समय-समय पर महान आत्माओं ने जन्म लेकर अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना  सर्वस्व बलिदान किया है।

गुरु नानक देव जी जिन्हें पूरी दुनिया के सिख परमात्मा का दर्ज़ा देते हैं, उन्होंने भारत की संस्कृति को और भी ऊंचाइयों के शिखर तक पहुंचाया है।

सिख धर्म की स्थापक तथा सिखों के प्रथम गुरु प्रभु नानक सभी धर्मों के लिए उपासनीय हैं। इनके अनुयाई इन्हें कई नामों से संबोधित करते हैं जैसे नानक, बाबा नानक, नानक शाह तथा नानक देव जी इत्यादि।

नानक जी के व्यक्तित्व में अनंत गुणों का समावेश था। एक कुशल समाज सुधारक, कवि,  देशभक्त, दार्शनिक  आदि अद्भुत विशेषताएं इनके अंदर बचपन से ही सम्मिलित थी।

गुरु नानक का जन्म Guru Nanak Birth in Hindi 

गुरु नानक देव जी का जन्म कार्तिक पूर्णिमा को संवत 1526 और अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 1469 में राय भोई की तलवंडी, ननकाना साहिब के पास हुआ था, जो आज के समय में पाकिस्तान में स्थित है।

इनके पिता का नाम मेहता कालू चंद्र खत्री तथा माता का नाम तृप्ता देवी था। इनकी माता स्वभाव से अत्यंत दयालु और धार्मिक महिला थीं। इनकी बड़ी बहन का नाम नानकी था, जो उन्हें बहुत स्नेह करती थी। 

घर में धार्मिक माहौल होने के कारण बचपन से ही इनके अंदर प्रखर बुद्धि के लक्षण दिखाई देने लगे थे। बहुत छोटी उम्र से ही इनके अंदर परिपक्व विचार और तार्किक मस्तिष्क की प्रचुरता हो गई थी। 

जिस समय इनकी उम्र के दूसरे बालक खेलकूद में मगन होते थे उस समय वे प्रकृति दर्शन और धार्मिक चिंतन की गहराई में  डूबे रहते थे। 

गुरु नानक का शुरुआती जीवन Early life of Guru Nanak in Hindi

गुरु नानक देव जी बाल्यावस्था से ही अद्भुत एवं असाधारण व्यक्तित्व के धनी थे। यह अपना पूरा दिन केवल साधु-संतों के साथ कीर्तन और कहानियों में व्यतीत करते थे।

बचपन में इनके पिताजी ने इन्हें कई बार उनके व्यवसाय पर बैठने की बात कही लेकिन यह उससे बचते हुए निकल जाते।

इनके पिता जी इस बात से बेहद चिंतित थे क्योंकि जिस उम्र में इन्हें खेलना कूदना चाहिए था उस समय वे पूरे दिन धार्मिक चीजों में अपना समय व्यतीत करते थे।

बाल्यावस्था से ही गांव में इनके कारण चमत्कारिक घटनाएं घटने लगी थी जिससे गांव के लोग इन्हें दैवीय शक्ति मानने लगे थे।

नानक देव जी अपनी तीक्ष्ण बुद्धि और तर्क क्षमता के कारण ढोंगी सूफी फकीरों और पंडितों का पर्दाफाश करते रहते थे जिसके कारण लोगों में उनके प्रति गहरी आस्था पनपने लगी थी। 

गुरु नानक की शिक्षा दीक्षा Education of Guru Nanak in Hindi 

गुरु नानक जी का मन बचपन से ही पढ़ाई लिखाई में नहीं लगता था लेकिन उन्होंने बहुत कम उम्र में ही संस्कृत और फारसी जैसी कठिन भाषा का ज्ञान प्राप्त कर लिया था।

इनका पूरा समय धार्मिक गतिविधियों में ही बिताना पसंद करते थे। इनके व्यवहार से लोग मंत्रमुग्ध हो जाया करते थे। ऐसा कहा जाता है कि यदि इनसे कोई पहली बार बात भी करता था तो वह जीवन भर इनका शिष्य बन जाता  था।

8 वर्ष की आयु तक इनकी विद्यालय की शिक्षा छूट गई थी क्योंकि भगवान के संबंध में इनके प्रश्नों के आगे अध्यापक ने घुटने टेक दिए थे और इन्हें स्वयं चलकर घर तक छोड़ने आए थे।

इसके बाद इन्होंने सारी शिक्षा कीर्तन और अन्य धार्मिक पुस्तकों के माध्यम से प्राप्त की और आगे चलकर लोगों का पथ प्रदर्शन भी किया। 

गुरु नानक के कार्य Works by Guru Nanak Ji in Hindi

गुरु नानक जी ने दुनिया के कई देशों तक धार्मिक स्थानों की यात्राएं की जहां विभिन्न जगहों पर घूम कर उन्होंने लोगों को उपदेश भी दिया। देश और विश्व के अलग-अलग धार्मिक स्थानों के प्रवास को पंजाबी भाषा में उदासियां कहा जाता है।

लोगों को सिख धर्म का ज्ञान देने के लिए गुरु नानक जी ने ईराक, इरान और अरब देशों तक यात्राएं की

तथा उनके धार्मिक स्थलों का प्रवास किया व लोगों को धर्म के पथ पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।

गुरु नानक निराकार आत्मा में विश्वास रखते थे। यह इश्वर के जगत में फैले रूप को मानते थे और मूर्ति पूजा का विरोध करते थे क्योंकि उनका मानना था कि ईश्वर निराकार है।

उस वक्त स्त्रियों को उनके अधिकार से वंचित रखा जाता था इसलिए गुरु नानक देव ने इस मुद्दे पर भी लोगों को जागृत किया। भारतीय इतिहास में गुरु नानक जी भक्ति काल के अंतर्गत आते हैं जो एक अच्छे सूफी कवि भी थें।

मुगल बादशाह बाबर जब भारत पर आक्रमण करने के लिए आया था तो उसने कई धार्मिक स्थलों की क्षति की थी, महिलाओं के साथ अत्याचार किए थे और हजारों बेकसूरों के खून से हिंदुस्तान की भूमि को रक्तरंजित कर दिया था।

गुरु नानक धर्म के रक्षक के साथ ही एक राष्ट्रवादी भी थे इसीलिए उन्होंने बाबर के कृत्य के खिलाफ कई आंदोलनों का सूत्रपात किया था जिसके बाद उन्हें बंदी भी बना लिया गया था।  मुगलों से आजादी के लिए यह सिख इतिहास की दृष्टि से स्वतंत्रता आंदोलन का प्रारंभ है था।

सिख धर्म के कुल 10 गुरु हुए जिनमें पहले गुरु नानक देव जी तथा अंतिम गुरु गोविंद सिंह जी हुए। सिख समुदाय  का सबसे पवित्र ग्रंथ आदि ग्रंथ माना जाता है जिसे ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ भी कहते हैं।  श्री ’ गुरु अर्जुन देव’  जो सिख धर्म के पांचवें गुरु थे उन्होंने इस पवित्र ग्रंथ का संपादन किया।

गुरु नानक जी द्वारा बताए गए रास्ते पर सभी सिख गुरुओं ने हिंदुस्तान के इतिहास में अपना अभूतपूर्व योगदान दिया है। 

गुरु नानक पर 10 लाइन Best 10 Lines on Guru Nanak in Hindi

  1. श्री गुरु नानक देव जी सिखों के पहले गुरु थे।
  2. गुरु नानक की जयंती को पूरी दुनियां में रह रहे सिखों द्वारा श्रद्धा पूर्वक मनाया जाता है ।
  3. श्री गुरु नानक जयंती के पवित्र दिन भारत में शैक्षणिक स्थानों के साथ-साथ कई जगहों पर छुट्टी दी जाती है।
  4. गुरु नानक को इश्वर का अवतार कहा जाता है।
  5. श्री गुरु नानक देव जी का जन्म कार्तिक पूर्णिमा को संवत 1526 और अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 1469  को हुआ था।
  6. इनके पिता का नाम मेहता कालूचंद  खत्री तथा माता का नाम तृप्ता देवी था।
  7. नानक जी का विवाह 16 साल की उम्र में लखनी देवी के संग हुआ था।
  8. यह मूर्ति पूजा  का विरोध करते थे तथा निराकार आत्मा को मानते थे।
  9. गुरु नानक जी के विभिन्न देशों की यात्राओं को पंजाबी में उदासियां कहा जाता है। 
  10. सिख धर्म के पवित्र ग्रंथ को ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ कहा जाता है।

मृत्यु

गुरु नानक जी ने करतारपुर नामक एक नगर बसाया जो कि अब पाकिस्तान में आया है।  इस पवित्र स्थान पर रहकर वह प्रतिदिन कीर्तन एवं लंगर के द्वारा लोगों की सहायता करते थे।

अपने अंतिम दिनों का एहसास हो गया था इसलिए उन्होंने गुरुअंगद साहिब को गुरु पद प्रदान किया एवं कुछ दिनों के पश्चात इसी स्थान पर 22 सितंबर 1539 ईसवी को  उस निराकार ईश्वर की ज्योत में समा गए।

गुरु नानक कहा करते थे कि मैं शरीर रूप के बाद भी सुक्ष्म रूप में दसों दिशाओं में विद्यमान रहूंगा। आज भी लोग गुरुद्वारे में जाकर सच्चे भाव से जो भी दुआ मांगते हैं उनकी मनोकामना जरूर पूरी होती है।

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में आपने गुरु नानक देव पर निबंध (Essay on Guru Nanak in Hindi) हिंदी में पढ़ा। आशा है यह लेख आपको जानकारी से भरपूर लगा होगा। अगर यह निबंध आपको अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें। 

Featured Image : Wikimedia (John Hill)

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