इस लेख में राष्ट्र के निर्माण में नारी का योगदान पर निबंध (Essay on Women’s contribution in Nation Building in Hindi) बेहद सरल रूप में लिखा गया है। अगर आप राष्ट्र निर्माण और नारी के योगदान के विषय में बेहतरीन निबंध चाहते हैं तो इस लेख के माध्यम से निबंध के लिए जरूरी तत्व प्राप्त कर सकते हैं।
प्रस्तावना (राष्ट्र के निर्माण में नारी का योगदान पर निबंध Essay on Women Contribution in Nation Building in Hindi)
ईश्वर ने इंसानों को दो प्रकार से बनाया है। पहला जिसके माध्यम से इंसान का जीवन संभव हो पाता है तथा प्राकृतिक चक्र का संतुलन बना रहता है अर्थात नारी। दूसरा जिसे उन्होंने शारीरिक क्षमता के साथ भार वाहन कर सकने की शक्ति दी अर्थात पुरुष।
कोई भी राष्ट्र रुपी गाड़ी इन्हीं दो पहियों पर टिकी हुई होती है। कोई एक पहलू मजबूत और दूसरा पहलू कमजोर हो तो उस राष्ट्र का सर्वांगीण विकास नहीं हो सकता।
किसी भी राष्ट्र के निर्माण में नारी का योगदान सबसे अधिक होता है। अगर नारी के विकास को केंद्र बिंदु न रखा जाए तो वह राष्ट्र ज्यादा आगे नहीं बढ़ पाएगा। इसलिए मनु ने कहा है
“ यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता
यतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफला : क्रिया ।
जहां पर नारी की इज्जत होती है तथा उसे सर्वश्रेष्ठ स्थान दिया जाता है तो वहां हर प्रकार की समृद्धि तथा सुख उपस्थित होता है। वहां पर ईश्वर का वास भी होता है।
राष्ट्र विकास में महिलाओं की भागीदारी Contribution of Women’s in Building Nation in Hindi
किसी भी राष्ट्र के विकास में जितनी भागीदारी पुरुषों की होती है उतनी ही महिलाओं की भी होती है। पुरुष अकेले ही राष्ट्र निर्माण के बोझ का वहन कर सकता।
दुनिया के विकसित तथा विकासशील देशों में सबसे बड़ा अंतर यही होता है अर्थात विकसित देशों में महिलाओं की साक्षरता, स्वास्थ्य तथा हक संपूर्ण रूप से उन्हें प्राप्त होते हैं।
वही विकासशील देशों में कहीं न कहीं महिलाओं के सर्वांगीण विकास को नजरअंदाज किया जाता है। इसलिए विकासशील देशों को विकसित की श्रेणी में जाने में अधिक समय लगता है।
एक बार महापुरुष ईशा से एक महिला ने प्रश्न किया कि एक सज्जन संतान की प्राप्ति कैसे की जाए? तो ईशा ने जवाब दिया की एक आदर्श माता बनकर। महिलाओं को ईश्वर ने पुरुषों से अधिक सहनशक्ति तथा संवेदना का भाव दिया है जिससे उनके लिए कुछ कठिन मुश्किलों को हल करना पुरुषों के मुकाबले आसान हो जाता है।
उपरोक्त पंक्ति में एक गहन दर्शन छुपा हुआ है। जिसमें नारी को समाज में अच्छे नागरिक गढ़ने की इकाई के रूप में दर्शाया गया है। किसी भी नवजात शिशु की पहली गुरु उसकी मां होती है अर्थात उसके जीवन का पूरा ताना-बाना उसकी मां के संस्कारों और विचारों पर निर्भर करता है।
अगर महिला के विचार या स्वास्थ्य दूषित हुए तो उसकी संतान भी उन्हीं विचारों को धारण करती है। इसलिए कहा जा सकता है कि राष्ट्र निर्माण की इकाई एक विकसित महिला है।
लगभग राष्ट्र की आधी आबादी महिलाओं की हो सकती है तो जाहिर सी बात है उस राष्ट्र का विकास सिर्फ 50 फीसदी आबादी मिलकर नहीं कर सकती। उस राष्ट्र के विकास में उसके शत-प्रतिशत आबादी का प्रयास बेहद ही जरूरी है।
इतिहास में भारतीय विकास में महिलाओं का योगदान Contribution of Indian Women’s in History in Hindi
भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था क्योंकि उसके विकास में पुरुष तथा स्त्रियों का समान प्रयास हुआ करता था। लेकिन जैसे-जैसे स्त्रियों के विकास का अनुपात कम होता गया वैसे वैसे भारत का गौरव भी धूमिल पड़ता गया।
भारतीय महिलाओं का इतिहास में योगदान अप्रतिम रहा है। सिर्फ स्वाधीनता संग्राम के समय को देखा जाए तो भारतीय महिलाओं का योगदान अगणनीय ही प्राप्त होगा।
स्वाधीनता संग्राम के दौरान महारानी लक्ष्मीबाई, विजयालक्ष्मी पंडित, अरुणा आसफ अली, सरोजिनी नायडू, कमला नेहरु, सुचेता कृपलानी, मणीबेन पटेल अमृत कौर जैसी स्त्रियों ने आगे आकर अपना अप्रतिम योगदान दिया।
प्राचीन भारत में सीता, सावित्री, गंडकी, अरुंधती, लोपामुद्रा, अनुसूया जैसी महान स्त्रियों ने अपने ज्ञान के माध्यम से मानव समाज को एक सकारात्मक मार्ग दिखाया।
वर्तमान युग में महिलाओं का योगदान Contribution of Women in the Present Era in Hindi
मध्यकाल में मुगल तथा विदेशी लुटेरों की कुदृष्टि ने महिलाओं को बेहद संकुचित होने पर मजबूर कर दिया और लंबे समय तक इस भावना का समाज में बने रहना एक कुप्रथा, परंपरा का रूप में बदल गया। जिससे आज तक हानि ही हानि हो रही है।
भारत के हरियाणा जैसे राज्यों का लैंगिक अनुपात इतना खराब हो चुका है जिससे वहां का भविष्य तथा विकास मार्ग सरल नहीं लग रहा।
वर्तमान युग में महिलाओं को मात्र भोग विलास की वस्तु बना कर रख दिया गया है। जिसका मूल काम घर में रहकर चूल्हा चौका करना तथा परिवार की देखभाल करना रह गया है।
आजादी के बाद महिलाओं ने सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था में अपनी स्थिति को लगातार बेहतर किया है। उदाहरण के रूप में श्रीमती विजयलक्ष्मी पंडित दुनिया की पहली ऐसी महिला थी जिन्हें संयुक्त राष्ट्र महासभा का अध्यक्ष बनाया गया।
सरोजिनी नायडू आजाद भारत की पहली महिला राज्यपाल बनीं वहीं दूसरी ओर सुचेता कृपलानी प्रथम महिला मुख्यमंत्री, इंदिरा गांधी प्रथम महिला प्रधानमंत्री के रूप में भारत की सुदृढ़ता मजबूत की।
वर्तमान में किरण बेदी, मीरा कुमार, बछेंद्री पाल, संतोष यादव, सानिया मिर्जा, साइना नेहवाल, पीटी उषा, दीपा दास, मिताली राज जैसी महिलाओं ने हर क्षेत्र में भारत का इकबाल बुलंद किया है।
आधुनिक युग में भी ऐसी महिलाएं हुई हैं जिन्होंने लोगों की मानसिकता ओं को बदल कर रख देने का काम किया है। जब स्त्रियों को उनके अधिकारों से भी वंचित रखा जाता था तब भारत की प्रधानमंत्री के पद पर एक महिला विराजित होकर सामाजिक कुप्रथा पर गहरी चोट की।
भारतीय महिलाओं ने सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपना झंडा गाड़ा है। इसका सबसे बेहतर उदाहरण के रूप में कल्पना चावला, रितु करिधाल,चंद्रिमा सहा, मुथय्या वनिथा, गगनदीप कंग इत्यादि तथा सबसे ताजा उदाहरण के रूप में नासा, अमेरिका के मंगल प्रोजेक्ट को लीड कर रही डॉक्टर स्वाति शर्मा हैं।
आज के समय जहां विज्ञान ने इतनी तरक्की कर ली है वहीं दूसरी तरफ महिलाओं का कुछ ऐसा वर्ग भी है जिन्हें उनके मूल अधिकारों से वंचित रखा जा रहा है। इस कुप्रथा को दूर करने के लिए हर किसी को अपनी मानसिकता बदलने की आवश्यकता है।
जब तक हम अपनी मानसिकता को नहीं बदलकर स्त्रियों को साथ नहीं लेंगे तब तक राष्ट्र का सर्वांगीण विकास मुमकिन नहीं हो पाएगा।
भारत के आर्थिक विकास में महिलाओं का योगदान Contribution of Women in India’s Economic Development in Hindi
किसी भी राष्ट्र का सर्वांगीण विकास तब हुआ माना जाएगा जब वह आर्थिक, भौतिक तथा सुरक्षा में पूरी तरह से विकास कर ले। अगर किसी एक पहलू में कमी आती है तो वह पूरे राष्ट्र के विकास में बाधा उत्पन्न करता है।
भारत के आर्थिक विकास में महिलाओं का योगदान बहुत ही ज्यादा रहा है। भारत की ज्यादातर महिलाएं गृहणिया हैं अर्थात भारत की महिलाएं पारिवारिक जीवन में रहने के बाद भी भारत के आर्थिक विकास में अपना पूर्ण सहयोग दे रही हैं।
आधुनिकता के आगमन एवं शिक्षा के प्रसार ने महिलाओं की स्थिति में सुधार लाना प्रारम्भ किया, जिसका परिणाम राष्ट्र की समुचित प्रगति के पथ पर निरंतर अग्रसर होने के रूप में सामने हैं।
चाहे चिकित्सा क्षेत्र हो या सुरक्षा क्षेत्र चाहे इंजीनियरिंग तथा सिविल सेवा क्षेत्र हो या पुलिस तथा विज्ञान का क्षेत्र प्रत्येक क्षेत्र में आज भारतीय स्त्रियां सम्मानित पद पर आसीन हैं। आज की महिलाओं की स्थिति प्राचीन काल की महिलाओं से बहुत ही बेहतर है। जिससे देश की आर्थिक मजबूती और भी ज्यादा हो रही है।
भारतीय गृहणियां दुनिया की सबसे कुशल परिवार संचालक के रूप में जानी जाती हैं। पिछड़े क्षेत्रों की महिलाएं भी आज कढ़ाई-बुनाई तथा छोटे उद्योग चलाकर अपने विकास के साथ देश की विकास भी सुनिश्चित कर रही हैं।
भारतीय स्त्रियां राष्ट्र के विकास में और भी अधिक योगदान दे सकती हैं लेकिन उससे पहले उन्हें अपनी मानसिकता में बदलाव करना होगा। अपने हक के लिए खुले तौर पर आवाज उठाना होगा।
शासन तथा संविधान स्त्रियों के हक के सुरक्षा तब तक नहीं कर सकता जब तक वे कड़ाई से प्रतिरोध उत्पन्न करना ना शुरू करें।
निष्कर्ष Conclusion
इस लेख में आपने राष्ट्र के निर्माण में नारी का योगदान पर निबंध (Essay on the contribution of womens in Nation Building in Hindi) पढ़ा। आशा है यह लेख आपको सरल तथा जानकारी से भरपूर लगा हो। अगर इस लेख के माध्यम से आपकी सहायता हुई हो तो इसे शेयर जरूर करें।