उधम सिंह जयंती पर निबंध Essay on Udham Singh Jayanti in Hindi

इस लेख में हमने शहीद उधम सिंह जयंती पर निबंध (Essay on Udham Singh Jayanti in Hindi) बेहद सरल रूप से लिखा है। दिए गए निबंध में उधम सिंह की जयंती के बारे में विस्तार से लिखा गया है।

उधम सिंह की जयंती क्यों तथा कैसे मनाई जाती है, उनकी जयंती का महत्व, साथ ही उधम सिंह जयंती पर 10 लाइन लिखा गया हैं। 

प्रस्तावना (उधम सिंह जयंती पर निबंध Essay on Udham Singh Jayanti in Hindi)

भारत की आजादी के लिए लाखों लोगों ने अपनी कुर्बानी दी। शहीद उधम सिंह भी उन्हीं महापुरुषों में से एक हैं। जिन्होंने मातृभूमि के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर देना का पथ चुना।

भारत के इतिहास में एक ऐसा समय आया जब लोग अंग्रेजी हुकूमत को उखाड़ फेंकने के लिए व्याकुल होने लगे। उस समय भगत सिंह, अशफाक उल्ला खान, चंद्रशेखर आजाद और उधम सिंह जैसे क्रांतिकारी भी हुए। जिन्होंने युवाओं से लेकर बुजुर्गों तक सभी में स्वराज्य की भावना मजबूत की।

इतिहास के पन्नों में मिलता है कि जिस दिन जलियांवाला बाग हत्याकांड हुआ था उस दिन शहीद उधम सिंह भी वही थे। जनरल डायर द्वारा किए गए नरसंहार को उन्होंने अपनी आंखों से देखा था।

उस वक्त जनरल डायर और पंजाब के गवर्नर ओ. ड्वायर मिलीभगत से पंजाब के जलियांवाला बाग में हजारों लोगों का नरसंहार किया गया। अंग्रेजी हुकूमत ने इस आंकड़े को बेहद कम दर्शाया लेकिन दोषियों को सजा देने के बदले उसे पुरस्कार दिया।

शहीद उधम सिंह के दिल में यह बात बहुत ही ज्यादा पीड़ा देने लगी। जहां एक तरफ गांधी जी व उनका दल इस घटना पर मौन था तो वही कुछ क्रांतिकारियों को छोड़ ज्यादा लोगों ने इतना को भूलना ही ठीक समझा।

शहीद उधम सिंह ने कई वर्षों तक अपने अंदर प्रतिशोध की ज्वाला को जीवित रखा और वर्षों तक बदला लेने के अवसर को ढूंढते-ढूंढते उन्होंने जलियांवाला बाग के दोषी को मौत के घाट उतार दिया। शहीद उधम सिंह की जयंती उनके इस साहस भरे काम के लिए मनाया जाता है।

उधम सिंह जयंती क्यों मनाया जाता है? Why is Udham Singh Jayanti Celebrated in Hindi?

13 अप्रैल सन 1919 को पंजाब अमृतसर में स्थित जलियांवाला बाग में एक सामूहिक सभा की स्थापना की गई थी। जिसमें हजारों की संख्या में लोगों ने भाग लिया था। जिसमें से शहीद उधम सिंह भी एक थे।

अंग्रेजी हुकूमत ने हिंदुस्तानियों की आवाज को दबाने का जिम्मा जनरल रेजिनाल्ड एडवर्ड हैरी डायर को सौंपा। जिसने हजारों लोगों का कत्लेआम करवाया।

इससे खफा होकर हिंदुस्तान के सपूत उधम सिंह ने बदला लेने की सोची। उधम सिंह 1924 में गदर पार्टी से जुड़ गए इसे भारत में क्रांति भड़काने के लिए बनाया गया था। क्रांति के लिए जरूरी पैसा वह मदद जुटाने के लिए उधम सिंह ने दक्षिण अफ्रीका, जिंबाब्वे, ब्राजील और अमेरिका की यात्रा भी की थी।

1927 में जब वे भारत वापस आए तो अपने साथ कई रिवाल्वर तथा गोला बारूद और 25 साथी भी लाए थे। लेकिन गदर पार्टी में काम करने के जुर्म में अंग्रेजी हुकूमत ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया।

उन पर लंबा मुकदमा चला और उन्हें 5 साल की सजा हुई। लंबे वक्त जेल में रहने के बाद जब वे बाहर निकले तो अंग्रेजी हुकूमत ने उन्हें नजर कैद करना चाहा। पहले तो वे कश्मीर गए फिर वहां से गायब हो गए। बाद में पता चला कि वह जर्मनी पहुंच चुके हैं।

जर्मनी से उधम सिंह लंदन जा पहुंचे और एक किराए का घर लेकर वहां रहने लगे। घूमने फिरने के लिए उन्होंने भाड़े पर एक कार भी ली तथा 6 गोलियों वाली एक रिवाल्वर की व्यवस्था भी उन्होंने कर ली थी।

13 मार्च सन 1940 एक सम्मेलन में ओ. ड्वायर मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होने वाला था। उधम सिंह एक किताब में रिवाल्वर छुपाकर सबसे पहली पंक्ति में बैठ गए और मौका मिलते ही ओ. ड्वायर को गोलियों से भून डाला उसे मारने के बाद उधम सिंह भागे नहीं बल्कि कोठी गिरफ्तारी दी और 31 जुलाई सन 1940 के दिन उन्हें फांसी दे दी गई।

जलियांवाला बाग का बदला लेने के लिए उन्होंने दो दशकों से भी ज्यादा इंतजार किया। उनके इस हिम्मत वाले काम के लिए उन्हें शहीद का दर्जा मिला और हर वर्ष उनकी जयंती मनाई जाने लगी।

उधम सिंह जयंती कब है? When is Udham Singh Jayanti in Hindi?

हर वर्ष 26 दिसंबर को उधम सिंह की जयंती के रूप में मनाया जाता है और इस वर्ष भी उधम सिंह की जयंती 26 दिसंबर सन 2021 दिन रविवार को मनाया जाएगा। 

उधम सिंह जी के विषय में जानकारी Information About Udham Singh in Hindi

देश के बाहर फांसी पाने वाले उधम सिंह दूसरे क्रांतिकारी थे। संयोग की बात है कि 31 जुलाई के दिन ही मदन लाल धींगरा को फांसी दी गई थी और इसी दिन उधम सिंह जी को भी फांसी दी गई। उनके अवशेषों को भी इंग्लैंड ने 31 जुलाई सन 1974 के दिन भारत को सौंपा।

उधम सिंह जी का जन्म 26 दिसंबर सन 1899 को  पंजाब राज्य में संगरूर जिले के सुनाम गांव में हुआ था। उनके बचपन का नाम शेर सिंह था। बेहद छोटी उम्र में माता पिता का साया उठ जाने के कारण उनका बचपन संघर्षों से भरा रहा।

उनके पिताजी श्री टहल सिंह कंबोज उस समय रेलवे क्रॉसिंग पर एक चौकीदार का काम करते थे। सन 1901 में उनकी माता जी का देहांत हो गया और सन 1907 तक उनके पिताजी भी चल बसे।

अनाथालय में उन्हें सिख धर्म के बारे में पढ़ाया गया जहां पर उनका नाम शेर सिंह से बदलकर उधम सिंह पड़ा। उनके साथ उनके बड़े भाई भी थे जिसकी मृत्यु 1917 में हो गई। इस प्रकार उधम सिंह जी एकदम ही अनाथ हो गए।

उधम सिंह जी ने अपने जीवन का बलिदान जलियांवाला बाग हत्याकांड का बदला लेने के लिए अर्पित कर दिया। इसके बाद उधम सिंह जी हंसते हंसते फांसी पर झूल गए तब से उन्हें शहीद उधम सिंह के नाम से जाना जाने लगा।

उधम सिंह जयंती का महत्व Importance of Udham Singh Jayanti in Hindi

भारतवासियों के लिए उधम सिंह जी एक राष्ट्रभक्त और वीर होने के साथ-साथ एक आदर्श भी हैं। इसलिए उधम सिंह जी की जयंती का महत्व बेहद ही अधिक है। क्योंकि उधम सिंह जी के साथ और बहुत से क्रांतिकारियों के गहरे संबंध रहे हैं।

उधम सिंह व भगत सिंह एक पक्के दोस्त थे। दोनों ही खुद को नास्तिक मानते थे और सर्वधर्म समभाव में विश्वास करते थे। एक चिट्ठी में उन्होंने भगत सिंह को एक प्यारे दोस्त की तरह बताया है।

भगत सिंह से उनकी मुलाकात पहली बार लाहौर के जेल में हुई और दोनों के अंदर बहुत सी समानताएं होने के कारण वे दोनों पक्के दोस्त बन गए।

किसी भी देश के सबसे कीमती चीजों में उनके देश के महापुरुष भी होते हैं जो जब तक जीते हैं तब तक लोगों को मार्ग दिखाते हैं लेकिन उनके मरने के बाद भी उनके आदर्श जिंदा रहते हैं।

उधम सिंह जी ने सिर्फ 40 वर्ष की आयु में फांसी के तख्ते पर झूल गए थे। उनका जनरल ओ. ड्वायर को गोली मारने का इरादा अंग्रेजी हुकूमत को कड़ा संदेश देना तथा भारत वासियों में क्रांति की ज्वाला भड़काना था।

शहीद उधम सिंह जलियांवाला बाग हत्याकांड के दोनों गुनहगारों को जान से मारना चाहते थे। लेकिन जनरल डायर 1927 में लकवे के कारण मर गया था।

जब कोई व्यक्ति लोगों की मानसिकता को बदल कर रख देता है तो लोग उसे महापुरुष का दर्जा देने लगते हैं। शहीद उधम सिंह जी एक ऐसे उदाहरण है जो सदियों तक युवाओं के लिए आदर्श बने रहेंगे।

उधम सिंह जयंती कैसे मनाया जाता है? How is Udham Singh Jyanti Celebrated in Hindi?

हर वर्ष 26 दिसंबर को उधम सिंह जयंती राष्ट्रवादी लोग बेहद धूमधाम से मनाते हैं। शहीद उधम सिंह जी की जयंती के दिन सार्वजनिक अवकाश नहीं रहता। लेकिन स्कूल और कॉलेजों में इनके जीवन से जुड़ी चीजों को नाट्य मंच से प्रस्तुत किया जाता है।

नाट्य में उधम सिंह जी का बचपन तथा भगत सिंह की दोस्ती और जलियांवाला बाग हत्याकांड का बदला प्रमुख रूप से शामिल रहता है।

भारत के ज्यादातर राजनेता शहीद उधम सिंह की जयंती पर देशवासियों को अभिवादन जरूर देते हैं। वर्तमान सरकार ने सन 2018 में बैसाखी के दिन ही उनका स्टैच्यू बनवाया। उत्तराखंड में शहीद उधम सिंह के नाम पर एक जिले का रखा गया है।

हर राष्ट्रवादी के लिए शहीद उधम सिंह जयंती एक भावनात्मक पर्व है जिसे वह दिल से मनाता है।

उधम सिंह जयंती पर 10 लाइन 10 Lines on Udham Singh Jayanti in Hindi

  1. भारत की आजादी के लिए लाखों लोगों ने अपनी कुर्बानी दी। शहीद उधम सिंह भी उन्हीं महापुरुषों में से एक हैं। 
  2. इतिहास के पन्नों में मिलता है कि जिस दिन जलियांवाला बाग हत्याकांड हुआ था उस दिन शहीद उधम सिंह भी वही थे।
  3. शहीद उधम सिंह ने कई वर्षों तक अपने अंदर प्रतिशोध की ज्वाला को जीवित रखा और वर्षों तक बदला लेने के अवसर को ढूंढने लगे।
  4. उधम सिंह 1924 में गदर पार्टी से जुड़ गए इसे भारत में क्रांति भड़काने के लिए बनाया गया था।
  5.  क्रांति के लिए जरूरी पैसा वह मदद जुटाने के लिए उधम सिंह ने दक्षिण अफ्रीका, जिंबाब्वे, ब्राजील और अमेरिका की यात्रा भी की थी।
  6. 1927 में गदर पार्टी में काम करने के जुर्म में अंग्रेजी हुकूमत ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया।
  7. जेल से बाहर निकलने के बाद उधम सिंह अंग्रेजों के नज़र कैद को तोड़कर जर्मनी पहुँच गए।
  8. 13 मार्च सन 1940 एक सम्मेलन में ओ. ड्वायर मुख्य अतिथि बनकर आया था जिसे उधम सिंह ने मौत के घाट उतार दिया।
  9. संयोग की बात है कि 31 जुलाई के दिन मदन लाल धींगरा को फांसी दी गई थी और इसी दिन उधम सिंह जी को भी फांसी दी गई।
  10. उधम सिंह जी ने सिर्फ 40 वर्ष की आयु में फांसी के तख्ते पर झूल गए थे।

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में आपने शहीद उधम सिंह की जयंती (Essay on Udham Singh Jayanti in Hindi) को हिंदी में पढ़ा। आशा है यह लेख आपको सरल तथा जानकारियों से भरपूर लगा हो। अगर यह लेख आपको पसंद आया हो तो इसे शेयर ज़रुर करें।

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