जन्माष्टमी पर निबंध Essay on Janmashtami in Hindi

इस लेख में हमने जन्माष्टमी पर निबंध Essay on Janmashtami in Hindi लिखा है जिसमें जन्माष्टमी क्या है,कब मनाया जाता है, यह क्यों मनाया जाता है, कैसे बनाया जाता है ,साथ ही जन्माष्टमी का महत्व तथा पूजा पद्धति और जन्माष्टमी पर 10 लाइन को विस्तृत रूप से बताया गया है।  

प्रस्तावना (जन्माष्टमी पर निबंध Essay on Janmashtami in Hindi) 

सनातन संस्कृति के प्रतिनिधित्व के रूप में भगवान विष्णु को देखा जाता है। भगवान विष्णु ही ब्रह्मांड के सर्वेसर्वा माने जाते हैं। भगवान राम से लेकर कृष्ण सभी भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं।

भगवान विष्णु को संसार के पालनहार के रूप में पूजा जाता है। जन्माष्टमी को भगवान विष्णु के आराधक उनके कृष्ण अवतार को याद करते हैं।

सनातन संस्कृति में ब्रह्मा, विष्णु और महेश को सृष्टि के रचयिता पालनहार और विनाशक के रूप में जाना जाता है। मूल रूप से ब्रह्मा, विष्णु और महेश उस परमपिता परमात्मा के तीन कर्मों के नाम हैं जिन्हें देवता के रूप में पूजा जाता है।

हिंदू देवी देवताओं में श्रीकृष्ण को पूरी दुनिया में सबसे अधिक पूजा जाता है। श्री कृष्ण के ज्ञान श्री भगवत गीता को दुनिया के सभी धर्मों के लोग पढ़ते हैं और अपने सभी सवालों के जवाब पाते हैं यही कारण है कि पूरी दुनिया के लोगों में भगवान श्री कृष्ण की प्रसिद्धि ज्यादा है।

जन्माष्टमी क्या है? What is Janmashtami in Hindi?

भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन को जन्माष्टमी कहां जाता है। भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहणी नक्षत्र में हुआ था इसलिए हर वर्ष इसे कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है।

जन्माष्टमी को हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक माना जाता है। जिसे दुनिया भर में रहने वाले हिंदू अपनी अपनी श्रद्धा के अनुसार मनाते हैं।

जन्माष्टमी क्यों मनाया जाता है? Why is Janmashtami Celebrated?

द्वापर युग में जब आसुरी प्रवृत्तियों के लोग सज्जनों को सताने लगे और धर्म के विपरीत कर्म करने लगे और जब धरती पर कंस के द्वारा पाप की अधिकता होने लगी तब भगवान विष्णु ने धरती पर अवतार लिया और धरती पर से आसुरी प्रवृत्तियों का समूल नाश करने की शुरुआत की।

जन्माष्टमी को मनाए जाने के पीछे आध्यात्मिक, वैज्ञानिक तथा सामाजिक कारण भी है। आध्यात्मिक कारण के रूप में इस दिन की बड़ी महानता है। कृष्ण जन्माष्टमी के दिन को ज्योतिष में बेहद प्रभावी दिन माना जाता है और इस दिन किए गए व्रत अनुष्ठान का फल कई गुना बढ़ जाता है।

वैज्ञानिक कारण के रूप में जन्माष्टमी को महाज्ञानी भगवान श्री कृष्ण के जीवन की शुरुआत के रूप में देखा जाता है।

आज श्रीमद् भागवत गीता पर वैज्ञानिकों द्वारा गहन रिसर्च किया जा रहा है ऐसा माना जाता है कि श्रीमद्भागवत गीता में हर प्रश्नों का सटीक जवाब होता है। 

सामाजिक कारण के रूप में जन्माष्टमी यह जनसमूह को सदैव सत्य मार्ग पर चलने तथा हमेशा दया करुणा वह सहयोग की भावना जागृत रखने की सीख देता है।

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जन्माष्टमी कब है? When is Janmashtami in Hindi

जन्माष्टमी हर वर्ष भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को आता है वर्ष के अगस्त या सितम्बर महीने में, श्री कृष्ण के जन्म दिवस के अवसर पर कृष्ण जन्माष्टमी, भारत समेत अन्य देशों में मनाया जाता है। इस वर्ष जन्माष्टमी 30 अगस्त दिन सोमवार को पड़ रहा है।

जन्माष्टमी का महत्व Importance of janmashtami in Hindi

सनातन संस्कृति में देवताओं और महापुरुषों की जयंती को बेहद पवित्र दिन माना जाता है और इसे एक पर्व के रूप में मनाया जाता है।

यह एक ओर मनुष्य को अभावों में विचलित न होने की सीख देता है तो दूसरी ओर बुराइयों के सामने अडिग खड़े रहने की सीख भी देता है।

हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए जन्माष्टमी का बहुत ही महत्व है क्योंकि वह इस दिन अपने आराध्य श्री कृष्ण के बाल लीलाओं तथा जीवन लीलाओं का आनंद लेते हैं साथ ही अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं।

जन्माष्टमी के सबसे बड़े महत्व के रूप में उन अनैतिकताओं को चुनौती दी जाती है और नास्तिकता को पर्याप्त सबूत मिलता है कि जब-जब धर्म की हानि होती है तब तक ईश्वर धरती पर जन्म लेते हैं।

जन्माष्टमी पर्व यह सनातन संस्कृति की महानता को भी दर्शाता है। क्योंकि सनातन संस्कृति में ही ऐसे महापुरुष और देवता हुए हैं जो जनसमूह पर बिना कोई दबाव बनाएं सत्य सनातन के मार्ग पर चलने का आग्रह करते हैं।

जन्माष्टमी हमें सिखाती है कि भले ही जीवन की शुरुआत कठिनाइयों में हुई हो लेकिन मनुष्य अपने पुरुषार्थ से सभी कठिनाइयों पर विजय पा सकता है।

भगवान श्री कृष्ण के जीवन में मुश्किलों का अंबार लगा रहा लेकिन उन्होंने हमेशा अपने पुरुषार्थ से मुश्किलों पर विजय पाया।

सनातन संस्कृति में भक्ति को सबसे कठिन और गूढ़ मार्ग कहा गया है। भक्ति यह प्रेम का सर्वोपरि और उत्कृष्ट भाग है। इसलिए जन्माष्टमी पर भक्तगण अपने भगवान की लीलाओं का रसास्वादन कर उनके प्रेम में डूब जाते हैं।

जन्माष्टमी के सामाजिक महत्व के रूप में आज हिंदू समाज की एकता को देखा जा सकता है। जन्माष्टमी के दिन मटकी फोड़ कार्यक्रमों में बिना किसी जाति या समुदाय के भेदभाव के लोग एक समूह बनाकर इन प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं।

जन्माष्टमी की कहानी Story of Janmashtami in Hindi

द्वापर युग में कंस नामक एक पराक्रमी और क्रूर शासक हुआ जिसे देवताओं से बहुत से अधिक दिव्य आशीर्वाद प्राप्त था। उसने अपनी शक्तियों का इस्तेमाल कमजोर लोगों को सताने और अपने स्वार्थ की पूर्ति करने में किया। 

कंस इतना ताकतवर था कि उसके सामने बड़े-बड़े चक्रवर्ती सम्राट भी थरथर कांपते थे। अभिमान वश कमजोर मनुष्यों को मसलते चले जाता था।

एक बार जब वह अपनी बहन देवकी का विवाह वासुदेव से संपन्न कराकर घर लौट रहा था तभी आकाशवाणी हुई की अगर तुमने अपनी पाप लीला बंद नहीं की तो देवकी की आठवीं संतान तुम्हारा वध कर देगी।

आकाशवाणी से घबराकर कंस देवकी और वासुदेव को कालकोठरी में डाल दिया और एक एक कर उनकी 7 संतानों की निर्मम हत्या कर दिया।

लेकिन भगवान श्री कृष्ण के जन्म के बाद वसुदेव जी उन्हें राजा नंद के घर माता यशोदा की देखरेख में छोड़ आए ताकि किसी प्रकार कंस से उनकी रक्षा की जा सके।

भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप यमुना जी से लेकर पंचमुखी नाग ने भी की थी। इन्हीं सभी लीलाओं के माध्यम से श्री कृष्ण जी के भक्तों कि मन में भक्ति का सरोवर उमड़ा हुआ रहता है।

अपने बाल लीलाओं में भगवान श्रीकृष्ण बहुत से दैत्यों का संहार किया और अपनी प्रजा की रक्षा की। लेकिन समय आने पर भगवान श्री कृष्ण ने मथुरा जाकर कंस का वध किया और प्रजा को मुक्त किया।

भगवान श्री कृष्ण महाभारत में एक बार भी शस्त्र धारण नहीं किया लेकिन सत्य के ज्ञान से पूरी पापी सेना कौरव का विनाश कर दिया। 

जन्माष्टमी की पूजा कैसे करें? How to do Janmashtami Pooja in Hindi

जन्‍माष्‍टमी की पूजा के लिए थोड़ी मात्रा में कुछ सामग्रियों की आवश्यकता होती है जिनमें चौकी, लाल वस्‍त्र, बाल गोपाल की मूर्ति, गंगाजल, मिट्टी का दीपक, घी, रूई की बत्ती, धूप, चंदन, रोली, अक्षत, तुलसी ,पंचामृत शामिल हैं। 

लेकिन जन्माष्टमी के दिन बाल लीला के लिए दूध, दही, घी, शहद, मक्खन, मिश्री, मिष्ठान/नैवेद्य, फल, बाल गोपाल के लिए वस्त्र, श्रृंगार की सामग्री फूल और पालना इत्यादि की आवश्यकता होती है।

जन्‍माष्‍टमी की पूजा शुरू करने से पहले रात 11 बजे फिर से स्नान कर लें। उसके बाद घर के मंदिर में ऊपर बताई गई सभी सामग्री रख लें और पूर्व दिशा की ओर मुंह करके बैठ जाएं। 

इसके बाद पालने को सजा लें और चौकी पर लाल कपड़ा बिछा कर लड्डू गोपाल की मूर्ति स्थापित कर पूजा प्रारंभ करें। कृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी के दिन षोडशोपचार पूजा की जाती है।

जन्माष्टमी की आरती (Janmashtami Aarti in Hindi)

आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की
गले में बैजंती माला,
बजावै मुरली मधुर बाला 
श्रवण में कुण्डल झलकाला,
नंद के आनंद नंदलाला 
गगन सम अंग कांति काली,
राधिका चमक रही आली 
लतन में ठाढ़े बनमाली
भ्रमर सी अलक,
कस्तूरी तिलक,
चंद्र सी झलक,
ललित छवि श्यामा प्यारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की 
आरती कुंजबिहारी की..
कनकमय मोर मुकुट बिलसै,
देवता दरसन को तरसैं 
गगन सों सुमन रासि बरसै 
बजे मुरचंग,
मधुर मिरदंग,
ग्वालिन संग,
अतुल रति गोप कुमारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की 
आरती कुंजबिहारी की..
जहां ते प्रकट भई गंगा,
सकल मन हारिणि श्री गंगा
स्मरन ते होत मोह भंगा
बसी शिव सीस,
जटा के बीच,
हरै अघ कीच,
चरन छवि श्रीबनवारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की
आरती कुंजबिहारी की…
चमकती उज्ज्वल तट रेनू,
बज रही वृंदावन बेनू 
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू
हंसत मृदु मंद,
चांदनी चंद,
कटत भव फंद,
टेर सुन दीन दुखारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की
आरती कुंजबिहारी की.
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की

जन्माष्टमी पर 10 वाक्य 10 Lines on Janmashtami in Hindi

  1. भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी कहते हैं।
  2. श्री कृष्ण देवकी और वासुदेव के 8वें पुत्र थे।
  3. इस उत्सव पर ज्यादातर लोग पूरा दिन व्रत रह कर, पूजा के लिए, घरों में बाल कृष्ण की प्रतिमा पालने में रखते हैं।
  4. श्री कृष्ण का पालन-पोषण यशोदा माता और नंद बाबा की देखरेख में हुआ।
  5. कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर मथुरा में रासलीला का आयोजन किया जाता है।
  6. जन्माष्टमी के दिन मटकी फोड़ कार्यक्रमों में बिना किसी जाति या समुदाय के भेदभाव के लोग एक समूह बनाकर इन प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं।
  7. उत्सव के दिन विशेष प्रसाद वितरण तथा भव्य झांकी प्रदर्शन किया जाता है।
  8.  इस अवसर पर भजन कीर्तन के साथ-साथ नाटक तथा नृत्य भी आयोजित किए जाते हैं। 
  9. जन्माष्टमी पर पूरे दिन व्रत का विधान है। जन्माष्टमी पर सभी 12 बजे तक व्रत रखते हैं।
  10. जन्माष्टमी के दिन देश में अनेक जगह दही-हांडी प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है।

निष्कर्ष Conclusion 

इस लेख में आपने जन्माष्टमी पर निबंध Essay on Janmashtami in Hindi पढ़ा आशा है यह लेख आपको सरल लगा हो अगर यह लेख आपको पसंद आया हो तो इसे शेयर जरुर करें।

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