ओणम पर निबंध Essay on Onam in Hindi (1000+Word)

इस लेख में हमने ओणम पर निबंध (Essay on Onam in Hindi) लिखा है। दिए गए निबंध में ओणम पर्व क्या है तथा यह कब और कैसे मनाया जाता है। साथ ही ओणम त्योहार के महत्व तथा दिए गए ओणम पर दस पंक्तियाँ इस निबंध को आकर्षक बनाते हैं। 

प्रस्तावना (ओणम पर निबंध  Essay on Onam in Hindi)

भारतवर्ष में अनेकों पंथ तथा संप्रदाय के लोग रहते हैं। इसलिए इसे एक धर्मनिरपेक्ष देश भी कहा जाता है। किसी भी देश की बौद्धिक उन्नति वहां के पर्वों के माध्यम से लगाया जा सकता है।

हर धर्म में त्योहारों का विशेष महत्व होता है। त्योहार यह मानव संस्कृति के दर्पण होते है। सनातन संस्कृति के त्योहार सिर्फ धर्म विशेष के लोगों के लिए नहीं वरन समूचे मानव समाज को दिशा दिखाने के लिए आते हैं।

ओणम त्योहार भी सनातन संस्कृति के उन्हीं चिन्हों में से एक हैं जो लोगों को सामाजिक उत्साह के साथ  बौद्धिक तथा आध्यात्मिक ज्ञान देने आता है।

ओणम त्योहार विश्व पालनहार भगवान विष्णु की महानता का ज्ञान तथा उनके सद्गुणों का गान कराने वाला एक अनोखा पर्व है। 

ओणम क्या है? What is Onam in Hindi?

ओणम केरल का एक बहुत ही प्रमुख तथा प्राचीन त्योहार है जो बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार चिंगम महीने में मनाया जाता है। चिंगम माह मलयालम कैलेंडर का पहला महीना होता है जो अगस्त-सितंबर के महीने में ही आता है। 

ओणम शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द श्रवणम शब्द से हुई है, “श्रवणं” संस्कृत में 27 नक्षत्रों या नक्षत्रों में से एक की ओर इंगित करता है। दक्षिण भारत में थिरु शब्द का उपयोग भगवान विष्णु से जुड़ी हर चीज के लिए किया जाता है।

थिरुवोनम को भगवान विष्णु का नक्षत्र माना जाता है प्रभु विष्णु ने महान राजा महाबली को अपने पैर से पाताल में दबाया था। 

इस त्योहार को अभिमान नाशक के रूप में मनाया जाता है तथा जन समूह इस त्योहार प्रेरित तथा प्रफुल्लित होता है।

ओणम कब है? Onam Celebration Date

दूसरे सोलर कैलेंडर में इसे सिम्हा महीना भी कहते हैं। तमिल कैलेंडर के अनुसार इसे अवनी महीना भी कहते हैं। 

इस वर्ष ओणम 12-23 अगस्त को मनाया जाएगा। यह दिन हर प्रकार के सद्कार्य के लिए शुभ समय माना जाता है।

ओणम क्यों मनाई जाती है? Why is Onam Celebrated in Hindi?

भगवान विष्णु के परम भक्त कहे जाने वाले श्री प्रहलाद जी असुर कुल में जन्म लेने के बावजूद भी अपने कर्म से हरि भक्त ही कहलाए। प्रहलाद के पोते बलि भी उनके ही गुणों के साथ पैदा हुए।

राजा बलि की ख्याति स्वर्ग तक फैली हुई थी। वे उस वक्त दानवीर कह जाते थे क्योंकि उनके द्वार पर कोई भी इंसान दुख ही वापस नहीं जाता था।

अपनी प्रजा के लिए राजा बलि एक भगवान समान थे। प्रजा उनसे बेहद खुश थी तथा उनकी पूजा करती थी तथा वे भी अपनी प्रजा से बेहद प्रेम करते थे। उनके राज्य में अन्याय का नामोनिशान नहीं था।

लेकिन उनके अंदर अहम भाव की कुछ मात्रा पनप चुकी थी।  देवताओं ने सोचा की कहीं राजा बलि का अहम भाव स्वर्ग को छीनने की इच्छा ना प्रकट करने लगे। इसलिए वे सभी भगवान विष्णु के पास अपनी गुहार को ले गए।

भगवान अपने भक्तों को किसी भी बुराई से दूर रखते हैं। इसलिए भगवान विष्णु वामन अवतार धारण कर राजा बलि के अहंकार को नष्ट करने निकल पड़े।

भगवान विष्णु ने वामन अवतार धरकर राजा बलि के दरबार में पहुंचे और कुछ दान करने के लिए कहा। लेकिन अभिमान वश राजा बलि ने कहा कि आप इस संसार की कोई भी चीज मांग सकते है।

पहले तो भगवान विष्णु ने उन्हें रोका लेकिन उनके अभिमान को देखकर उन्होंने कहा कि मैं जो मांग लूंगा शायद आप वो ना दे सके। ऐसे में राजा बलि का अभिमान सातवें आसमान को छू गया और उन्होंने वामन देवता को खुलकर कुछ भी मांगने का आदेश दिया।

वामन देवता के रूप में भगवान विष्णु ने उनसे सिर्फ तीन पग की जमीन मांगी। पहले तो राजा बलि ने उनका उपहास उड़ाया और कुछ बड़ा मांगने को कहा। लेकिन वामन देवता के आग्रह पर वे मान गए और तीन कदम नापने का आदेश दिया।

वामन देवता ने अपने पहले कदम के रूप में पूरी धरती नाप दी। यह देखते ही राजा बलि को अपनी भूल का एहसास हुआ। दूसरी कदम के रूप में वामन देवता ने अंतरिक्ष को नाप दिया। जैसे ही वे तीसरे कदम को उठाने चले तभी राजा बलि ने उनके चरणों को पकड़कर विलाप करना शुरू कर दिया।

उन्होंने अपने अभिमान के लिए उनसे माफी मांगी। अपने कथन अनुसार उन्होंने अपनी राजगद्दी त्याग दी और पाताल लोक में जाकर राज करने लगे।

उनके वचन पालन से खुश होकर भगवान विष्णु ने उन्हें एक वरदान मांगने को कहा तो उन्होंने वर्ष में एक दिन धरती पर आकर अपनी प्रजा को देखने की अनुमति मांगी। उनके इस वरदान को भगवान ने मान लिया।

ऐसा माना जाता है कि हर वर्ष ओणम के दिन ही राजा बलि धरती पर आकर अपनी प्रजा तथा राज्य को देखते हैं। केरल की प्रजा अपने राजा की याद में हर वर्ष इस त्योहार को मनाती है।

ओणम का महत्व Importance of Onam Festival in Hindi

ओणम त्योहार का सनातन संस्कृति में बहुत ही अधिक महत्व है। क्योंकि यह ऐसे उपलक्ष को इंगित करता है जिसमें जगत के पालनहार भगवान विष्णु इंसान रूप में धरती पर अवतरित हुए थे।

भगवान विष्णु जी धरती पर भगवान राम तथा भगवान कृष्ण के रूप में जन्म लिए थे। वामन अवतार भी प्रभु हरि के दस अवतारों में से एक हैं इसलिए इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।

ओणम त्योहार का महत्व तीन अलग पहलुओं के माध्यम से हमारे सामने आता है। सामाजिक रूप से ओणम त्योहार का महत्व किसी भी त्योहार से अधिक है। इस त्योहार के दिन पूजा पद्धति तथा जनसमूह की मानसिकता में एकरूपता देखने को मिलती है।

इस दिन लोग दक्षिण भारत में रहने वाले हिंदू बिना किसी भेदभाव के संगठित होते हैं और भगवान विष्णु को अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं जहां एक तरफ हिंदू एकता में वृद्धि होती है वहीं दूसरी तरफ वैचारिक समरसता भी बढ़ती है।

ओणम पर्व के सांस्कृतिक महत्व के रूप में हमारे युवा तथा आने वाली पीढ़ियों को सनातन संस्कृति की विशालता तथा प्राचीनता का अनुभव विरासत में देना है। इन त्योहारों के माध्यम से ही हमें हिंदू धर्म के ज्ञान तथा विशालता का स्त्रोत प्राप्त हो सकता है।

ओणम कैसे मनाया जाता है? How is Onam Celebrated in Hindi

ओणम पर्व यह दस दिनों तक चलने वाला पर्व है लेकिन इसके आने के कई दिन पहले ही घरों व दुकानों में साफ-सफाई तथा खरीदी शुरू हो जाती है। ओणम त्योहार के दिन सभी के घरों में काफी चहल-पहल तथा उल्लास का माहौल रहता है।

पहले दिन के रूप में राजा बलि के पाताल जाने की तैयारी होती है। दुसरे तथा तीसरे दिन दिन फूलों का कालीन बनाया जाता है जिसे चिथिरा कहते हैं। चौथे दिन विशेष प्रतियोगिताएँ होती हैं जिसे विशाकम तथा पाचवे दिन नाव दौड़ की प्रतियोगिता को अनिजहम कहते हैं।

छठे दिन को थ्रिकेता कहते हैं इस दिन छुट्टियों का ऐलान होता है। सातवें दिन विशेष पूजा होती है जिसे मलुम कहते हैं। आठवें दिन भगवान विष्णु और राजा बलि की मूर्ति स्थापित की जाती है जिसे पुरादम कहते हैं। नौवें दिन राजा बलि केरल में प्रवेश करते हैं जिसे उठ्रादम कहते हैं। दसवे दिन होने वाली रस्मों थिरुवोनम कहते हैं।  

ओणम के दिन महिलाऐं सफ़ेद साड़ी पहनती हैं तथा बालों में सफ़ेद फूलों के गजरे लगाती है। छोटी बच्चियाँ सफ़ेद फ़्रोक या अन्य सफ़ेद वस्त्र धारण करती हैं।

पुरुष पारंपरिक धोती कुर्ते को पहनते हैं तथा माथे पर सफ़ेद चन्दन लगाते हैं। इस दिन भगवान् विष्णु की प्रतिमा को विशेष रूप से सजाया जाता है तथा मंदिरों में भगवान् का विशेष श्रृंगार किया जाता है।

इस दिन नृत्य तथा संगीत का भी रिवाज है नृत्य में केरल के प्रसिद्ध नृत्य “कथकली” को किया जाता है। घर के चौखट पर विशेष रंगोली बनाई जाती है।

कई जगहों पर इस दिन मेला लगाया जाता है तथा हाथियों को सजाकर विशेष जुलूस भी निकाला जाता है। पुरे भारत में जहाँ कही भी केरल के निवासी होते हैं वे सभी इस त्योहार को जरूर मनाते हैं।

ओणम त्योहार के पकवान Festival Recipe in Hindi

ओणम पर 26 पकवानों वाले सद्या को एक पत्ते पर परोसा जाता है. पुराने लोग ‘सद्या’ के हर पकवान को पत्ते पर खास तरीके व क्रम में परोसते हैं. इन व्यंजनों में कई तरह के अचार, कई तरह की सब्जियां, केले के चिप्स, कच्चे केले की मिठाई व अन्य तरह के पकवान शामिल होते हैं

ओणम पर 10 लाइन 10 Lines on Onam in Hindi

  1. ओणम केरल का एक बहुत ही प्रमुख तथा प्राचीन त्योहार है जो बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
  2. ओणम शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द श्रवणम शब्द से हुई है।
  3. इस त्योहार को अभिमान नाशक के रूप में मनाया जाता है।
  4. ओणम के दिन ही राजा बलि धरती पर आकर अपनी प्रजा तथा राज्य को देखते हैं।
  5. ओणम पर्व यह दस दिनों तक चलने वाला पर्व है।
  6. ओणम के दिन महिलाऐं सफ़ेद साड़ी पहनती हैं तथा बालों में सफ़ेद फूलों के गजरे लगाती है।
  7. इस दिन भगवान् विष्णु की प्रतिमा को विशेष रूप से सजाया जाता है।
  8. इन त्योहारों के माध्यम से ही हमें हिंदू धर्म के ज्ञान तथा विशालता का स्त्रोत प्राप्त हो सकता है।
  9. इस दिन रल के प्रसिद्ध नृत्य “कथकली” को किया जाता है।
  10. इस दिन मेला लगाया जाता है तथा हाथियों को सजाकर विशेष जुलूस भी निकाला जाता है। 

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में आपने ओणम पर निबंध (Essay on Onam in Hindi) पढ़ा। आशा है यह लेख आपको पसंद आया हो। अगर लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरुर करें। 

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