इस लेख में हमने ज्वालामुखी पर निबंध (Essay on Volcano in Hindi) सरल रूप से लिखा है। अगर आप ज्वालामुखी के ऊपर निबंध खोज रहे हैं तो आप सही स्थान पर हैं।
इस लेख में ज्वालामुखी क्या है तथा आने के कारण, प्रभाव व ज्वालामुखी से बचाव के उपाय इस निबंध को बेहद आकर्षक बनाते हैं।
प्रस्तावना (ज्वालामुखी पर निबंध Essay on Volcano in Hindi)
पृथ्वी के भूगर्भ में अश्मि, खनिज तथा लावा सन्निहित है। पृथ्वी समय के साथ इन खनिजों के दबाव को बाहर करती रहती है।
भू-आकृति विज्ञान में ज्वालामुखी को एक आकस्मिक घटना के रूप में देखा जाता है और पृथ्वी की सतह पर परिवर्तन लाने वाले बलों में इसे शुमार किया जाता है।
पर्यावरणीय भूगोल में ज्वालामुखी को एक प्राकृतिक आपदा के रूप में देखा जाता है क्योंकि इससे पारितंत्र और जान माल का बड़ी मात्रा में नुकसान होता है।
एक शोध में पाया गया है कि छोटे-छोटे विस्फोटों से वर्तमान जलवायु परिवर्तन की गति बहुत धीमी हो रही है जिसके कारण ऋतु चक्र में व्यतिरेक उत्पन्न हो रहा है।
जमीन के अंदर मैग्मा व सिलिका की मात्रा अधिक होने पर ज्वालामुखी में विस्फोट होता है जबकि सिलिका की मात्रा कम होने पर ज्वालामुखी प्रायः शांत रहते हैं।
आज ज्वालामुखी फटने के कारण जन समूह का विस्थापन, प्रदूषण तथा सरकारी संपत्तियों का नाश होना एक मुख्य समस्या है।
ज्वालामुखी शंकु आकार के तथा पर्वत जैसे दिखने वाले होते हैं। कुछ ज्वालामुखी सक्रिय होते हैं तो कुछ मृत अवस्था में पाए जाते हैं।
ज्वालामुखी क्या है? What is Volcano in Hindi
ज्वालामुखी धरती का वह छिद्र है जिसके माध्यम से भूगर्भ में स्थित लावा, राख, गैस व जलवाष्प का निष्कासन होता है। ज्वालामुखी पृथ्वी की सतह पर उपस्थित वह दरार होता है जो पृथ्वी के अंदर के दबाव को गति के साथ बाहर फेंकता हैं।
पृथ्वी के अंदर रह गए खनिजों तथा निःसृत पदार्थों के जमा हो जाने पर बनने वाली शंकु आकार को ज्वालामुखी पर्वत कहा जाता है और जब इनमें दबाव के कारण विस्फोट होता है तो उन्हें ज्वालामुखी विस्फोट के नाम से जाना जाता है।
ज्वालामुखी को मुख्य तीन भागों में बांटा गया है और तीनों के अनेक उपभाग भी हैं। ज्वालामुखी को सक्रियता के आधार पर, उदगार प्रकृति के आधार पर तथा गतिशीलता के आधार पर बांटा जाता है।
सक्रियता के आधार पर ज्वालामुखी को तीन उपभागों में विभाजित किया जाता है। जिसमें सक्रिय या जागृत ज्वालामुखी, प्रसुप्त ज्वालामुखी या मृत ज्वालामुखी को शामिल किया जाता है।
जो ज्वालामुखी रिस रहा हो या जिसके फटने के आसार ज्यादा हो उन्हें सक्रिय ज्वालामुखी के नाम से जाना जाता है। प्रसुप्त ज्वालामुखी में वे ज्वालामुखी शामिल किए जाते हैं जो आकार में बहुत बड़े होते हैं लेकिन उन्हें विस्फोट के लिए हजारों वर्षों तक दबाव उत्पन्न करने की आवश्यकता होती है।
उदाहरण के तौर पर लगभग सत्तर हज़ार वर्ष पहले तोबा ज्वालामुखी में विस्फोट होने के कारण भारतीय उपमहाद्वीप में जीव जंतुओं का समूल नाश हो गया था।
मृत ज्वालामुखी में वे ज्वालामुखी शामिल किए जाते हैं जिनके बारे में वैज्ञानिकों की अपेक्षा होती है कि उनके अंदर का मैग्मा समाप्त हो चुका है अथवा उनमें गर्मी उगलने की सामग्री ना बची हो।
ज्वालामुखी में कोई सक्रियता नहीं देखी जाती या कोई विस्फोट नहीं देखा जाता उन्हें मृत ज्वालामुखी घोषित कर दिया जाता है।
दूसरी प्रकार के ज्वालामुखी में उदगार प्रकृति के ज्वालामुखी शामिल किए जाते हैं। उदगार प्रकृति के ज्वालामुखी में वे ज्वालामुखी आते हैं जिनके मुंह का व्यास 100 फीट से ज्यादा नहीं होता और इनका आकार लगभग गोल होता है।
उदगार प्रकृति के ज्वालामुखी सबसे खतरनाक माने जाते हैं। यह अत्यधिक विनाशकारी होते हैं उनके आने से भयंकर भूकंप आते हैं।
गतिशीलता के आधार पर उन ज्वालामुखियों को शामिल किया जाता है जिनके अंदर लावा के साथ गैस की मात्रा कम होती है। जिससे लावा दरारों में से निकल कर धरातल में जमने लगता है।
कभी-कभी लावा इतनी अधिक मात्रा में जमा हो जाता है जिसके कारण लावा मैदान या लावा पठार बनने लगते हैं। इस प्रकार की ज्वालामुखी में मैग्मा गाढ़ा नहीं होता।
1783 में आइसलैंड के एक 17 मील लंबे दरार से होकर लावा गतिशील हो गया था। इस लावा का विस्तार 218 मिलो तक हो चुका था इस कारण आइसलैंड की जनसंख्या का पांचवा भाग नष्ट हो गया था।
विश्व के कुछ प्रमुख ज्वालामुखियों में टकाना, ओजोसडेल, कोटोपैक्सी, लेसर और टुपुंगटीटो शामिल है।
ज्वालामुखी आने के कारण Reasons for a volcano in Hindi
आधुनिक विज्ञान के अनुसार ज्वालामुखी आने के मुख्य कारणों में प्राकृतिक परिवर्तन शामिल है लेकिन भू विज्ञान के अनुसार प्रकृति में व्यतिरेक उत्पन्न होने के कारण ज्वालामुखी फटते हैं।
ज्वालामुखी को मनुष्य की गलती का नतीजा नहीं माना जाता। लेकिन यह एक अर्ध सत्य है। मनुष्य की प्रकृति के प्रति उदासीनता के कारण प्रकृति को अन्य कई नुकसान होते हैं।
जिनके कारण भूकंप, ग्लोबल वार्मिंग, चक्रवात आते हैं और वातावरणीय दबाव में अवरोध पैदा करते हैं जिनके कारण ज्वालामुखी भी सक्रिय हो जाते हैं।
वृक्षों के बेझिझक आच्छादन के कारण ऋतु चक्र में असंतुलन देखने को मिलता है इसके कारण समय पर वर्षा ना होना या असमय वर्षा का होना दिखाई देता है। भूगर्भ में जल की न्यूनता के कारण गर्मी बढ़ती है इसके कारण तापमान बढ़ता है।
मनुष्य द्वारा बनाए गए हथियारों के उपयोग से पृथ्वी पर भारी कंपन्न उत्पन्न होता है इसके फल स्वरूप सुषुप्त ज्वालामुखी भी सक्रिय हो उठते हैं।
ज्वालामुखी के प्रभाव Effects of Volcanoes in Hindi
इसमें हजारों सेल्सियस की गर्मी होती है जिसके समीप आने मात्र से बड़ी-बड़ी चट्टानें राख हो जाती हैं, जल के स्त्रोत में सूख जाते हैं और बड़ी मात्रा में जानमाल की हानि होती है।
ज्वालामुखी के कुछ अपवाद रूप फायदे भी हैं। ज्वालामुखी की राख एक उर्वरक का काम करती है जिससे बैक्टीरिया व खेत के कीटको का नाश होता है।
समय-समय पर ज्वालामुखी के विस्फोट हो जाने पर ज्वालामुखियों में अतिरिक्त जीवन नहीं बचता अतः वे निष्क्रिय हो जाते हैं या कम हानिकारक हो जाते हैं।
ज्वालामुखी विस्फोट होने के बाद वातावरण में प्रदूषित वायु तथा राख का स्तर बढ़ जाता है, जिससे लोगों को बेहद मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
कभी-कभी राख बेहद अम्लीय हो जाती है जिसके कारण किसानों को बेहद नुकसान उठाना पड़ता है क्योंकि अम्ल के कारण उनकी फसल नष्ट हो जाती है।
ज्वालामुखी के कारण जमीनी तथा हवाई यातायात मार्ग ठप्प पड़ जाता है। ज्वालामुखी के फटने के समय बड़ी संख्या में लोग सुरक्षित स्थानों पर विस्थापित होते हैं।
कभी-कभी ज्वालामुखी का लावा जंगलों तक फैल कर वहां भी आग लगा देता है जिसके कारण बड़ी मात्रा में जंगल तथा जंगल में रहने वाले जानवर जलकर राख हो जाते हैं।
ज्वालामुखी से बचाव के उपाय Ways to avoid volcanoes in Hindi
आधुनिक विज्ञान के पास ऐसी तकनीके हैं जिनके माध्यम से ज्वालामुखी की सक्रियता का अंदाजा लगाया जा सकता है। ज्वालामुखी से बचाव का एकमात्र उपाय है की पहले से सावधानी रखी जाए।
ज्वालामुखी से बचाव का सबसे बेहतर तरीका है कि प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखा जाए जिसमें ज्यादा से ज्यादा वृक्ष लगाना शामिल हो। वृक्षों के माध्यम से प्रकृति का संतुलन बनाए रखा जा सकता है।
इसकी सक्रियता के संकेत मिलते ही ज्वालामुखी के नजदीक के गांवों नगरों को तुरंत खाली करा देना चाहिए तथा एक निश्चित दायरे के बाद रहने वाले लोगों को भी सतर्क रहने की चेतावनी दे देनी चाहिए।
ज्वालामुखी के समय यातायात टालना चाहिए तथा जरूरी चीजों जैसे अन्न, जल व दवाइयों को सुरक्षित रख लेना चाहिए साथ ही जानवरों को भी सुरक्षित स्थान पर पहुंचा देना चाहिए।
निष्कर्ष Conclusion
इस लेख में आपने ज्वालामुखी पर निबंध (Essay on Volcano in Hindi) पढ़ा। आशा है यह लेख आप को सरल व आकर्षक लगा हो। अगर यह लेख आपको पसंद आया हो तो इसे शेयर जरूर करें।