पोंगल त्योहार पर निबंध Essay on Pongal Festival in Hindi(1000W)

आज हमने इस लेख में पोंगल त्योहार पर निबंध Essay on Pongal Festival in Hindi लिखा है जिसमें हमने प्रस्तावना, पोंगल का अर्थ, वर्णन, तथा 10 लाइन के बारे में बताया है।

प्रस्तावना (पोंगल त्योहार पर निबंध Essay on Pongal Festival in Hindi)

पोंगल यह तमिलनाडु का त्यौहार है यह चार दिनों का होता है इस त्यौहार को जनवरी महीने में मनाया जाता है। यह वह मौसम है जिस समय चावल गन्ना हल्दी उगाई जाती हैं।

पोंगल का क्या अर्थ है? What Does Pongal Mean in Hindi?

पोंगल का अर्थ है परिपूर्ण अर्थात इन दिनों सभी का घर धान और धन से भरा रहना। पोंगल का संबंध उत्तरायण से है अर्थात सूर्य का उत्तर दिशा में गमन।

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पोंगल त्योहार का वर्णन The Description of Pongal Festival in Hindi

पोंगल के पहले और बाद के दिन का भी बड़ा महत्व है-

1. भोगी पोंगल (प्रथम दिन) Bhogi Pongal

पहले वाले दिन को भोगी कहते हैं। इस दिन लोग अपने घरों को साफ सुथरा करते हैं तथा पुरानी और बेकार की चीजों को निकाल कर बाहर फेंक देते हैं।

पोंगल से पहले लोग सारी रात बेकार चीजों की होली जलाते हैं। होली के साथ-साथ लड़के छोटे छोटे ढोल पीटते हैं इस ढोल को तमिल में भोगी कुट्टू कहते हैं। भोगी ऋतु के राजा इंद्र को समर्पित है। इस ऋतु में पेड़ों पर नए नए पत्ते और फूल आते हैं।

इस त्यौहार से नहीं जीवन की शुरुआत की प्रेरणा मिलती है। इस दिन घर की औरतें चावल के आटे से घर के फर्श पर कुछ आकृतियां बनाती हैं, जिन्हें कोल्लम कहते हैं। यह कोल्लम नई फसल की चावल से बनते हैं इसलिए इसका विशेष महत्व है।

2. सूर्य पोंगल (दूसरा दिन) Surya Pongal

भोगी के अगले दिन बड़ा पोंगल मनाया जाता है। इस दिन घर के बाहर और बहुत बड़ा  रंग बिरंगी रंगोली बनाई जाती है। यह कोल्लम सूर्य देवता को समर्पित होता है। 

सूर्य की ऊष्मा और प्रकाश से हि फसलें पैदा होती है। फसलें ना हो तो हमें कुछ खाने को भी ना मिले। इसलिए पोंगल के दिन सूर्य देवता की पूजा अर्चना की जाती है। सूर्य देवता को सरकारी का भोग लगाया जाता है जो। 

पोंगल के दिन विशेष रूप से लोग नए बर्तन खरीद कर लेते हैं और उसमें दूध डालते हैं, जब दूध उबलने लगता है तब उसमें नई फसल का थोड़ा सा चावल और गुड़ डालते हैं, अंत में मसाले आदि डालकर उसे पकाया जाता है। 

बर्तन के मुंह पर हल्दी का पौधा बांधा जाता है। तमिलनाडु में हल्दी को बड़ा ही पवित्र माना जाता है। हल्दी और धान की फसल एक साथ निकलती है इसके अलावा ईख की फसल भी उतरती है।

एक जगह पर सूर्य की आकृति बनाई जाती है। घर के सभी सदस्य नहा धोकर सूर्य देवता की विधिवत पूजा अर्चना करते हैं। सूर्य को साष्टांग प्रणाम करके उनका आशीर्वाद लिया जाता है। पूजा के पश्चात सरकरई का प्रसाद बांटा जाता है, साथ ही इख ( गन्ना) के छोटे-छोटे टुकड़े कार सबको प्रसाद दी जाती है।

3. मट्टू पोंगल (तीसरा दिन) Mattu Pongal

पोंगल मनाया जाता है। इस दिन पशुओं के प्रति कृतज्ञता प्रकट की जाती है। किसान बैल के मदद से ही खेत जोतता और बोता है। इसीलिए मट्टू पोंगल पर गाय बैलों का विशेष महत्व होता है।

इस दिन सभी अपने पालतू पशुओं की पूजा कर उसे भोग लगाते हैं। उनके मस्तक पर हल्दी कुमकुम लगाकर उनके गले में पुष्पा हार डाला जाता है। बैल गाड़ियों हलो और खेती के औजारों को, हथियारों पर रंग रोगन किया जाता है।

बालों के सिंगो को घिस घिस कर नोक दार बनाया जाता है, और उन लोगों को धातु के छल्ले पहनाए जाते हैं। लोग अपने अपने खेतों के बीच गोबर का गणेश बनाकर उन्हें दुब और फूलों से सजाते हैं, तथा हल्दी, ईख और अदरक से उनकी पूजा करते हैं। दोपहर होते-होते मंजी विरट्टू शुरू हो जाता है। 

बैलों के मालिक उन्हें खूब सजाते हैं, उनके घरों में मोतियों की माला तथा घंटियां बांध दि जाती है। एक कपड़े में रुपए बांधकर उसे रंग-बिरंगे सिंह ओ वाले बैलों के सिंगो में बांध दिया जाता है। 

बैल गलियों में दौड़ने लगते हैं, जवान और साहसी युवक इन बालों को काबू में करने की कोशिश करते हैं। जो कोई ऐसा करने में सफल हो जाता है पोटली में बंधा हुआ रुपए उसका हो जाता है।

कुछ बैल बहुत ही क्रोधित और अडियल भी होते हैं। वह किसी को भी अपने पेट पर सवार नहीं होने देते हैं। यदि कोई उनके गले का हार उतारने की कोशिश करें तो वह भड़क उठते हैं, कुछ लोग इस खेल में बुरी तरह से घायल भी हो जाते हैं।

शाम के समय ग्राम देवी के मंदिर में किसानों की स्त्रियां पूजा करने को एकत्रित होती हैं। इसके बाद बैलगाड़ी की दौड़ होती है जिसमें बच्चे, बूढ़े, स्त्रियां सभी शामिल होते हैं।

4. कन्नुम पोंगल (चौथा दिन) Kaanum Pongal

चौथे दिन जाने की अंतिम दिन को कानूम पोंगल के नाम से जाना जाता है। इस दिन सब कोई मिलजुल कर एक साथ बैठकर खाना खाते हैं, तथा बड़ों का आशीर्वाद लेते हैं। इसी तरह से पोंगल का त्यौहार मनाया जाता है।

पोंगल त्योहार पर 10 लाइन 10 Line on Pongal Festival in Hindi

भारत में पोंगल के विषय में 10 लाइन-

  1. पोंगल दक्षिण भारत का एक प्रसिद्ध त्योहार है।
  2. यह त्योहार विशेष रूप से तमिलनाडु में मनाया जाता है।
  3. पोंगल का उत्सव 4 दिन तक मनाया जाता है।
  4. यह त्यौहार किसानों का त्यौहार है।
  5. इस दिन सूर्य भगवान की पूजा अर्चना की जाती है।
  6. यह त्यौहार 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है।
  7. पोंगल के पहले दिन भगवान इंद्र की पूजा की जाती है।
  8. इस पोंगल त्यौहार को लोग बहुत ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाते हैं।
  9. पोंगल शब्द का दो अर्थ होता है, पहला यह कि इस दिन सूर्य देवता को प्रसाद अर्पित किया जाता है यह पोंगल कहलाता है तथा दूसरा तमिल भाषा में पोंगल का कुछ अलग ही अर्थ होता है अच्छी तरह उबालना।
  10. यह एक फसली त्यौहार है।

निष्कर्ष Conclusion

पोंगल का त्यौहार लोगों के जीवन को आनंद और खुशियों से भर देता है। यदि आपको हमारा यह पोंगल त्योहार पर निबंध Essay on Pongal Festival in Hindi अच्छा लगा हो तो हमें कमेंट करें। धन्यवाद!

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