आज हमने इस लेख मे लक्ष्मी पूजा पर निबंध (Essay on Laxmi puja in Hindi ) लिखा है। जिसमे हमने लक्ष्मी पूजा क्या है,क्यों मनाया जाता है,कब मनाया जाता है, महत्व,कहानी, तथा पूजन विधि,और लेख के अंत में लक्ष्मी पूजा पर दी गई 10 लाइनें इस निबंध मे लिखा गया हैं।
प्रस्तावना (लक्ष्मी पूजा पर निबंध Essay on Laxmi puja in Hindi)
भारत को त्योहारों का देश कहा जाता है क्योंकि यहां पर हर समय कोई न कोई त्यौहार दस्तक देता रहता है। लक्ष्मी पूजा भी भारत का एक प्रमुख पूजा पद्धति तथा त्यौहार है।
बहुत से पूजा पद्धतियों तथा पर्वों के अपने महत्व तथा रहस्य होते हैं। दुर्गा पूजा भी सनातन संस्कृति के कुछ रहस्यमय तथा प्रचलित त्योहारों में से एक है।
माता लक्ष्मी को धन तथा समृद्धि की सूचक के रूप में पूजा जाता है।लक्ष्मी पूजा या चतुर्मास में पड़ता है, यह एक पर्व के रूप में पूरे भारतवर्ष में मनाया जाता है।
किसी भी त्योहार के पीछे कोई न कोई सांस्कृतिक या धार्मिक महत्व जरूर होता है। जिनके माध्यम से समाज का विकास समय समय पर होता है।
उदाहरण के तौर पर दुर्गा पूजा के कुछ दिन पहले ही लोग खरीदारी करते हैं। जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिलता है।
लक्ष्मी पूजा क्या होता है? What is Laxmi Puja in Hindi?
सनातन संस्कृति में माता लक्ष्मी को भगवान विष्णु के अर्धांगिनी माना जाता है। जहां एक तरफ भगवान विष्णु जग पालक कहे जाते हैं तो वही माता लक्ष्मी को समृद्धि दायिनी कहा जाता है और माता लक्ष्मी की विन पूजा पद्धतियों से की जाने वाली उपासना को लक्ष्मी पूजा कहा जाता है।
इस दिन को एक पर्व के रूप में मनाया जाता है। क्योंकि माता लक्ष्मी को हर सनातनी श्रद्धा की दृष्टि से पूजता है। माता लक्ष्मी को माता शक्ति का ही स्वरूप कहा जाता है। इसलिए लक्ष्मी पूजा को माता शक्ति की पूजा की तरह ही किया जाता है।
हिंदू मान्यताओं के अनुसार जो धन के अभाव में जीता है उसके प्रति ऐसा कहा जाता है कि लक्ष्मी माता उस पर प्रसन्न नहीं है। लक्ष्मी पूजा के अवसर पर हर कोई माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने का प्रयास करता है तथा अपने श्रद्धा तथा परिस्थिति के अनुसार लक्ष्मी पूजा करता है।
लक्ष्मी पूजा क्यों मनाया है? Why is Laxmi Puja Celebrated in Hindi?
मां लक्ष्मी धन की देवी हैं, मां लक्ष्मी की कृपा से ही ऐश्वर्य और वैभव की प्राप्ति होती है। कार्तिक अमावस्या की पावन तिथि पर धन की देवी को प्रसन्न कर समृद्धि का आशीर्वाद लिया जाता है।
लक्ष्मी पूजा मनाया जाने के पीछे सांस्कृतिक आध्यात्मिक और सामाजिक कारण मुख्य हैं। सांस्कृतिक कारण के रूप में इस पर्व को एक विरासत के रूप में देखा जाता है।
लक्ष्मी पूजा को विशेषकर दिवाली के दिन किया जाता है। दिवाली के दिन की जाने वाली लक्ष्मी पूजा सबसे आकर्षक तथा महत्वपूर्ण मानी जाती है।
लक्ष्मी पूजा कब है? When is Laxmi puja in Hindi?
लक्ष्मी पूजा हर वर्ष कार्तिक माह में पड़ता है लेकिन इसे पूरे भारत में दिवाली के दिन ही मनाया जाता है। इस वर्ष लक्ष्मी पूजा दिन गुरुवार 4 अक्टूबर सन 2021 को पड़ रहा है।
माता लक्ष्मी को भगवान विष्णु की अर्धांगिनी भी कहा जाता है इसलिए भगवान विष्णु की आराधना के साथ माता लक्ष्मी की आराधना अवश्य की जाती है।
लक्ष्मी पूजा का महत्व Importance of Laxmi Puja in Hindi?
हिंदू संप्रदाय के लोगों के लक्ष्मी पूजा का विशेष महत्व होता है। लक्ष्मी पूजा के दिन समृद्धि की देवी माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए हर कोई अपनी श्रद्धा अनुसार उनकी उपासना करता है।
आध्यात्मिक दृष्टि से लक्ष्मी पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन को ज्योतिष के दृष्टि से बेहद ही पवित्र माना गया है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किये गया अनुष्ठान का विशेष फल प्राप्त होता है।
एक तरफ जहां लोग लक्ष्मी माता की सात्विक साधना करते हैं तो वही तांत्रिक उन्हें अपने तंत्र विद्या से प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं। इसलिए कहा जा सकता है कि लक्ष्मी पूजा का आध्यात्मिक महत्व बेहद ही अधिक है।
सामाजिक दृष्टि से लक्ष्मी पूजा का दूसरा सबसे बड़ा महत्व यह है कि इस दिन हिंदू समुदाय एक सम्मत होकर माता लक्ष्मी की आराधना करते हैं तथा अपनी एकता बढ़ाते हैं।
लक्ष्मी पूजा के सांस्कृतिक महत्व के रूप में सनातन धर्म की महानता को इंगित करना है। सनातन धर्म में लोगों को अपनी श्रद्धा के अनुसार किसी भी देवी देवताओं को पूजने का पूरा अधिकार होता है।
लक्ष्मी पूजा की विधि Laxmi Puja vidhi in Hindi
लक्ष्मी माता की पूजा हर कोई अपनी स्थिति के अनुसार कर सकता है। लेकिन कुछ सामान्य बातों का ध्यान रखना ही पड़ता है जैसे कि लक्ष्मी पूजा से पहले घर को स्वच्छ रखकर सजाया जाता है। अंधेरे स्थानों पर प्रकाश किया जाता है।
लक्ष्मी माता की पूजा से पहले स्नान तथा ध्यान का नियम है। स्नान के बाद एक चौकी पर माता लक्ष्मी, गणेश, तथा सरस्वती की प्रतिमा सजाई जाती है जिन्हें लाल, गुलाबी या पीला वस्त्र अर्पित की जाती है।
लक्ष्मी माता जी को कमल तथा गुलाब के फूल बहुत ही प्रिय हैं इसलिए उनकी प्रतिमा पर कमल तथा गुलाब के फूल चढ़ाए जाते हैं। प्रसाद के रूप में श्रीफल, सीताफल, बेर,अनार तथा सिंघाड़े चढ़ाए जाते हैं तथा मिष्ठान के रूप में घर में बनाई गई शुद्ध हलवा तथा की खीर का नैवेद्य चढ़ाया जाता है।
दीपक जलाने के लिए विशेषकर गाय का घी, मूंगफली तथा तिल्ली का तेल उपयोग में लिया जाता है। कई जगहों पर गन्ना, कमल गट्टा, खड़ी हल्दी, बेलपत्र, पंचांग, गंगा जल इत्यादि का उपयोग किया जाता है।
पूजन करने के लिए माता लक्ष्मी व गणेश की मूर्ति को पूर्व मुख करके रखा जाता है तथा गणेश जी को लक्ष्मी माता के बाएं और स्थापित किया जाता है। पूजन करता मूर्तियों के सामने मुंह करके बैठते हैं तथा एक कलश के रूप में चावल से भरे कलर्स को लक्ष्मी माता के पास रखते हैं।
नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर कलर्स पर रखते हैं तथा कलश पूजा के लिए विशेष मंत्र का उच्चारण किया जाता है तथा माता लक्ष्मी तथा अन्य देवताओं क्या वाहन से लक्ष्मी पूजा की शुरुआत होती है
पूजन करने के लिए दो बड़े दीपक बनाए जाते हैं एक में घी तथा दूसरे में तेल भरा जाता है। तेल वाले दीपक को चौकी की अदाएं और रखा जाती है तथा घी के दीपक को मूर्तियों के सामने रखा जाता है।
मूर्ति के सामने एक छोटी चौकी रखकर उस पर लाल कपड़ा बिछाया जाता है तथा कलर्स की ओर एक मुट्ठी चावल से लाल कपड़े पर नवग्रह के प्रतीक के रूप में नौ ढेरियां बनाई जाती हैं। गणेश जी की तरफ चावल की सोलह ढेरियां बनाए जाते हैं
चावल के बीच में सुपारी रखी जाती है तथा चारों कोनों पर चावल की ढेरी बनाई जाती है। सबसे ऊपर कपड़े के बीचो-बीच चावल से ओम बनाया जाता है।
एक थाली में 11 दीपक, मिठाई, वस्त्र, चंदन, कुमकुम, पान, सुपारी, दूर्वा, चावल, लॉन्ग, इलायची, अगरबत्ती इत्यादि को रखा जाता है तथा लक्ष्मी पूजा के मंत्र पढ़कर पूजा संपन्न की जाती है।
पूजा के बाद सभी को प्रसाद आवंटित किया जाता है तथा भजन का कार्यक्रम शुरू होता है जिसमें स्त्रियां प्रमुख रूप से भाग लेते हैं तथा माता लक्ष्मी के गीतों को गाती हैं।
लक्ष्मी पूजा की कहानी Story of Laxmi Puja in Hindi
पौराणिक कथा के अनुसार राजा बलि ने अपने अहंकार तथा वरदान के कारण माता लक्ष्मी तथा कुछ अन्य देवताओं को अपने यहां कैद कर लिया था। राजा बलि वैसे तो बेहद शौर्यवान तथा प्रजापालक राजा था लेकिन कहीं ना कहीं उसके अंदर तामसिक वृत्तियों ने घर बना लिया था।
देवताओं ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की तो भगवान विष्णु ने वामन अवतार के रूप में धरती पर अवतार लिया और बलि के घमंड का नाश किया तथा माता लक्ष्मी तथा देवताओं को आजाद किया।
इसके बाद माता लक्ष्मी तथा अन्य देवता क्षीरसागर पहुंचकर गहरी निद्रा में सो गए थे। इसलिए लक्ष्मी पूजा के दिन यह मान्यता होती है कि घर को सुंदर सुसज्जित तथा साफ सुथरा रखा जाए ताकि माता लक्ष्मी व अन्य देवता क्षीरसागर वापस न जाकर उनके घर में ही विश्राम करें जिससे लोगों को समृद्धि प्राप्त हो।
कहा जाता है कि जहां माता लक्ष्मी का वास होता है वहां दरिद्रता का नामोनिशान नहीं बच पाता। माता लक्ष्मी को समृद्धि के साथ विकास का सूचक भी माना जाता है।
लक्ष्मी पूजा पर 10 लाइन 10 Lines on Laxmi Puja in Hindi
- सनातन संस्कृति में माता लक्ष्मी को भगवान विष्णु के अर्धांगिनी माना जाता है।
- हिंदू मान्यताओं के अनुसार जो धन के अभाव में जीता है उसके प्रति ऐसा कहा जाता है कि लक्ष्मी माता उस पर प्रसन्न नहीं है।
- लक्ष्मी पूजा के अवसर पर हर कोई माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने का प्रयास करता है
- मां लक्ष्मी धन की देवी हैं, मां लक्ष्मी की कृपा से ही ऐश्वर्य और वैभव की प्राप्ति होती है।
- दिवाली के दिन की जाने वाली लक्ष्मी पूजा सबसे आकर्षक तथा महत्वपूर्ण मानी जाती है।
- एक तरफ जहां लोग लक्ष्मी माता की सात्विक साधना करते हैं तो वही तांत्रिक उन्हें अपने तंत्र विद्या से प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं।
- लक्ष्मी पूजा के सांस्कृतिक महत्व के रूप में सनातन धर्म की महानता को इंगित करना है।
- लक्ष्मी पूजा से पहले घर को स्वच्छ रखकर सजाया जाता है। अंधेरे स्थानों पर प्रकाश किया जाता है।
- लक्ष्मी माता जी को कमल तथा गुलाब के फूल बहुत ही प्रिय हैं इसलिए उनकी प्रतिमा पर कमल तथा गुलाब के फूल चढ़ाए जाते हैं।
- पौराणिक कथा के अनुसार राजा बलि ने अपने अहंकार तथा वरदान के कारण माता लक्ष्मी तथा कुछ अन्य देवताओं को अपने यहां कैद कर लिया था।
निष्कर्ष conclusion
इस लेख में आपने लक्ष्मी पूजा पर निबंध (Laxmi puja essay in Hindi) पढ़ा। आशा है यह लेख आपको पसंद आया हो। अगर यह लेख आपको सरल लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें।