गुरु रविदास जयंती निबंध Guru Ravidas Jayanti Essay in Hindi

इस लेख में हमने आपको गुरु रविदास जयंती के बारे में निबंध (Guru Ravidas Jayanti Essay in Hindi) लिखा है। हमने यहां पर उनके जन्म, महत्व, सामाजिक कार्यों और मृत्यु के विषय में बताया है। 

प्रस्तावना Introduction

गुरु रविदास जी एक बहुत अच्छे इंसान थे। उन्होंने लोगों को आपस में भाईचारे से रहना सिखाया था। उन्हें लोग भगवान की तरह मानते थे। इस कारण गुरु रविदास जयंती का उत्सव को लोग बहुत ही धूमधाम से और खुशी से मनाते हैं। 

संत गुरु रविदास जयंती उत्सव कब मनाया जाता है? When is Guru Ravidas Jayanti Celebrated?

गुरु रविदास जयंती, हिन्दू कैलंडर के अनुसार माघी पूर्णिमा के दीन बहुत ही उत्साह के साथ भारत में, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश और पंजाब राज्य में मनाया जाता है। बनारस के लोग इस मौके पर बहुत ही अच्छे अच्छे कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं और इस दिन को त्यौहार के रुप में मनाते हैं।

इस बार संत गुरु रविदास जी की जयंती 9 फरवरी को मनाया जाएगा। श्री गुरु रविदास जन्म स्थान (श्री गुरु रविदास मंदिर) सीर, गोवर्धनपुर, वाराणसी में प्रतिवर्ष इस दिन को बहुत ही भव्य रुप से मनाया जाता है। जहां विश्वभर से लोग यहां भाग लेने के लिए आते हैं।   

गुरु रविदास कौन थे? Who was Guru Ravidas?

गुरु रविदासजी 15वीं शताब्दी के भक्ति आन्दोलन के एक महान गुरु थे। वे जाती पाती के भेदभाव को नहीं मानते थे। उन्होंने भेदभाव को कम करने के लिए कई सामजिक प्रयास किए थे। वह एक महान संत, दार्शनिक, कवि ,और समाज सुधारक थे। रविदास जी ने सबको आपस में मिलजुल कर शांति से रहने की शिक्षा दी। गुरु रविदास जी ने अपना जीवन यापन करने के लिए जूते चप्पल बनाने का भी काम किया था।

गुरु रविदास जी का जन्म और उनके माता-पिता Guru Ravidas Birth and Parents

गुरु रविदास जी का जन्म 1450 CE (14वीं-15वीं शताब्दी के बिच) वाराणसी के पास गोवर्धन नमक गांव में हुआ था। गुरु रविदास जी के पिता का नाम संतोष दास जी था और उनकी माता का नाम कलसा देवी था। गुरु रविदास जी के पिता राज्य राजा नगर में सरपंच के पद पर कार्यरथ थे। 

गुरु रविदास जी जयंती का महत्व Importance of Guru Ravidas Jayanti

लोगों का मानना था की उन्हें भगवान ने पृथ्वी पर असली सामाजिक और धार्मिक कार्यों को पूरा करने के लिए भेजा था।उनका मानना था, मनुष्य के प्रति आपस में बनाए हुए सभी भेदभाव को दूर किया जा सकता है। कर्म के प्रति महान कार्यों के लिए गुरु रविदास जी को जाना जाता है। 

गुरु रविदास जी ने दलित समाज के लोगों को एक नया अध्यात्मिक संदेश दिया जिससे वे जाति पाती के भेदभाव से जुड़ी मुश्किलों का सामना कर सके। गुरु रविदास जी ने सिख धर्म के लिए भी अपना योगदान दिया।

उनके द्वारा दी गई शिक्षाओं को रविदास्सिया पंथ या धर्म कहा जाता है। गुरु रविदास जी ने अपने शिष्यों को सिखाया कि धर्म के प्रति लालच नहीं करनी चाहिए क्योंकि वह ज्यादा देर स्थाई नहीं होता है। वह बहुत ही बुद्धिमान थे। रविदास जी एक महान समाज सुधारक थे। 

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गुरु रविदास जी का सिद्धांत Principle of Guru Ravidas Ji

  • भगवान एक है और सर्वशक्तिमान है
  • मनुष्य की आत्मा ईश्वर का एक कण है
  • ऐसी धारणा को ना मानना की भगवान निचली जाति के लोगों को नहीं मिल सकते
  • मानव जीवन के सभी अनुष्ठानों के दौरान ईश्वर पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए
  • मानसिक द्वंद को दूर करना ही ईश्वर या मोक्ष प्राप्ति का एकमात्र मार्ग है 

रविदास जी के सामाजिक कार्य Major Social works of Guru Ravidas Ji

लोग धर्म के नाम पर जाति रंगभेद करते थे रविदास जी ने जाति धर्म के भेदभाव का सामना किया और विश्वास, जाति, धर्म के परिभाषा को लोगों को समझाया। वे लोगों को कहते थे जाति धर्म और भगवान के विश्वास के द्वारा  नहीं जाना जाता है बल्कि वह अपने अच्छे कामों से जाना जाता है।

गुरु रविदास जी ने समाज में छुआछूत प्रचलन को दूर करने का बहुत प्रयास किया। उस समय चमार वर्ग के लोगों को बहुत ही नकारा जाता था। गुरु रविदास जी का मंदिरों में पूजा करना, स्कूलों में पढ़ाई करना, गांव के बाहर निकलना वर्जित था।

रविदास ने समाज में रहकर समाज की समस्या छुआछूत और भेदभाव को दूर करने का निर्णय लिया और लोगों को संदेश देना शुरू किया। वे लोगों को संदेश देते थे कि भगवान ने इंसान को बनाया है ना कि इंसान ने भगवान को।

इसका मतलब है हर इंसान भगवान द्वारा बनाया गया है। सबको धरती में समान अधिकार है। संत गुरु रविदास ने भाईचारे सहीसुरता के बारे में लोगों को विभिन्न शिक्षाएं दिया करते थे। 

संत गुरु रविदास जी की मृत्यु Death of Guru Ravidas Ji

उनके कुछ अनुयायियों का कहना है कि उनकी मृत्यु प्राकृतिक रूप से हुई थी। हालांकि कुछ लोगों का मानना है की उनकी मृत्यु 1540 को उनके जन्मस्थान वाराणसी  में हुई थी। 

निष्कर्ष Conclusion

संत गुरु रविदास जी ने जाती-पाती के भेदभाव को मिटाने का जो प्रयास किया है वो अनमोल है। उन्होंने दलित वर्ग के लोगों को भी आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहन दिया जिसके कारण उनका सम्मान किया जाता है। हमें उनके इन महान सोच को बनाये रखना चाहिए।

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