कुंभ मेला पर निबंध Essay on Kumbh Mela in Hindi (900W)

आज हमने इस आर्टिकल में कुंभ मेला पर निबंध (कुंभ मेला पर निबंध Essay on Kumbh Mela in Hindi 900W)लिखा है। जिसमें हमने कुंभ मेला क्या है, कुंभ मेला कब मनाया जाता है, कुंभ मेला क्यों मनाया जाता है, कुंभ मेला के प्रकार, कुंभ मेला पर 10 लाइन के बारे में बताया है।

कुंभ मेला क्या है? What is Kumbh Mela in Hindi?

कुंभ मेला एक आस्था का विशाल हिन्दू तीर्थ है। जिसमें हिंदू एक पवित्र नदी में स्नान करने के लिए इकट्ठा होते हैं। यहां पर हिंदू बड़ी संख्या में इकट्ठा होतें है।

हर तीसरे वर्ष में 4 स्थानों में से एक पर आयोजित किया जाता है। यह चार स्थान हरिद्वार, इलाहाबाद (प्रयाग), नासिक व उज्जैन है। इन चार स्थानों पर नदियां हैं हरिद्वार (गंगा), प्रयाग (गंगा व यमुना संगम), नासिक में (गोदावरी) और उज्जैन में (शिप्रा) हैं।

ना केवल भारत के हिंदू बल्कि यहां आने वाले विदेशी पर्यटक भी, इस तीर्थ स्थान के मेले में इस समय शामिल होते हैं, और साधु संत जोकि भगवा वस्त्र पहनते हैं वह इस मेला में देखने को मिलते हैं। 

कुंभ मेला कब मनाया जाता है? When is Kumbh Mela celebrated in Hindi?

खगोलीय घटनाओं के अनुसार यह मेला मकर संक्रांति के दिन प्रारंभ  होता है। जब सूर्य और चंद्रमा वृश्चिक राशि में प्रवेश कर, और वृहस्पति मेष राशि में प्रवेश करता है। मकर संक्रांति के दिन होने वाले इस योग को कुंभ स्नान योग कहा जाता है। इस दिन को विशेष मंगलकारी माना जाता है।

कुंभ मेला क्यों मनाया जाता है Why Kumbh Mela is celebrated in Hindi

कोई सबूत नहीं है कि लोगों ने कुंभ मेला का आयोजन क्यों किया, कुंभ मेला के पीछे एक पौराणिक कथा है जो इस तरह है-

ऋषि दुर्वासा के अभिशाप के कारण एक बार देवताओं ने अपने शक्ति खो दी, तब उन्होंने भगवान ब्रह्मा और भगवान शिव के पास गए और उन से विनती की तब भगवान ब्रह्मा और भगवान शिव ने विष्णु भगवान की प्रार्थना करने की सलाह दी, तब भगवान विष्णु ने फिर क्षीरसागर का मंथन करके अमृत निकालने की सलाह दी।

भगवान विष्णु के ऐसा कहने पर संपूर्ण देवता दैत्यों के साथ संधि करके अमृत निकालने की यन्त में लग गए। सागर मंथन करने के लिए भंडारा पर्वत को इस्तेमाल किया गया था।

सबसे पहले मंथन में विश उत्पन्न ना हुआ जो कि भगवान शिव द्वारा ग्रहण किया गया। जैसे ही मंथन में अमृत दिखाई पड़ा, तो देवता, शैतानों के गलत इरादे समझ गए, देवताओं के इशारे पर इंद्र पुत्र देव कलश को लेकर आकाश में उड़ गया।

समझौते के अनुसार उनको उनका हिस्सा नहीं दिया गया तब राक्षस और देवताओं में 12 दिनों और 12 रातों तक युद्ध होता रहा। इस तरह लड़ते-लड़ते अमृत पात्र से अमृत चार अलग-अलग स्थानों पर गिर गया। इलाहाबाद(प्रयाग), हरिद्वार, नासिक और उज्जैन।

तब से यह माना गया कि, इन स्थानों पर रहस्यमय शक्तियां हैं, और इसीलिए इन स्थानों पर कुंभ का मेला लगता है। जैसे की हम कह सकते हैं देवताओं के लिए 12 दिन, मनुष्य के लिए 12 साल के बराबर हैं। इसीलिए इन पवित्र स्थानों पर प्रत्येक 12 वर्ष के बाद कुंभ का मेला लगता है।

कुंभ मेला के प्रकार Types of Kumbh Mela in Hindi

भारत में पांच प्रकार के कुंभ मेला आयोजित किए जाते हैं जो निम्न है- महाकुंभ मेला, पूर्ण कुंभ मेला, अर्ध कुंभ मेला, कुंभ मेला, माघ कुंभ मेला।

कुंभ मेला पर 10 लाइन 10 line at Kumbh Mela in Hindi

कुंभ मेला पर 10 लाइन निम्न प्रकार से हैं –

  1. कुंभ मेला एक आस्था का विशाल हिन्दू तीर्थ है।
  2. कुंभ मेला मे हिंदू एक पवित्र नदी में स्नान करने के लिए इकट्ठा होते हैं।
  3. यहां पर हिंदू बड़ी संख्या में इकट्ठा होतें है।हर तीसरे वर्ष में 4 स्थानों में से एक पर आयोजित किया जाता है।
  4. यह चार स्थान हरिद्वार, इलाहाबाद (प्रयाग), नासिक व उज्जैन है। इन चार स्थानों पर नदियां हैं हरिद्वार (गंगा), प्रयाग (गंगा व यमुना संगम), नासिक में (गोदावरी) और उज्जैन में (शिप्रा) हैं।
  5. ना केवल भारत के हिंदू बल्कि यहां आने वाले विदेशी पर्यटक भी, इस तीर्थ स्थान के मेले में इस समय शामिल होते हैं, और साधु संत जोकि भगवा वस्त्र पहनते हैं वह इस मेला में देखने को मिलते हैं। 
  6. खगोलीय घटनाओं के अनुसार यह मेला मकर संक्रांति के दिन प्रारंभ  होता है। जब सूर्य और चंद्रमा  वृश्चिक राशि में प्रवेश कर, और वृहस्पति मेष राशि में प्रवेश करता है।
  7. मकर संक्रांति के दिन होने वाले इस योग को कुंभ स्नान योग कहा जाता है।
  8. इस दिन को विशेष मंगलकारी माना जाता है।
  9. कोई सबूत नहीं है कि लोगों ने कुंभ मेला का आयोजन क्यों किया, कुंभ मेला के पीछे एक पौराणिक कथा है।
  10. कुंभ मेला एक बड़े पैमाने पर आयोजित किया जाता है और लाखों भक्त इस समारोह में भाग लेते हैं।

निष्कर्ष Conclusion

जिस प्रकार यह व्याह त्रिवेणी में, गंगा, यमुना, सरस्वती का संगम है, ठीक उसी प्रकार भी हमारे शरीर के अंदर एक ऐसा स्थान है।

जब उस स्थान विशेष पर गुरु विद्या से हमारी चेतना जागृत हो जाती है तो हमारा अंतःकरण पवित्र शुद्ध शांत और निर्मल हो जाती है। अतः आज आवश्यक है के विहंगम योग के इस निर्मल ज्ञान से जुड़कर कुंभ के इस आध्यात्मिक अर्थ को अपने जीवन में चरितार्थ करके जिसके द्वारा एक मानव का संपूर्ण विकास संभव है।

आशा करती हूं आपको हमारा यह आर्टिकल कुंभ मेला पर निबंध अच्छा लगा होगा यदि अच्छा लगा है तो हमें कमेंट करके बताइए आज हमारे साथ इसी तरह और भी जानकारी पाने के लिए जुड़े रहिए।

धन्यवाद

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