डाकिया पर निबंध Essay on Postman in Hindi

क्या आप डाकिया पर निबंध (Essay on Postman in Hindi) की तलाश कर रहें हैं? अगर हाँ! तो इस लेख के बाद आपकी सारी तलाश पूरी होने वाली है। इसमें हमने डाकिया क्या है, कार्य, जीवन, महत्व और डाकिया पर 10 लाइन के बारे में बताया है।

प्रस्तावना (डाकिया पर निबंध Essay on Postman in Hindi)

डाकिया का हमारे जीवन में बहुत ही अधिक महत्व होता है। अगर डाकिया न होता तो आज हम अपने चहेतों और जरूरी खबर हम तक नहीं पहुँच पाते।

डाकिया का अर्थ? कौन होता है? Who is Postman in Hindi?

डाकिया एक सरकारी कर्मचारी होता है जो जगह जगह घूम कर लोगों के लिए आये संदेश को उनतक पहुंचाता है। डाकिया का नाम लेते ही एक ऐसे व्यक्ति की कल्पना की जाती है जो एक साधारण सा पोशाक पहने हुए साइकिल पर सवार होकर जगह जगह पर संदेश वितरण करने का कार्य करता है।

इसे लोग कई नामों से जानते हैं जैसे- डाक बाबू, पोस्टमैन, डाकिया भैया, डाकिया चाचा और गांव के लोगों इसे देवदूत भी बुलाते हैं क्योंकि यह उन्हें जरूरी जानकारी लाकर देते हैं।

आमतौर पर ग्रामीण इलाकों में यह खाकी रंग का पैंट और कमीज पहने हुए सिर पर खाकी रंग की टोपी पहने हुए दिखते हैं तथा उनके कंधों पर चमड़े से बनी एक साधारण सी थैली जरूर होती है जिसने भी जरूरी पत्र वगैरह रखता है।

डाकिये का कार्य बहुत ही कठिन होता है क्योंकि उसे एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में विभिन्न मुहल्लों, गलियों और घरों तक जा जाकर संदेश को पहुंचाना होता है।

इनका कार्य पत्र, तार, मनी ऑर्डर और पार्सल इत्यादि को लोगों तक पहुंचाने का होता है। लोग इसके आने की प्रतीक्षा बड़ी व्याकुलता से करते हैं। यह  कुछ लोगों  तक बेहद सुखद समाचार और कुछ लोगों को दुखद समाचार भी पहुंचाता है।

डाकिये बहुत ज्यादा पढ़े लिखे तो नहीं होते किंतु उन्हें थोड़ी बहुत दूसरी भाषाओं का ज्ञान होता है जिससे उन्हें डाक पर लिखा पता और अन्य जरूरी चीजों को पढ़ने में बहुत सहायता मिलती है।

डाकिया का कार्य Work of The Postman in Hindi

डाकिया का कार्य किसी पेशेवर व्यक्ति से भी ज्यादा कठिन होता है। यह प्रभात में ही अपने काम के लिए घर से निकल पड़ते हैं और देर रात अपना काम निपटा कर घर पर वापस लौटते हैं जिसके लिए इन्हें कुछ खास वेतन भी नहीं मिलता है।

इनका कार्य अत्यंत चुनौतीपूर्ण होता है क्योंकि उसे सर्दी, गर्मी और बरसात के मौसम में भी अपना काम करना ही पड़ता है। बीमार पड़ जाने पर भी कभी कभार इन्हें छुट्टी भी नहीं दी जाती है  जिससे उनके स्वास्थ्य पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है।

डाकिये सबसे पहले अलग-अलग क्षेत्रों के डाक को छाँट लेते हैं और बाद में उन पर मोहर लगाकर उसे  दिए गए पते तक पहुंचाते हैं ।

दिन रात काम करने के बाद भी इनकी पगार बहुत ही ज्यादा कम होती है जिससे पूरे महीने का गुजारा कर पाना अत्यंत मुश्किल  हो जाता है। इतना कम वेतन पाकर भी यह अपना काम पूरे परिश्रम और ईमानदारी के साथ करते हैं।

इनके थैले में बहुत से जरूरी कागजात, पैसे और अन्य दस्तावेज होते हैं, जिससे रास्ते में जाते हुए कई बार इन्हें लुटेरों का सामना भी करना पड़ जाता है। ऐसे किसी भी दुर्घटना की भरपाई कई बार इन्हें अपने पैसे से  करनी पड़ जाती है।

डाकिया का इतिहास History of Postman in Hindi

प्राचीन समय में जब कोई भी साधन सुविधा नहीं हुआ करती थी तब भी डाकिया अपना काम करते थे। पुराने समय में राजा महाराजा अपने लिए एक अलग डाकिया रखते थे जिसे राजदूत भी कहा जा सकता है।

1766 मैं पहली बार लॉर्ड क्लाइव ने डाक व्यवस्था की शुरुआत की जिसे 1774 मैं वारेन हेस्टिंग द्वारा गति प्रदान की गई। 1 अक्टूबर 1854 को भारत में डाकघर को राष्ट्रीय स्तर पर महत्व दिया।

डाकिया शब्द लोगों के जीवन की एक आधारभूत कड़ी बन चुकी है। भारत के हर एक संप्रदाय के लोक साहित्य में डाकिया का स्थान बहुत ऊंचा बताया जाता है।

पूरे देश में डाकिया ही ऐसा कर्मचारी होता है जिससे वहां के निवासी भली तरह से परिचित होते हैं। इनके द्वारा लाए गए सूचनाओं का लोग बेसब्री से इंतजार करते हैं। 

डाकिया का जीवन Life of a Postman in Hindi

डाकिया लोगों को लोगों से जुड़ने के लिए एक मुख्य कड़ी का कार्य करता है। यह पूरे गांव अथवा शहर में घूम कर लोगों के लिए आए उनके जरूरी पत्र, तार और पैसे इत्यादि को सही सलामत उन्हें ला कर देता है।

इनका जीवन वास्तव में अत्यंत कठिन होता है। पूरे दिन गांव और शहरों की गलियों गलियों में घूम कर लोगों को उनके लिए आए सूचना देने के बाद जब डाकिया घर वापस लौटता है तो उसे कोई दूसरा कार्य सुध ही नहीं रहती।

डाकिया को बहुत से  ऐसे जगह पर जाना पड़ता है जिसे पार करने के लिए उन्हें बहुत सी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। अपने काम के प्रति इतना ईमानदार होने के बाद भी इनका वेतन इतना नहीं होता जिससे कि अपनी आवश्यक जरूरतों को पूरा कर सके।

त्योहारों के दिनों में एक तरफ लोग अपने घरों में हर्षोल्लास के साथ नए नए पकवान बनाकर खाते हैं वहीं दूसरी तरफ डाकिए उस दिन भी लोगों को पत्र बांटने में व्यस्त होते हैं।

देश में चाहे कोई भी मौसम हो या फिर कोई भी त्यौहार हो लेकिन डाकिया को कभी भी छुट्टी नहीं मिलती। कई बार तबीयत बिगड़ने के कारण इन्हें बहुत मुश्किल से छुट्टी दी जाती है जो अत्यंत कम दिनों की होती है।

वास्तव में यह बहुत गरीब होते हैं और मिलने वाले वेतन से मुश्किल से अपना खर्चा निकाल पाते हैं। कई बार जब लोग पत्र पढ़कर खुश होते हैं तो कभी कभार इन्हें कुछ पैसे दे दिया करते हैं।

डाकिये का महत्व Importance of Postman in Hindi

डाकिया का लोगों के जीवन में एक महत्वपूर्ण स्थान बन चुका है। ग्रामीण इलाकों में बसने वाले अधिकतर लोग पढ़े-लिखे नहीं होते हैं और यह लोग अपनी चिट्टियां और तार डाकिया से ही पढ़वाते हैं। कई बार लोग इनसे ही अपने सगे संबंधियों को पत्र लिखने में मदद लेते हैं।

यदि देखा जाए तो डाकिया मुख्य रूप से कई लोगों को पत्र लिखने पत्र पढ़ने में महत्वपूर्ण सहायता करता है। आज के समय में ऐसे कई इलाके हैं जहां पर इतनी सुविधा का विकास नहीं हो पाया है किंतु डाकिया की सहायता से ही लोग यह दुनिया से जुड़े हुए हैं।

डाकिया अपने पूरे जीवन में हजारों कठिनाइयों का सामना करके लोगों को सुविधा देने के लिए पूरी इमानदारी से अपना दायित्व निभाते हैं।

भारत सरकार ने डाकिए के महत्व को समझते हुए कई आवश्यक निर्णय लिया है जिसके अंतर्गत डाकियों  के लिए पेंशन और जीवन निर्वाह करने के लिए उचित वेतन के लिए प्रावधान किया गया है। 9 अक्टूबर को पूरे दुनिया में विश्व डाक दिवस के रूप में मनाया जाता है।

डाकिया पर 10 वाक्य Few Lines on Postman in Hindi

  1. डाकिया एक सरकारी कर्मचारी होता हैं जो एक जगह से दूसरी जगह  तक लोगों के लिए आवश्यक सूचनाएं ले जाते हैं।
  2.  इनका मुख्य कार्य पत्र, तार, मनी ऑर्डर और अन्य आवश्यक दस्तावेजों को लोगों तक पहुंचाने का होता है।
  3. 1 अक्टूबर 1854 को भारत में डाकघर को राष्ट्रीय स्तर पर महत्व दिया।
  4.  डाकिए का कार्य सुबह से शुरू होकर देर रात को खत्म होता है जो बेहद थकावट भरा होता है।
  5. इनका पोशाक खाकी रंग की वर्दी और टोपी होती है।
  6.  यह अपने कंधों पर एक थैला लिए रहते हैं  जिनमें रखी आवश्यक चीजों को उन्हें वितरण करना होता है।
  7. डाकियों का वेतन अन्य सरकारी कर्मचारियों के वेतन से बहुत कम होता है।
  8. 9 अक्टूबर को पूरे दुनिया में विश्व डाक दिवस के रूप में मनाया जाता है।
  9. डाकिया को छुट्टी  बहुत मुश्किल से और अत्यंत कम समय के लिए मिलती है।
  10.  डाकिया ग्रामीण इलाकों मैं कम पढ़े लिखे लोगों को पत्र पढ़ने और लिखने में सहायता प्रदान करते हैं।

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में आपने डाकिया पर निबंध (Essay on the Postman in Hindi) पढ़ा। आशा है यह निबंध आपके लिए सहायक सिद्ध हुआ हो, अगर यह लेख आपको अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरुर करें।

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