महावीर स्वामी पर निबंध Essay on Mahavir Swami in Hindi

क्या आप महावीर स्वामी पर निबंध (Essay on Mahavir Swami in Hindi) की तलाश कर रहे हैं? अगर हां! तो आप सही स्थान पर हैं क्योंकि इस लेख में हमने जैन पंथ के 24वें तीर्थंकर स्वामी महावीर के जीवन पर निबंध लिखा है।

आज हमने इस लेख में प्रस्तावना, महावीर स्वामी का जन्म, शिक्षा, व्यक्तिगत जीवन, उपदेश तथा 10 लाइन के बारे में लिखा है।

प्रस्तावना (महावीर स्वामी पर निबंध Essay on Mahavir Swami in Hindi)

महावीर स्वामी को जैन पंथ के 24 वे तीर्थंकर के रूप में पूजा जाता है। जिनके ज्ञान को जैन धर्म के अनुयायियों के साथ पूरी दुनिया के लिए उपयोगी माना गया है।

समस्त राज वैभव को त्याग कर सन्यास धर्म को अपनाने के बाद स्वामी महावीर का जीवन पूरी तरह से बदल गया और उन्हें आत्म कल्याण का पथ प्राप्त हुआ।

दुनिया के सबसे सात्विक और शांत समुदायों में जैन समुदाय को भी शामिल किया जाता है क्योंकि इनका भोजन पूरी तरह से सात्विक और शुद्ध होता है। यहां तक कि यह समुदाय अपने भोजन में प्याज, लहसुन और दूध को भी शामिल करने से बचता है।

जैन संप्रदाय के अनुसार जब किसी प्रवर्तक का जन्म होता है तो वह दुनिया को बदल कर उसमें नवीनता का संचार करता है। इसी मार्ग को अपनाते हुए महावीर ने अंधविश्वास और कुरीतियों को मिटाकर आत्मा के सच्चे ज्ञान को अपनाने को कहा।

महावीर स्वामी का जन्म Birth of Mahavir Swami In Hindi

भगवान महावीर का जन्म ईसा से 599 वर्ष पूर्व चैत्र माह शुक्ल पक्ष की तेरस को वैशाली (वर्तमान बिहार) के कुंडलपुर में हुआ था। इनके पिता का नाम सिद्धार्थ था जो इक्ष्वाकु वंश के क्षत्रिय राजा थे। इनकी माता का नाम रानी त्रिशला था। भगवान महावीर के भाई का नाम नंदीवर्धन और उनकी बहन का नाम सुदर्शना था। 

धर्म ग्रंथों के अनुसार इनके जन्म के बाद राज्य में हुए लगातार उन्नति को देखकर इनका नाम वर्धमान रखा गया। इसके अलावा जैन ग्रंथ उत्तर पुराण में इन्हें वीर, अतिवीर, महावीर जैसे नामों से पुकारा गया है।

जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर स्वामी पार्श्वनाथ जी के मृत्यु के 188 साल बाद महावीर स्वामी का जन्म हुआ। जो जैन पंथ के 24 वे तीर्थंकर बने।

जैन समाज द्वारा महावीर स्वामी के जन्मदिन को महावीर जयंती और उनके मोक्ष दिवस को दीपावली के रूप में धूमधाम से मनाया जाता है।

महावीर स्वामी का शुरुवाती जीवन Early life of Mahavir Swami In Hindi

एक राजा के पुत्र होने के कारण महावीर स्वामी का शुरुआती जीवन बेहद सुख-सुविधाओं से भरा हुआ रहा। लेकिन उन्हें यह सुख सुविधाएं कांटों के जैसी प्रतीत होती थी।

किशोरावस्था तक पहुंचते-पहुंचते महावीर शास्त्रों तथा शास्त्र में निपुण हो गए। बेहद छोटी उम्र में जहरीले सांपों तथा उन्मादी हाथियों को काबू में कर लेने के बाद इनका नाम महावीर पड़ा।

बेहद कम उम्र में इनके अंदर दया, करुणा तथा क्षमाशीलता का भाव पनप चुका था जिसके कारण यह गाय के बछड़ों को खोल देते और वह जाकर सारा दूध पी जाते।

प्रकृति से प्रेम के कारण अक्सर जंगलों में विचरण, नदियों में तैरना तथा बड़े-बड़े पेड़ों पर चढ़ना इनके रोजाना के जीवन में शामिल हो चुका था।

महावीर स्वामी के बड़े भाई नंदीवर्धन के साथ यह अपने युद्ध कला का अभ्यास करते। इनके ज्ञान व कुशलता को देखकर इनके माता-पिता बेहद ही गर्व का अनुभव करते।

महावीर स्वामी की शिक्षा Education of Mahavir Swami In Hindi

जैन संप्रदाय में जैन तीर्थकरों द्वारा दिए गए ज्ञान को ही सर्वोपरि माना जाता है। लेकिन महावीर स्वामी के शिक्षा दीक्षा के बारे में बहुत से मतभेद पाए जाते हैं।

इनके माता-पिता पारसव के शिष्य माने जाते हैं जिसके कारण इनकी शुरुआती शिक्षा दीक्षा जैन तीर्थंकर के ज्ञान और पारसव को माना जाता है।

महावीर स्वामी को परमात्मा का अवतार माना जाता है जिसके कारण इन्हें खुद ज्ञान पुंज कहा जाता है। आगे चलकर शास्त्र अध्ययन और तपस्या के बाद इन्हें आत्मज्ञान प्राप्त होता है।

ध्यान के बाद इन्हें शक्ति ज्ञान और आशीर्वाद की प्राप्ति हुई। जिसके बाद उन्होंने वास्तविक जीवन के दर्शन और उसके आनंद की शिक्षा देने के लिए जगह-जगह विचरण भी किया।

महावीर स्वामी का व्यक्तिगत जीवन Personal Life of Mahavir Swami In Hindi

जैन संप्रदाय के एक महत्वपूर्ण पंथ दिगंबर परंपरा के अनुसार महावीर स्वामी बाल ब्रह्मचारी थे और वे कभी भी शादी नहीं करना चाहते थे।क्योंकि भोग विलास में उनकी जरा भी रुचि नहीं थी। वे इसे दिगंबर परंपरा  के विपरीत मानते थे।

इनके दूसरे महत्वपूर्ण पंथ श्वेतांबर संप्रदाय के अनुसार उनके माता-पिता की इच्छा के कारण महावीर स्वामी ने विवाह यशोदा नामक कन्या से की जिसके बाद इन्हें प्रियदर्शिनी नामक पुत्री की प्राप्ति हुई।

बहुत ही जल्द सांसारिक मोह से विरक्त होने के कारण महावीर ने साधना और ईश्वर भक्ति के मार्ग को चुना। और अपना बाकी का जीवन सांसारिक मोह माया से दूर व्यतीत किया। 

महावीर स्वामी के उपदेश Teachings of Mahavir Swami In Hindi

महावीर स्वामी ने आजीवन कठिन तपस्या की और वैराग्य को आत्मसात किया। जिसके बाद उन्हें ब्रह्म ज्ञान की प्राप्ति हुई। ब्रह्म ज्ञान की प्राप्ति होने के बाद उन्होंने लोगों के विचारों को बदलने का भरपूर प्रयास किया।

अपने उपदेशों के माध्यम से उन्होंने जनमानस का परिष्कार किया। स्वामी महावीर के उपदेशों में 5 सिद्धांतों को शामिल किया जाता है। जिसे पंचशील सिद्धांत भी कहा जाता है।

महावीर स्वामी के पंचशील सिद्धांतों में सत्य, ब्रम्हचर्य, अहिंसा, अपरिग्रह ( जमाखोरी ना करना), अस्तेय को शामिल किया जाता है। माना जाता है कि इन्ही सिद्धांतों पर पूरा जैन धर्म टिका हुआ है।

जैन संप्रदाय में पांच व्रतों का उल्लेख मिलता है। सत्य के बारे में भगवान महावीर कहते हैं कि सत्य ही भगवान का स्वरूप है। जो व्यक्ति बुद्धिमान होता है वह इसे जल्दी समझ लेता है।

अहिंसा के लिए वे कहते हैं कि किसी भी जीव के लिए निर्दयी मत बनो। उनकी हिंसा मत करो। उनको उनके रास्ते से मत रोको सबके लिए दया भावना रखो।

अचैर्य या अस्तेय पर उन्होंने कहा है कि किसी भी व्यक्ति को बिना आदेश के किसी के भी सामान को छूना नहीं चाहिए। इसे जैन ग्रंथों में चोरी करना कहा गया है।

अपरिग्रह के लिए स्वामी महावीर का कहना था कि जो व्यक्ति सजीव व निर्जीव तत्वों का संग्रह करता है उसे दुखों से कभी छुटकारा नहीं मिल सकता।

ब्रम्हचर्य के बारे में वे बहुत ही अमूल्य ज्ञान देते हैं वे कहते हैं कि बिना ब्रम्हचर्य किसी भी प्रकार की तपस्या, ध्यान, दर्शन, संयम की उपयोगिता न के बराबर है। 

इसके अलावा वे क्षमा को सबसे अच्छा संकल्प तथा अहिंसा और संयम को सबसे अच्छा तप मानते थे। महावीर जी कहते हैं जो असली धर्मात्मा है उनके मन में सदा धर्म निवास करता है जिन्हें देवता भी नमस्कार करते हैं।

ज्ञान प्राप्ति के बाद जन समूह में से बहुत से व्यक्तियों ने आगे आकर अपना जीवन दान करने का निर्णय लिया। जिसके बाद वह पूर्ण रुप से महावीर के शिष्य हो गए। महावीर के उपदेशों को आगे चलकर उनके शिष्यों ने पूरी दुनिया में फैलाया।

महावीर स्वामी पर 10 लाइन Best 10 Lines on Mahavir Swami in Hindi

  1. भगवान महावीर स्वामी जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थकर के रूप में पूजा जाता है।
  2. महावीर स्वामी  का जन्म वैशाली के निकट कुण्डलग्राम नामक गांव में 540 ई. में हुआ था।
  3. उनके पिता श्री सिद्धार्थ वैशाली के शासक थे। उनकी माता का नाम त्रिशला देवी था।
  4. बाल्यावस्था में महावीर स्वामी का नाम वर्धमान था। 
  5. किशोरावस्था में एक बड़े सांप तथा मदमस्त हाथी को वश में कर लेने के कारण वह महावीर के नाम से पुकारे जाने लगे।
  6. महावीर स्वामी 30 वर्ष की आयु में घर छोड़ने के बाद ये गहरे ध्यान में लीन हो गए
  7. स्वामी महावीर ने लोगों के जीवन के दर्शन, उसके गुण और जीवन के आनंद से शिक्षित करने के लिए पूरे भारत की यात्रा की।
  8. महावीर का विवाह बसन्तपुर के महासामंत समरवीर की पुत्री, यशोदा से हुआ था।
  9. एकांत व शान्त स्थानों में आत्मशुद्धि के लिए  महावीर स्वामी तपस्या में लीन हो गये। बारह वर्ष तक तपस्या करने के बाद उनको सच्चे ज्ञान की प्राप्ति हुई।
  10. पांच मुख्य सिद्धान्त हैं-सत्य, अहिंसा, चोरी न करना, आवश्यकता से अधिक संग्रह न करना और जीवन में शुद्धिकरण।

मृत्यु Mahavir Swami Death in Hindi

महावीर स्वामी का जीवन काल बेहद ही परमार्थ में बीता और मात्र 30 वर्ष की उम्र में उन्होंने धर्म की जागरूकता के लिए अपना सब कुछ त्याग दिया था।

लोगों को सत्य अहिंसा और ब्रम्हचर्य का ज्ञान देने के लिए उन्होंने 30 सालों तक लगातार यात्राएं की और 527 ईसवी पूर्व 72 वर्ष की आयु में निर्वाण प्राप्त किया।

निष्कर्ष Conclusion

 इस लेख में अपने महावीर स्वामी पर निबंध हिंदी में (Essay on Mahavir Swami in Hindi) पढ़ा। आशा है यह निबंध आपको पसंद आया होगा। अगर यह लेख आपको अच्छा लगा हो तो शेयर जरूर करें। 

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