प्रेम पर निबंध Essay on Love in Hindi

इस लेख में हमने प्रेम पर निबंध (Essay on Love in Hindi) लिखा है। अगर आप प्रेम पर आकर्षक निबंध की तलाश में हैं, तो इस लेख के बाद आपकी सारी तलाश पूरी होने वाली है। इस लेख में प्रेम क्या है तथा उसका महत्व साथ ही लेख के अंत में प्रेम पर दस लाइनें इस  लेख को बेहद आकर्षक बनाती हैं।

प्रस्तावना (प्रेम पर निबंध Essay on Love in Hindi

ईश्वर ने संसार में तमाम चीजें बनाई। जिसमें से हर किसी के अपने गुणधर्म व स्वभाव के अनुसार उन्हें परिभाषित किया जा सकता है। लेकिन ईश्वर ने कुछ ऐसी चीजें भी बनाई हैं जिन्हें परिभाषित करना नामुमकिन है।

प्रेम भी उन्हीं गुणों में से एक है। संसार में प्रेम ही एकमात्र ऐसी चीज है जिसे परिभाषित नहीं किया जा सकता। प्रेम को धन देकर खरीदा भी नहीं जा सकता।

बहुत से दार्शनिक प्रेम को धरती का आरंभ और अंत का नाम भी देते हैं। बहुत से कवि प्रेम को सर्वोच्च गुण की उपाधि भी दे चुके हैं।

प्रेम के गहरे स्वरूप को भक्ति कहते हैं और भक्तगण प्रेम को भक्ति की चरम सीमा कहते हैं।  सभी धर्म ग्रंथ प्रेम को ही ईश्वर प्राप्ति का एकमात्र मार्ग बताते हैं।

आधुनिक काल में प्रेम की न्यूनता के कारण ही संवेदनशीलता खत्म हो चुकी है जिसके कारण मानव  दूसरे मानव तथा जानवरों के प्राण बेहद आराम से ले लेता है।

प्रेम की कमी के कारण ही इंसान को उन मासूम जानवरों की तड़प नहीं दिखती जिन्हें वह अपने स्वाद की पूर्ति के लिए तड़पा तड़पा कर मारता है बाद में खा जाता है।

और पढ़े :कृष्ण जन्माष्टमी पर निबंध

प्रेम का अर्थ Definition of Love in Hindi

प्रेम को संस्कृत के “परम” शब्द से लिया गया है। परम का अर्थ होता है सकारात्मक भाव की चरम सीमा को पार करना। लेकिन भाव के आधार पर प्रेम को परिभाषित करना बेहद ही कठिन है।

पुरातन काल से लेकर वर्तमान तक बहुत से कवि तथा लेखक हुए हैं जिन्होंने अपनी बुद्धि के अनुसार प्रेम को परिभाषित करने की कोशिश की है। जिनमें से संत कबीर कहते हैं कि प्रेम वह चीज है जिसे ना तो पैदा किया जा सकता है, ना मारा जा सकता है और ना ही इसे धन के माध्यम से बाजार से खरीदा जा सकता है।

महाकवि कालिदास के अनुसार प्रेम यह आत्मा से आत्मा का जुड़ाव है। जब दो आत्माएं परस्पर एक हो जाती हैं तो प्रेम भाव का जन्म होता है।

महाकवि तुलसीदास के अनुसार जब मनुष्य स्वयं का अस्तित्व समाप्त कर अनंत में समा जाता है तो उसे प्रेम कहा जा सकता है। कविराज सूरदास के अनुसार प्रेम और कुछ भी नहीं बल्कि ईश्वर का दूसरा नाम ही है।

आधुनिक कवियों और लेखकों के अनुसार खुद को किसी व्यक्ति में देखने के भाव को प्रेम कहा जाता है। 

जीवन में प्रेम का महत्व Importance of Love in Life in Hindi

प्रेम का हर परिप्रेक्ष्य में बहुत ही अधिक महत्व है। इंसान के हर समय में प्रेम शामिल होता है। वह चाहे किसी से भी हो। किसी को धन से हो सकता है तो किसी को तन से, किसी को आत्मा से हो सकता है तो किसी को परमात्मा से अर्थात प्रेम सर्वोपरि है।

मानव जीवन की हर गतिविधि का अंत तथा प्रेम का केंद्र बिंदु उस ईश्वर की प्राप्ति है। आत्मा को परमात्मा का स्वरूप ही कहा जाता है और जब यह आत्मा उस परमात्मा के साथ मिलती है तब प्रेम चरम सीमा लांघ जाता है।

आध्यात्मिक दृष्टि से प्रेम का महत्व बहुत ही अधिक है क्योंकि हर अनुष्ठान तथा पूजा पद्धति का कारण प्रेम भाव का उत्पन्न होना ही है। ऐसा माना जाता है कि जिस इंसान के अंदर संवेदना तथा प्रेम की कमी होगी उसकी कोई भी अनुष्ठान या पूजा पद्धति ईश्वर तक न पहुंच सकेगी।

जहां प्रेम होता है वहां पर कोई दूसरे दुर्गुण ठहर नहीं सकते। इसलिए कहा जा सकता है कि प्रेम गुणों का राजा है। लेकिन आज प्रेम की परिभाषा साहित्यिक तड़क-भड़क तक ठहर चुकी है।

वर्तमान साहित्य प्रेम को परिभाषित करने के लिए प्रियतमा के रूप वर्णन तथा विछोह भावना को सर्वोपरि मानते हैं। जिसके कारण उनके साहित्य को पढ़ने वाले लोग भी प्रेम की गलत परिभाषा को आत्मसात करते हैं।

कभी-कभी प्रेम के नाम पर कुछ लोग पशु वृत्ति को अंजाम देने से भी नहीं कतराते। इसलिए प्रेम के महत्व को समझने से जरूरी है प्रेम की सही परिभाषा को समझना।

प्रेम की सबसे बड़ी परिभाषा के रूप में हमारी माता सामने आती हैं। मां अपने बच्चों से निस्वार्थ प्रेम करती हैं। जिसके लिए वह तन, मन, धन तथा अपना जीवन अर्पित कर देती है। जरूरत पड़ने पर वह अपने परिवार के लिए काल से भी लोहा लेने के लिए तैयार रहती है।

सामाजिक दृष्टि से प्रेम का महत्व कम नहीं है क्योंकि जिस समाज में प्रेम की अधिकता होगी वहां पर परस्पर सहयोग की भावना की अधिकता होगी। उस स्थान पर कोई गरीब नहीं रहेगा।

जहां पर प्रेम के अधिकता होती है वहां के मनुष्य प्रसन्न रहता है तथा वह हर परिप्रेक्ष्य में विकास करते चले जाता हैं। इसलिए कहा जा सकता है कि प्रेम यह सबसे जरूरी चीज है।

प्रेम पर 10 लाइन 10 Lines on Love in Hindi

  1. संसार में प्रेम ही एकमात्र ऐसी चीज है जिसे परिभाषित नहीं किया जा सकता। प्रेम को धन देकर खरीदा भी नहीं जा सकता।
  2. बहुत से कवि प्रेम को सर्वोच्च गुण की उपाधि भी दे चुके हैं।
  3. प्रेम के गहरे स्वरूप को भक्ति कहते हैं और भक्तगण प्रेम को भक्ति की चरम सीमा कहते हैं।
  4. भी धर्म ग्रंथ प्रेम को ही ईश्वर प्राप्ति का एकमात्र मार्ग बताते हैं।
  5. प्रेम को संस्कृत के परम शब्द से लिया गया है। परम का अर्थ होता है सकारात्मक भाव की चरम सीमा को पार करना।
  6. महाकवि कालिदास के अनुसार प्रेम यह आत्मा से आत्मा का जुड़ाव है।
  7. महाकवि तुलसीदास के अनुसार जब मनुष्य स्वयं का अस्तित्व समाप्त कर अनंत में समा जाता है तो उसे प्रेम कहा जा सकता है
  8. जब यह आत्मा उस परमात्मा के साथ मिलती है तब प्रेम चरम सीमा लांघ जाता है।
  9. जहां प्रेम होता है वहां पर कोई दूसरे दुर्गुण ठहर नहीं सकते इसलिए कहा जा सकता है कि प्रेम गुणों का राजा है।
  10. वर्तमान साहित्य प्रेम को परिभाषित करने के लिए प्रियतमा के रूप वर्णन तथा विछोह भावना को सर्वोपरि मानते हैं।

निष्कर्षConclusion

इस लेख में आपने प्रेम पर हिंदी में निबंध (Essay on love in Hindi) पढ़ा। आशा है यह लेख आपको सरल लगा हो । अगर यह लेख आपको पसंद आया हो तो इसे शेयर जरूर करें।

Leave a Comment

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.