इस लेख में आप सरदार वल्लभ भाई पटेल पर निबंध (Sardar Vallabhbhai Patel Essay in Hindi) पढ़ेंगे। भारतीय इतिहास में अभूतपूर्व राजनेता सरदार वल्लभ भाई पटेल को आज पूरा विश्व जानता है। स्कूल, कॉलेजों अन्य शिक्षा संस्थानों की परीक्षाओं में सरदार पटेल पर निबंध अक्सर पूछ लिया जाता है।
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प्रस्तावना (सरदार पटेल पर निबंध Essay on Sardar Patel in Hindi)
भारत को विश्व में यहां की संस्कृति और विभिन्नता के आधार पर पहचाना जाता है। यहां की संस्कृति और यहां के पवित्र धरातल पर जन्म लेने वाले महापुरुषों ने भारत को एक अलग दिशा तथा आकार दिया है।
इतिहास में ऐसे कई महापुरुषों ने जन्म लिया है जिनके अमूल्य योगदान के कारण भारत एक बार फिर धर्म गुरु बनने की राह पर चल पड़ा है।
भारतीय इतिहास के ऐसे ही महापुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल ने गुलामी की जंजीर से बंधे भारत को स्वतंत्रता दिला कर भारत को एक किया।
सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म गुजरात में एक किसान परिवार में हुआ था। उनका परिवार आर्थिक रूप से बहुत कमजोर था। पटेल ने भारत को अंग्रेजों से स्वतंत्र कराने के लिए कई आंदोलनों में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।
आजादी के समय कांग्रेस पार्टी में इनके जैसा इतना कुशल और प्रभावशाली नेता नहीं था। सरदार पटेल को लौह पुरुष भी कहा जाता है।
वल्लभभाई पटेल भारत के गृह मंत्री, उप प्रधानमंत्री जैसे कई बड़े पद पर अपनी सेवा दे चुके हैं।
प्रारंभिक जीवन Early life of Vallabhbhai Patel in Hindi
सरदार पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात राज्य के खेड़ा जिले में स्थित नडियाद के एक पाटीदार परिवार में हुआ था।
उनकी माता का नाम लाडवा देवी पटेल था जो व्यक्तिगत रूप से अत्यंत धार्मिक थी। उनके पिता का नाम झवेरभाई पटेल था। झवेरभाई पटेल पेशे से एक किसान थे लेकिन भारत के कई आंदोलनों में उन्होंने भी अपना योगदान दिया था।
सरदार पटेल बचपन से ही बहुत निर्मित थे। एक बार बचपन में उनके हाथ पर फोड़ा हो गया था। जब उन्हें डॉक्टर के पास ले जाया गया तो डॉक्टर ने एक गर्म लोहे से उनके घाव पर इलाज करना चाहा किंतु पटेल बहुत छोटे थे इसीलिए ऐसा करने से डॉक्टर कतरा रहा था।
क्योंकि वल्लभ भाई पटेल के अंदर दर्द सहने की शक्ति थी, संकल्प शक्ति अत्यंत मजबूत होने के कारण बालक पटेल ने खुद ही गर्म लोहे को स्वयं ही अपने हाथ पर घाव वाले जगह से छुआ दिया।
शिक्षा Education of Vallabhbhai Patel in Hindi
सरदार पटेल के परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर थी। जिससे वे पढ़ने के लिए महंगी किताबें नहीं खरीद पाते थे और अपने मित्रों से किताबें मांग कर पढ़ाई करते थे।
इसी कारण उनकी शिक्षा विलंब से प्रारंभ हुई। जिस उम्र में उन्हें स्नातक की डिग्री प्राप्त करना चाहिए था उस समय उन्होंने मैट्रिक्स की परीक्षा उत्तीर्ण किया। 1897 में उन्होंने एन.के. हाई स्कूल से शिक्षा प्राप्त की।
कुछ समय बाद सरदार पटेल कानून की पढ़ाई करने के लिए लंदन गए। वहां जाकर उन्होंने बैरिस्टर की डिग्री प्राप्त की जिसमें उन्होंने द्वितीय स्थान प्राप्त किया था।
अपने वतन भारत लौटने के बाद सरदार पटेल ने लोगों की मदद करने के लिए अपने वकालत का काम जारी रखा।
राजनीतिक करियर Political Career of Sardar Vallabhbhai Patel in Hindi
सरदार पटेल जब अपनी पढ़ाई पूरी कर भारत लौटे तो गांधीजी के विचारों से अत्यंत प्रभावित हुए। गांधी जी को अपना मार्गदर्शक मान कर उन्होंने देश के लिए अपनी सेवा देने का निर्णय लिया।
गांधीजी के अनुरोध पर सरदार पटेल ने अंग्रेजी हुकूमत के विरुद्ध चलाए जाने वाले आंदोलनों में बढ़-चढ़कर अपना योगदान दिया। देश की आजादी में पटेल का पहला और सबसे बड़ा योगदान खेड़ा आंदोलन में दिया गया।
1918 में गुजरात के खेड़ा जिले में किसानों के ऊपर अंग्रेज सरकार द्वारा लगाए गए अन्याय पूर्ण कर वसूली के विरुद्ध सरदार पटेल ने खेड़ा सत्याग्रह किया।
1928 में गुजरात के बारडोली प्रांत में अंग्रेजों ने वहां के किसानों के जमीन पर 6% कर को बढ़ाकर 22% तक कर दिया था। जब सभी किसान मदद के लिए गांधीजी के पास गए तो गांधी जी ने किसानों की मदद के लिए सरदार पटेल को उनके साथ भेजा।
वल्लभभाई पटेल ने बिना कोई आंदोलन किए किसानों की फसल और जमीन दोनों ही अंग्रेजी सरकार के हड़पने से बचा लिया।
अंत में अंग्रेजी सरकार ने हार मानकर सिर्फ 6% कर लेने का निर्णय किया। किसानों की इस जीत के बाद वहां की महिलाओं ने वल्लभभाई पटेल को सरदार की उपाधि दी। जिसका अर्थ होता है मुखिया। तभी से वल्लभ भाई पटेल को हमेशा सरदार कहकर संबोधित किया जाता है।
सरदार पटेल की भूमिका लगभग सभी आंदोलनों में दूसरे कांग्रेसी नेताओं से कई गुना ज्यादा तथा महत्वपूर्ण रही थी। सरदार पटेल केवल अपनी मातृभूमि के लिए अपना सब कुछ त्याग कर केवल एक साधारण सी धोती और कुर्ता धारण करते थे।
1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में सरदार पटेल की दावेदारी प्रशंसनीय रही है। सरदार पटेल ने लोगों को एकजुट करने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं।
सरदार वल्लभ भाई पटेल के कार्य Works of Sardar Vallabhbhai Patel in Hindi
आजादी के बाद 1947 में भारत में प्रधानमंत्री पद के लिए मतदान किया गया जिसमें सरदार पटेल को सर्वाधिक वोटों से बहुमत की जीत प्राप्त हुई थी।
गांधीजी ने चुनाव में जवाहरलाल नेहरू को अपना प्रतिनिधि चुना था। जवाहरलाल नेहरू को इतने कम मत प्राप्त होने की वजह से गांधीजी खुश नहीं थे।
सरदार वल्लभभाई पटेल ने गांधीजी के अनुरोध करने पर अपना प्रधानमंत्री के लिए मिला हुआ पद त्याग दिया। सरदार पटेल गांधीजी की बहुत इज्जत करते थे जिसके लिए उन्होंने यह कदम उठाया।
1947 में जवाहरलाल नेहरू प्रथम प्रधानमंत्री चुने गए और सरदार वल्लभ भाई पटेल स्वतंत्र भारत के पहले गृह मंत्री के रूप में चुन लिए गए। गृह मंत्री के पद पर रहते हुए सरदार पटेल ने सभी देशी रियासतों को एक धागे में पिरोने का कार्य किया था।
स्वतंत्रता के समय भारत कुल 565 देसी रियासतों में बटा हुआ था। सरदार पटेल ने अपने प्रभावशाली और कूटनीतिक ज्ञान से सभी 562 देसी रियासतों को भारत में मिला लिया था।
केवल जम्मू कश्मीर, जूनागढ़ और हैदराबाद को भारत में मिलाने में सरदार पटेल को बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ा था।
यदि सरदार वल्लभभाई पटेल भारत के प्रधानमंत्री होते तो उस समय जिस प्रकार पाकिस्तान के साथ कश्मीर विवाद हुआ था ऐसा कुछ भी ना हुआ होता और पाकिस्तान के द्वारा कब्जा किए गए जम्मू कश्मीर के कुछ हिस्से पर भी केवल भारत का अधिकार होता।
सरदार वल्लभ भाई पटेल को बिस्मार्क ऑफ इंडिया इसीलिए कहा जाता है क्योंकि उन्होंने पूरे 565 देसी रियासतों को भारत में विलय कर लिया था।
निजी जीवन Personal life of Vallabhbhai Patel in Hindi
सरदार वल्लभ भाई पटेल ने अपने अंदर कभी भी स्वार्थ की भावना नहीं आने दी। सरदार पटेल ने अपना पूरा जीवन सादगी में व्यतीत किया था।
1893 में सरदार वल्लभभाई पटेल का विवाह झेवरबा पटेल से हुआ था। सरदार पटेल के दो बच्चे थे मणिबेन पटेल और पुत्र दहाभाई पटेल ।
एक बार जब सरदार पटेल कुछ सैनिकों के ऊपर झूठे लगाए गए आरोप के लिए वकालत लड़ रहे थे तो उसी समय उन्हें अपनी पत्नी कि मृत्यु का तार पत्र मिला। पत्र पढ़ने के बाद उन्होंने वह चिट्ठी अपने जेब में रख ली और फिर से घंटों की बहस के बाद केस जीत लिया।
जब सरदार पटेल से जज ने उस पत्र बारे में प्रश्न किया तो उत्तर जानने के बाद वहां पर उपस्थित सभी लोग दंग रह गए कि कोई व्यक्ति भला इतने दुख की स्थिति में भी इतना सामान्य व्यवहार कैसे रह सकता है। सरदार वल्लभ भाई पटेल के ऐसे अभूतपूर्व मार्गदर्शन के कारण भारत आज एक कुशल लोकतांत्रिक देश है।
पटेल के जीवित रहते हुए तो उन्हें कोई सम्मान से नवाजा नहीं गया किंतु मरणोपरांत 1991 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया है। अहमदाबाद के हवाई अड्डे का नामकरण सरदार वल्लभभाई पटेल अंतर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र रखा गया।
31 अक्टूबर 2013 को सरदार पटेल जी की 137वी जयंती के अवसर पर गुजरात के केवड़िया में नर्मदा नदी के पास स्थित सरदार सरोवर बांध के पास सरदार पटेल की भव्य प्रतिमा बनाने का शुभारंभ किया गया जो 2018 में तैयार हुई।
सरदार पटेल की प्रतिमा पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा ऊंचाई वाली प्रतिमा है जो एकता का संदेश देती है। सरदार पटेल की प्रतिमा को स्टैचू ऑफ यूनिटी के नाम से जाना जाता है।
मृत्यु Death of Vallabhbhai Patel in Hindi
कुछ समय से सरदार पटेल बीमार रहने लगे थे और अपने सामान्य कार्य करने में भी सक्षम नहीं थे। 15 दिसंबर 1985 को मुंबई राज्य में उन्होंने अपनी अंतिम सांसे ली।
उनके निधन का समाचार जब पूरे देश में फैला तो लोगों में निराशा की एक बाढ़ सी आ गई थी। हर किसी को अपने अनमोल राजनेता को खोने का बहुत दुख हुआ।
वल्लभ भाई पटेल भले ही आज हमारे बीच सःशरीर उपस्थित ना हो लेकिन उनके विचार भारत की माटी के कण-कण में बसा हुआ है। उनके बलिदान को भारत का इतिहास सदा के लिए याद रखेगा।
सरदार वल्लभ भाई पटेल पर 10 लाइन Few Lines on Sardar Vallabhbhai Patel in Hindi
- वल्लभ भाई पटेल कानून की पढ़ाई करने के लिए लंदन गए। वहां जाकर उन्होंने बैरिस्टर की डिग्री प्राप्त की जिसमें उन्होंने द्वितीय स्थान प्राप्त किया था।
- 1918 में गुजरात के खेड़ा जिले में किसानों के ऊपर अंग्रेज सरकार द्वारा लगाए गए अन्याय पूर्ण कर वसूली के विरुद्ध सरदार पटेल ने खेड़ा सत्याग्रह किया
- 1928 मैं गुजरात के बारडोली प्रांत में अंग्रेजों ने वहां के किसानों के जमीन पर 6% कर को बढ़ाकर 22% तक कर दिया था।
- बारडोली में किसानों की जीत के बाद वहां की महिलाओं ने वल्लभभाई पटेल को सरदार की उपाधि दी। जिसका अर्थ होता है मुखिया।
- 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में सरदार पटेल की दावेदारी प्रशंसनीय रही है। सरदार पटेल ने लोगों को एकजुट करने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं।
- आजादी के बाद 1947 में भारत मैं प्रधानमंत्री पद के लिए चुनाव किया गया जिसमें सरदार पटेल को सर्वाधिक वोटों से बहुमत की जीत प्राप्त हुई थी।
- 1947 में जवाहरलाल नेहरू प्रथम प्रधानमंत्री चुने गए और सरदार वल्लभभाई पटेल स्वतंत्र भारत के पहले गृह मंत्री के रूप में चुन लिए गए।
- स्वतंत्रता के समय भारत कुल 565 देसी रियासतों में बटा हुआ था। सरदार पटेल ने अपने प्रभावशाली और कूटनीतिक विचारों से सभी 562 देसी रियासतों को भारत में मिला लिया था।
- मरणोपरांत 1991 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया है।
- 31 अक्टूबर 2013 को सरदार पटेल जी की 137 वी जयंती के अवसर पर गुजरात के केवड़िया में नर्मदा नदी के पास स्थित सरदार सरोवर बांध के पास सरदार पटेल की भव्य प्रतिमा बनाने का शुभारंभ किया गया जो 2018 में तैयार कोई।
निष्कर्ष Conclusion
इस लेख में आपने सरदार वल्लभभाई पटेल पर निबंध (Essay on Sardar Vallabhbhai Patel in Hindi) पढ़ा। आशा है यह लेख आपको पसंद आया हो। अगर यह लेख आपको अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरुर करें।