इस लेख में हमने मद्य निषेध पर निबंध (Essay on Prohibition of Liquor in Hindi) लिखा है। नशाबंदी पर निबंध कक्षा 5 से 12 तक परीक्षाओं में विशेष रुप से पूछा जाता है। इस लेख में मद्य निषेध क्या है तथा उसके लाभ व सरकार द्वारा बनाए गए विशेष नियमों को शामिल किया गया है जो इस निबंध को बेहद आकर्षक बनाते हैं।
प्रस्तावना (मद्य निषेध पर निबंध Essay on Prohibition of Liquor in Hindi)
धूम्रपान, तं बाकू या मदिरा जैसे नशीली पदार्थों के सेवन से बड़ी मात्रा में धन, सेहत तथा संबंधों का नाश होता है। इसीलिए अधिकतर देशों में मद्य को निषेध घोषित किया गया है।
नशा एक सामाजिक बुराई है जिसमें क्षणिक आनंद प्राप्त होता है लेकिन उसकी हानियां सैकड़ों गुना अधिक है। नशा यह शरीर तथा मन को धीरे-धीरे खोखला करता चला जाता है।
भारत जैसे विशाल देश में मुख्यतः तीन वर्गों के लोग रहते हैं जिसमें अमीर, मध्यम वर्गीय और गरीब लोग शामिल हैं। लेकिन नशा सेवन में तीनों वर्गों के लोगों की भूमिका पाई जाती है। लेकिन गरीबी को झेलने वाले वर्गों में यह दुर्गुण सामान्य से थोड़ा ज्यादा पाया जाता है।
बहुत से लोग नशे के पक्ष में तथा कुछ लोग नशे के विपक्ष में तर्क देते हैं। नशे के पक्ष वाले लोगों का मानना है कि नशा करना यह उनका मौलिक अधिकार है तथा वे अपने धन का उपयोग कर किन्ही भी चीजों को खाने पीने के लिए स्वतंत्र हैं।
दूसरी और उनका यह भी तर्क होता है कि नशे के व्यापार के माध्यम से देश को आर्थिक लाभ ही होता है। अगर यह बंद कर दिया जाए तो देश को बहुत बड़ी हानि हो सकती है।
नशे के विरोध में लोगों का तर्क है की मद्यपान के कारण इंसान की नैतिकता का नाश हो जाता है। नशे में रहे व्यक्ति को वास्तविकता का ज्ञान नहीं रहता इसलिए वह समाज के ऊपर एक खतरा साबित हो सकता है।
भारत सरकार ने मद्य निषेध के लिए तरह तरह के कानून भी बनाए हैं। लेकिन अन्य कानूनों की तरह ही वह भी सिर्फ पन्नों में सिमट कर रह गया है। नशा सेवन समाज की बहुत बड़ी गंदगी है जिसे रोकना अति आवश्यक है।
और पढे: पर्यावरण पर निबंध
मद्य निषेध क्या है? What is Liquor Prohibition in Hindi?
ऐसे पदार्थ जिनके सेवन करने से मन पूरी तरह से विकृत होने लगता है तथा शारीरिक व पर्यावरणीय हानि होती है किसे मादक पदार्थ कहा जाता है।
मादक द्रव्य को शरीर के लिए अनुकूल नहीं बताया जाता। लेकिन क्षणिक सुख के लिए लोग इनका सेवन कर अपने शरीर तथा अपने परिवार व समाज की हानि करते हैं।
मादक पदार्थ सीधे मस्तिष्क पर आघात करते हैं और इनसे सोचने विचारने की शक्ति क्षीण होती चली जाती है। इसके सेवन के बाद इंसान को वर्तमान की भनक नहीं रहती। नशे में ही व्यभिचार और उन्माद जैसे जघन्य अपराध होते पाए जाते हैं।
धूम्रपान, तंबाकू या मदिरा जैसे नशीली पदार्थों के सेवन करने पर कानूनी रोक को मद्य निषेध कहा जाता है। मद्य निषेध क्षेत्र में किसी भी प्रकार की मादक द्रव्यों के सेवन करने पर कठोरता से मनाई होती है।
कुछ प्रमुख नशीले पदार्थ जैसे शराब, अफीम, गांजा, भांग, चरस, ताड़ी, कोकीन आदि को हानिकारक मादक पदार्थों में शामिल किया गया है। इनके सार्वजनिक खरीद-फरोख्त और सेवन पर पूरी तरह से रोक है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ तंबाकू, चाय तथा बीड़ी सिगरेट के सेवन को भी मादक पदार्थ का नाम देते हैं। लेकिन इनके ऊपर किसी भी प्रकार का निषेध कानून नहीं है।
आधुनिक काल में नशाबंदी का मतलब किन्हीं भी मादक पदार्थों पर प्रतिबंध है या उसके व्यवस्थित प्रयोग के नियम बनाए जा रहे हैं।
मद्य निषेध के लाभ Benefits if Liquor Prohibition in Hindi
शास्त्रों में कहा गया है कि किसी भी चीज की अति हमेशा विनाशकारी साबित होती है। इतिहास में भांग, अफीम जैसे पदार्थों को औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता था लेकिन जब इसका प्रयोग लोग नशे के लिए किया जाने लगा तो यह हानिकारक साबित होने लगा।
इनकी अति के कारण यह औषधियां विष बनकर इंसान की सोच और शरीर को समाप्त करती चली गई। नशे के सेवन से आंतों तथा यकृतों को सबसे अधिक क्षति पहुंचती हैं।
यकृत के खराब होने से सिरोसिस नामक जानलेवा बीमारी होती है। जिसमें शरीर की चर्बी लगातार गलने लगाती है और त्वचा कठोर होकर काले पड़ने लगते हैं। चेहरा एकदम काला हो जाता जाता है व उम्र बहुत ही ज्यादा लगने लगती है।
इसलिए मद्य निषेध के लाभ हर मायने में बहुत ही अधिक हैं। इसके माध्यम से लोगों की सेहत की रक्षा होती ही है साथ ही उनके धन को व्यय होने से बचाया जाता है।
मद्य निषेध के माध्यम से लोगों को नशा वृत्ति छोड़ने पर मजबूर किया जाता है जिससे उनके परिवार में क्लेश कला होने के जगह पर खुशियों का संचार होता है।
नशाबंदी के लिए कठोर कानून होने के कारण कई लोग भय के मारे नशा वृत्ति में फंसने से बच जाते हैं। मद्य निषेध से लोग नशा वृत्ति में पैसा बहाने की जगह पर अपने स्वास्थ्य तथा परिवार के लिए उपयोग करते हैं।
पुराणों में मद्य को हर दृष्टि से त्यागने योग्य कहां गया है। भगवान बुद्ध और महात्मा गांधी सभी ने मद्यपान को त्याज्य बताया है। हर धर्म में नशे को सबसे बड़ी बुराई के रूप में इंगित किया गया है।
मद्य निषेध दिवस World Liquor Prohibition Day in Hindi
हर साल 26 जून को पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय मद्य निषेध दिवस (इंटरनेशनल डे अगेंस्ट ड्रग अब्यूस एंड इलिसिट ट्रैफिकिंग) के रूप में मनाया जाता है।
यूनाइटेड नेशंस की सहायता से यह दिन मनाने की शुरुआत सन 1987 में हुई थी। लोगों को नशे से आजादी दिलाना और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना मद्य निषेध दिन मनाने का एकमात्र कारण है।
संयुक्त राष्ट्र संघ ने देखा कि नशीले पदार्थ के सेवन करने वालों की संख्या हर रोज लगातार बढ़ रही थी। इसके माध्यम से उन्होंने दुनिया भर की नशीली दवाओं के उत्पादन और बिक्री में रोक लगाई।
पूरी दुनिया में इस दिन विभिन्न समुदायों और संगठनों के द्वारा मादक पदार्थों के प्रति अपने अपने क्षेत्र में जागरूकता के तमाम कार्यक्रम चलाए जाते हैं। इस दौरान वे नशे से होने वाली हानियां और भविष्य में खतरों के बारे में बताया जाता है।
मद्य निषेध के लिए सरकार के नियम Laws on Liquor Prohibition in Hindi
भारत सरकार ने मद्य निषेध के लिए बहुत ही कठोर कानून व्यवस्था को स्थापित किया है। जिसमें संविधान के चौथे भाग की 47 वीं धारा के अनुसार जनसमूह के बीच मादक पदार्थों का सेवन या बेचने पर कठोर दंड का प्रावधान है।
धारा 21 द्वारा भारतीय संविधान में राज्य सरकारों को खुली छूट दी गई है की वे सार्वजनिक सम्मति से नशाबंदी पर नियम बना सकते हैं।
लेकिन मद्य निषेध के जो भी उपाय किए गए हैं उनके परिणाम परस्पर विपरीत ही निकलते आए हैं। भूतकाल में रही सरकारों ने इसके माध्यम से अपनी जेब को भरने का ही काम किया। इसके दूरगामी दुष्परिणामों पर उनका ध्यान कभी भी नहीं गया।
जो भी नेता अभिनेता या लेखक मद्यपान निषेध के बारे में अपनी सहमति जाहिर करते हैं उनमें से ज्यादातर वे इस लत से बुरी तरह ग्रस्त होते हैं। वर्तमान सरकार ने मद्यपान निषेध के लिए विशेष नियम बनाए हैं जिसमें से बिहार तथा गुजरात जैसे राज्यों में मद्यपान को पूरी तरह से निषेध करार दिया गया है।
लेकिन किसी समाज से नशा वृद्धि को दूर करना एकाएक संभव नहीं हो पाता। इसके लिए जन समूह में जागरूकता फैलाने की आवश्यकता होती है। किसी कानून के द्वारा किसी को दबाना मुमकिन नहीं है।
उदाहरण के रूप में अमेरिका में एक बार मद्य निषेध कानून लाने का प्रयत्न किया गया था। लेकिन उनका यह प्रयास एकदम असफल रहा। क्योंकि पहले खुले में जितनी शराब बिकती थी उससे कई गुना ज्यादा चोरी छुपे बेची जाने लगी। इसके बाद वहां की सरकार को मद्य निषेध कानून को रद्द करना पड़ा।
इसलिए कानून बनाने के साथ-साथ भारत सरकार को मद्यपान के बारे में जोरदार प्रचार करना चाहिए और ऐसी स्थिति उत्पन्न कर देना चाहिए कि लोग स्वयं ही मद्यपान को त्याग दें।
मद्य निषेध का उल्लंघन करने वालों को सजा के रूप में ज्यादा लंबी सजा न देकर छोटी-छोटी सजाएं देने का प्रावधान बनाना चाहिए जिसका उद्देश्य अपराधी को जागरूक करना हो। वही जो लोग सिर्फ अपना फायदा तलाशने के लिए नकली व जहरीली शराब बनाते पकड़े जाए उन पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।
निष्कर्ष Conclusion
इस लेख में आपने मद्य निषेध पर निबंध (Essay on Liquor Prohibition in Hindi) पढ़ा। आशा है यह लेख आपको सरल तथा जानकारियों से भरपूर लगा हो। अगर यह लेख आपको पसंद आया हो तो इसे शेयर जरूर करें।