आज हमने इस आर्टिकल में आधुनिक भारत के इतिहास (Modern History of India in Hindi) के बारे में लिखा है। भारत का यह इतिहास हमें महान नेताओं के संघर्ष को याद दिलाता है। यह लेख हमने स्कूल और कॉलेज के छात्रों के लिए लिखा है जिससे की वे अपनी परीक्षाओं के लिए इस लेख से मदद ले सके।
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इसमें हमने सन के अनुसार स्टेप में नोट्स दिया है। इस आधुनिक भारत के इतिहास अनुच्छेद में हमने निम्नलिखित चीजों के विषय में विस्तार से बताया है –
- सन 1857 का विद्रोह
- उदारवादी चरण
- उग्रवादी चरण
- गांधी युग
यह सभी भाग मिलकर भारत का आधुनिक इतिहास बनता है। तो आईये शुरू करते हैं –
सन 1857 का विद्रोह Revolt of 1857 in Hindi
- 29 मार्च 1857 को मंगल पांडे नामक एक सैनिक ने बैरकपुर में गाय की चर्बी से बने कारतूस को मुह से काटने से मना कर दिया था। फलस्वरूप उसे गिरफ्तार करके 8 अप्रैल 1857 को उसे फांसी पर चढ़ा दिया गया। इससे सन 1857 के विद्रोह को चिंगारी जी लग गई।
- इस महान विद्रोह की शुरुआत 10 मई 1857 को मेरठ से हुई थी। इस विद्रोह में झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई का भी प्रमुख योगदान रहा। इसके दौरान झाँसी भी इस विद्रोह का मुख्य केंद्र बन गया।
- साथ ही दिल्ली में बहादुर शाह ज़फर, कानपुर में तात्या टोपे, लखनऊ में बेगेम हज़रत महल, बिहार से कुअंर सिंह और बरेली से खान बहादुर खा ने इस विद्रोह में अहम योगदान दिया।
- इस विद्रोह के समय भारत का गवर्नर जनरल- लॉर्ड कैनिन था।
नरमपंथी या उदारवादी चरण Freedom Struggle: Moderate Phase in Hindi
सन 1885-86
सन 1885 में अंग्रेजों ने भारत में दोबारा से अपना राज्य स्थापित कर लिया था। जिसके कारण भारत के जनता को बहुत कष्ट हुआ। तब भारत के जनता के मन में एक विचार आया कि क्यों ना एक राजनीतिक पार्टी की शुरुवात की जाये, जो की देश की ज़रूरतों को ब्रिटिश सरकार को बता सके। इस प्रकार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना हुई। कांग्रेस की स्थापना के बाद वहां का गवर्नर जनरल लॉर्ड डफरिन था।
जब कांग्रेस की स्थापना हुई थी तब अधिवेशन में 72 प्रतिनिधियों ने भाग लिया था। कांग्रेस की स्थापना के संस्थापक ए. ओ. ह्यूम थे। इन्हें हरमीत ऑफ शिमला भी कहा जाता है। इसका पहला अधिवेशन जिसमें 72 प्रतिनिधियों ने भाग लिया था वह मुंबई में हुआ था। और यह व्योमेश चन्द्र बनर्जी की अध्यक्षता में हुआ था।
सन 1886 कांग्रेस पार्टी पूरे भारत देश में फैल गई थी और एक राष्ट्रवादी पार्टी बन कर उभरी।
सन 1887-91
सन 1887 में दादाभाई नौरोजी जी ने इंग्लैंड में भारत सुधार समिति की स्थापना की थी। इसका मुख्य उद्देश्य था अंग्रेजों का विरोध करना। 1887-91के बीच कांग्रेस के बहुत सारे अधिवेशन हुए उस अधिवेशन में कांग्रेस के मुस्लिम अध्यक्ष बदरुद्दीन तैयब जी थे और पहले कांग्रेस के अंग्रेज अध्यक्ष जॉर्ज जूल थे।
सन 1892 दादाभाई नौरोजी ने इंग्लैंड के फिंसवरी नामक जगह से सांसद का चुनाव लड़ा और इंग्लैंड के सांसद पहुंचने वाले पहले भारतीय दादा भाई नौरोजी बने थे।
इन सभी नेताओं ने नियमों का पालन करते हुए ब्रिटिश शासन को भारत के हित में कार्य करने के लिए मजबूर किया था। इसलिए ऐसे नेता जो अपनी मांगों को अंग्रेजों के सामने प्रार्थना पत्र और शिष्टाचार के माध्यम से रखते थे उन्हें नरमपंथी कहा गया और इस इतिहास को उदारवादी चरण कहा गया। उदाहरण के लिए – दादाभाई नौरोजी, गोविंद रनाडे, गोपल कृष्ण गोखले,और मदन मोहन मालवीय उदारवादी नेता थे।
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उग्रवादी नेता और उग्रवादी चरण Extremist Phase in Hindi
लाल, बाल, पाल (लाल से लाला लाजपत राय, बाल से बाल गंगाधर तिलक तथा पाल से बिपिन चंद्र पाल) और अरविंद घोष कुछ प्रमुख उग्रवादी नेता थे।
सन 1905
बंगाल में बढ़ते राष्ट्रवाद को देखते हुए 20 जुलाई 1960 को बंगाल के गवर्नर लॉर्ड कर्जन ने बंगाल के विभाजन की घोषणा कर दी। जिसके विरोध में 7 अगस्त 1905 को कलकत्ता में स्वदेशी आंदोलन (बंग,भंग) आरंभ किया गया। जिसका नेतृत्व सुरेंद्रनाथ बनर्जी कर रहे थे। फिर भी 15 अक्टूबर 1905 को बंगाल का विभाजन कर दिया गया।
सन 1906
सन 1906 में आगा खां और सलीम खां ने बांग्लादेश के ढाका में मुस्लिम लीग की स्थापना कर दी। जिसका संविधान कराची में बना और पहली मीटिंग अमृतसर में आयोजित की गई थी।
सन 1907
सन 1907 में कांग्रेस का सूरत अधिवेशन आयोजित किया गया। इस अधिवेशन की अध्यक्षता रासबिहारी बोस ने की थी। इसी अधिवेशन में कांग्रेस नरम दल और गरम दल में बट गई।
सन 1908-1910
सन 1910 तक कई क्रांतिकारी गतिविधियाँ चले और कई क्रांतिकारियों ने बलिदान भी दिया, इसमें पहले युवा क्रांतिकारी- खुदीराम बोस तथा पहले मुस्लिम युवा क्रांतिकारी- अशफ़ाक़ुल्लाह ख़ाँ थे।
सन 1911-1912
लॉर्ड हार्डिंग बंगाल का गवर्नर जनरल बना, और गवर्नर जनरल बनते हैं बंगाल का विभाजन रद्द कर दिया गया। और भारत की राजधानी कोलकाता से दिल्ली बनाने का घोषणा कर दिया गया। 1912 में भारत की राजधानी कोलकाता से दिल्ली बन गई।
सन 1913
जल्द ही लाला हरदयाल ने सेनफ्रांसिस्को में गदर पार्टी की स्थापना कर दी। इस पार्टी का मुख्य उद्देश्य क्रांतिकारी गतिविधियों को सक्रिय करना था और इस पार्टी के प्रथम अध्यक्ष सोहन सिंह भाखनाथ थे।
सन 1916
1916 में 2 अधिवेशन हुए थे, होमरूल लीग की स्थापना तथा कांग्रेस का लखनऊ अधिवेशन। होम रूल लीग की स्थापना का उद्देश्य भारत में स्वशासन की स्थापना करना था। पुणे में बाल गंगाधर तिलक ने इसकी स्थापना की थी तथा मद्रास में एनी बेसेंट ने की थी।
कांग्रेस का लखनऊ अधिवेशन की अध्यक्षता अंबिका चरण मजूमदार कर रहे थे। तथा 1916 में कांग्रेस का लखनऊ अधिवेशन में गरम दल और नरम दल एक साथ मिल गए थे।
सन 1917
सन 1917 में कांग्रेस में कोलकाता अधिवेशन की अध्यक्ष एनी बेसेंट बनी और वह कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष भी थी ।
बाल गंगाधर तिलक Bal Gangadhar Tilak
बाल गंगाधर तिलक को गरम दल आंदोलन का पिता कहा जाता है। ‘स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और इसे मैं लेकर रहूंगा’ यह बाल गंगाधर तिलक का कथन है। उन्होंने साप्ताहिक पत्रिका केसरी और गीता रहस्य नामक ग्रंथ लिखा।
बाल गंगाधर तिलक को भारतीय अशांति के जनक भी कहा गया है और उनको ऐसा कहने वाले वैलेंटाइन शिरोल है। महाराष्ट्र में गणपति उत्सव आरंभ करने का श्रेय भी श्री बाल गंगाधर तिलक को ही जाता है।
गांधी युग Gandhi era in Hindi
सन 1915
सन 1915 में गांधी जी अफ्रीका से लौटे। महात्मा गांधी भारत लौटते ही भारतीयों से प्रथम विश्वयुद्ध में पैसा लेने को कहा था। जिसके कारण महात्मा गांधी को भर्ती करने वाला सर्जट कहा गया।
महात्मा गांधी को ब्रिटिश सरकार द्वारा कैसर ए हिंद उपाधि द्वारा सम्मानित किया गया। महात्मा गांधी ने यह उपाधि असहयोग आंदोलन के कारण त्याग दिया था।
सन 1917
सन 1917 में गांधी जी का आंदोलन प्रारंभ हो गया था। महात्मा गांधी जी ने सबसे पहला आंदोलन बिहार के चंपारण जिले में शुरू किया था। यह आंदोलन नील की खेती में लगने वाले टैक्स के विरोध में था। उसके बाद दूसरा आंदोलन गुजरात के खेड़ा जिले में शुरू किया था और तीसरा आंदोलन अहमदाबाद में मजदूर के साथ भूख हड़ताल।
यह तीनों आंदोलन कामयाब रहे जिसके कारण ब्रिटिश सरकार दबाव में आ गई थी और ब्रिटिश सरकार ने रॉलेट एक्ट पारित करने का निर्णय लिया।
सन 1919
19 मार्च 1919 को ब्रिटिश सरकार ने रॉलेट एक्ट पारित कर दिया। अलीपुर बम कांड में सैफुद्दीन किचलू को ब्रिटिश सरकार ने गिरफ्तार कर लिया। इस गिरफ्तारी के बाद पूरे भारत देश में व्यापक पैमाने में विरोध किया गया।
विरोध को जगाने के लिए 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर में जलियांवाला बाग पर एक विशाल जनसभा का आयोजन हुआ। बंद जलियांवाला बाग में जर्नल डायर ने भारतीय लोगों पर गोलियों की अंधाधुंध बारिश कर दी जिससे लगभग 400 भारतीय मारे गए। इस घटना को जलियांवाला बाग हत्याकांड के नाम से जाना जाता है।
इस घटना के बाद रविंद्र नाथ टैगोर ने सर की उपाधि त्याग दी थी। उस समय भारत के वायसराय लॉर्ड चेम्सफोर्ड थे। 19 अक्टूबर 1919 को एक कमीशन इस घटना की जांच के लिए नियुक्त हुआ जिसे हंटर कमीशन बोला गया।
सन 1920-1926
1 अगस्त 1920 को महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन प्रारंभ किया। लेकिन 5 फरवरी 1922 को गोरखपुर के चौरी चौरा हत्याकांड के कारण यह आंदोलन स्थगित कर दिया गया। क्योंकि एक पुलिस स्टेशन पर किसानों ने आग लगा दी थी, और कई लोग उसमें मारे गए थे। गांधी जी पूर्ण रूप से हिंसा के खिलाफ थे इसलिए उन्होंने आंदोलन वापस ले लिया।
सन 1923 इलाहाबाद में मोतीलाल नेहरु और चितरंजन दास ने मिल कार स्वराज पार्टी का गठन किया। भारत में संविधान बनाना इसका मुख्य उद्देश्य था।
1924 कांग्रेस अधिवेशन कर्नाटक के बेलगांव में हुआ था इसके अध्यक्षता गांधीजी थे। 1926 में अखिल भारतीय संघ की स्थापना हुई थी।
सन 1927
सन 1927 भारत का संविधान बनाने के लिए साइमन कमीशन की नियुक्ति की गई और इससे 3 फरवरी 1928 को भारत में प्रवेश किया गया। इसका सभी सदस्य अंग्रेज होने के कारण इसका विरोध किया गया और पूरे भारत देश में साइमन कमीशन वापस जाओ के नारे लगने लगे। मुख्य रूप से इनका विरोध लाला लाजपत राय ने किया था। लाठियों के प्रहार से लाला लाजपत राय की मृत्यु हो गई।
सन 1928-29
सन 1928 को नेहरू रिपोर्ट बनाया गया। इसकी अध्यक्षता अंसारी और नेहरु जी ने की थी। 1929 कांग्रेस का अधिवेशन लाहौर में लागू हुआ और इसके अध्यक्षता जवाहरलाल नेहरू जी ने किया। इसी अधिवेशन में पूर्ण स्वराज का संकल्प लिया गया था। इस अधिवेशन में दो मुख्य बातें निकल कर आई-
- संविधान बनाने के लिए गोलमेज सम्मेलन के बारे में चर्चा की गई।
- सविनय अवज्ञा आंदोलन प्रारंभ करने का निर्णय लिया गया।
सन 1930 गोलमेज सम्मेलन
प्रथम गोलमेज सम्मेलन 1930 में हुआ तथा द्वितीय गोलमेज सम्मेलन 1931 में और तृतीय गोलमेज सम्मेलन 1932 में हुआ। इन तीनों सम्मेलनों में भारत का संविधान 40% पूरा हो गया। भीमराव अंबेडकर जी ने तीनो गोलमेज सम्मेलन में हिस्सा लिया था।
सविनय अवज्ञा आंदोलन प्रारंभ 1930
कांग्रेस ने सविनय अवज्ञा आंदोलन प्रारंभ करने की ज़िम्मेदारी महात्मा गांधी को दी थी। गांधी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन प्रारंभ करने से पहले वायसराय अरविंद को एक मांग पत्र भेजा था जिसे उन्होंने खारिज कर दिया था।
इसके फलस्वरूप गांधी जी ने साबरमती आश्रम से 78 अनुयायियों के साथ दांडी मार्च किया और 6 अप्रैल 1930 को दांडी में नमक कानून तोड़ा। इसके फलस्वरूप सविनय अवज्ञा आंदोलन प्रारंभ हो गया।
सन 1931-1935
1931 में गांधी इरविन समझौते के साथ यह आंदोलन बंद हो गया और इसके बाद ही महात्मा गांधी ने द्वितीय सम्मेलन में हिस्सा लिया था। 1935 में भारत सरकार सुधार अधिनियम पारित किया गया जिसके फलस्वरूप सांसदों की सीटें निर्धारित की गई निर्धारित सीटों से मुस्लिम वर्ग सहमत नहीं थी।
सन 1940 – पाकिस्तान की मांग History of Demand of Pakistan in Hindi
1940 मोहम्मद अली जिन्नाने अलग पाकिस्तान बनाने की मांग कर दी।
सन 1942-1947 संविधान का निर्माण और भारत विभाजन और स्वतंत्रता The Making of Indian Constitution
1942 क्रिप्स मिशन आया जिसमें भारत का संविधान 60% बनकर तैयार हो गया उस समय भारत का वायसराय लॉर्ड लिनलिथगो थे। 1946 मे कैबिनेट मिशन हुआ इस मिशन के अंतर्गत भारत का संविधान बनकर तैयार हो गया।
1947में लॉर्ड माउंटबेटन के अनुसार भारत और पाकिस्तान को दो अलग देश बना दिए गए। भारत और पाकिस्तान के बीच एक रेखा तय किए गए उस रेखा को रेडक्लिफ रेखा कहां गया। इस प्रकार कई वर्ष गुलामी के बाद भारत स्वतंत्र हो गया, और इसका संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू कर दिया गया।
आशा करते हैं आपको भारत के आधुनिक इतिहास की पूर्ण जानकारी वर्ष अनुसार से मदद मिली होगी।