इस लेख में हमने राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा पर निबंध (Essay on Tiranga Jhanda in Hindi) बेहद सरल रूप में लिखा है। राष्ट्रीय ध्वज पर निबंध कक्षा 5 से कक्षा 12 तक परीक्षाओं में विभिन्न रूपों से पूछा जाता है।
इस निबंध में तिरंगे का इतिहास तथा महत्व और विशेषताओं को बेहद आकर्षक रूप से लिखा गया है और लेख के अंत में राष्ट्रीय ध्वज पर दस पंक्तियाँ इसलिए को और भी बेहतरीन बनाते हैं।
प्रस्तावना (राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा पर निबंध Essay on Tiranga Jhanda in Hindi)
अनुक्रम
- 1 प्रस्तावना (राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा पर निबंध Essay on Tiranga Jhanda in Hindi)
- 2 भारतीय राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा का इतिहास History of Indian National Flag in Hindi
- 3 राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा किसने बनाया था? Who Made Tiranga Jhanda?
- 4 राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा के तीन रंग का महत्व The Importance of Tiranga Jhanda in Hindi
- 5 भारतीय राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा में अशोक चक्र का महत्व और विशेषताएं Importance of Ashok Chakra in National Flag of India in Hindi
- 6 राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा पर 10 लाइन 10 Lines on Tiranga Jhanda in Hindi
- 7 निष्कर्ष Conclusion
किसी भी देश का राष्ट्रीय ध्वज उस देश के लिए सम्मान तथा गर्व की बात होती है। हर आजाद देश का एक राष्ट्रीय ध्वज होता है, जो उसके स्वतंत्रता तथा सर्वसम्मति का प्रतीक होता है।
अंग्रेजी हुकूमत के समय भारत में ब्रिटेन का ध्वज ही चला करता था लेकिन स्वाधीनता संग्राम में राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे का जन्म हुआ। आजादी के बाद उसमें थोड़े बहुत परिवर्तन किए गए।
भारतवासियों के लिए राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा बेहद गर्व की बात है। एक सच्चा राष्ट्रवादी कभी भी तिरंगे का अपमान सहन नहीं कर सकता।
भारतीय संविधान के अनुसार तिरंगा यह देश की शान, प्रतिष्ठा तथा वैभव का प्रतीक है। इसका गौरव सदा ही बना रहे इसलिए हर किसी के लिए तिरंगे तथा देश का सम्मान करना अनिवार्य है।
संविधान के अनुसार राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा का स्पर्श कभी भी पानी और जमीन पर नहीं किया जाना चाहिए या किसी भी चीज को ढकने के लिए इसका प्रयोग बिल्कुल भी नहीं किया जाना चाहिए।
2005 से पहले तिरंगे वाला वस्त्र पहनने पर कठोर कार्यवाही होती थी लेकिन संशोधन के बाद तिरंगे की प्रति को वस्त्र के रूप में धारण करने की छूट दी गई।
भारतीय राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा को पूर्ण रूप से जारी करने में उस वक्त की कांग्रेस पार्टी में बहुत ही मतभेद थे। इसलिए लगभग 6 बार संशोधन के बाद तिरंगे को पूर्ण रूप से मान्यता दी गई।
भारतीय राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा का इतिहास History of Indian National Flag in Hindi
प्राचीन भारत से लेकर आधुनिक भारत तक हर काल में एक ध्वज हुआ करता था। प्राचीन भारत में जब हिंदू शासकों की बहुलता थी तब ध्वज के रूप में भगवे को पूजा जाता था।
भारतीय राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा को बनाने में राजनीतिक दलों में आपसी मतभेद बहुत ही ज्यादा थे। कोई चाहता था कि राष्ट्रीय ध्वज पूरी तरह से हरा हो तथा चांद तारे लगे हो। वहीं कुछ लोग चाहते थे कि भारतीय ध्वज पहले की तरह भगवा रंग का हो।
लेकिन कुछ बुद्धिमान व्यक्तियों के कारण ध्वज को तीन मुख्य भागों में बांट दिया गया जिसे भारत देश के शांतिप्रियता, विकास और कृषि का सूचक माना जाने लगा।
भारतीय इतिहास का सबसे पहला झंडा भगिनी निवेदिता द्वारा बनाया गया था। जिसे 1986 कांग्रेस अधिवेशन में कोलकाता में फहराया गया। इस झंडे को लाल पीली और हरी पट्टी से क्षैतिज पट्टी से बनाया गया था।
पहली पट्टी हरे रंग की थी जिस पर 8 कमल के फूल बने हुए थे। बीच वाली पट्टी पीली रंग की थी जिस पर वंदे मातरम लिखा हुआ था और आखिरी पट्टी हरे रंग की थी जिस पर चांद और सूरज बने हुए थे।
लेकिन बहुत ही जल्द इसे बदल कर ऊपरी पट्टी पर केसरिया रंग कर दिया गया और उस पर तारों के समूह को अंकित भी किया गया। जिसे सन 1907 में मैडम कामा और कुछ क्रांतिकारियों के द्वारा पेरिस में फहराया गया।
लगभग दस साल चलने के बाद इस ध्वज पर उस वक्त के कांग्रेस के कुछ नेताओं को आपत्ति होने लगी इसलिए उन्होंने इसके संशोधन की मांग की। इसलिए चौथी बार भारतीय ध्वज में संशोधन 1917 में हुआ।
इस बार के ध्वज पर 4 हरी पत्तियों को जोड़ा गया और ध्वज के कोने पर आधे चांद को छापा गया। जब भारत अंग्रेजों से संघर्ष कर रहा था तब डॉक्टर एनी बेसेंट और श्री लोकमान्य तिलक के द्वारा यह फहराया गया।
सन 1921 में अखिल भारतीय कांग्रेस सत्र के दौरान “पिंगली वेंकैया” नामक एक युवक महात्मा गांधी से मिला। उस युवक ने एक लाल और एक हरी पट्टी वाले ध्वज को गांधी जी को दिखाया। तो गांधी जी ने उसे सुझाव दिया की इसके बीच में सफेद रंग और चरखे को शामिल किया जाए।
गांधीजी का मानना था कि ध्वज में रहे लाल रंग को हिंदू आस्थाओं का प्रतीक और हरे रंग को मुस्लिम आस्थाओं के प्रतीक के रूप में शामिल किया जाए और बीच में रहे सफेद रंग दोनों को शांति व भाईचारे की सीख देते हैं।
राष्ट्रध्वज में पांचवा संशोधन सन् 1931 में हुआ। इस साल ही ध्वज को राष्ट्रीय ध्वज कह कर सम्मानित किया गया। जिसमें लाल रंग की जगह पर केसरिया सफेद और हरे रंग को महत्व दिया गया है। जिसके बीच में एक चरखा शामिल किया गया था।
छठी बार तिरंगे का संशोधन सन 1947 में हुआ। जब कांग्रेस पार्टी ने अपने पार्टी सिंबल के रूप में तिरंगे पर के चरखे को हटाकर अशोक चक्र को शामिल किया। इस तरह उस ध्वज को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में जाहिर किया।
महात्मा गांधी जी चरखे को हटाकर अशोक चक्र को शामिल करने से बेहद ही नाराज हुए। उन्होंने कहा कि मैं इस झंडे को कभी भी सलामी नहीं दूंगा।
राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा किसने बनाया था? Who Made Tiranga Jhanda?
भारत के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा के निर्माण के लिए अनेक लोगों ने योगदान दिया था। भगिनी निवेदिता से लेकर मैडम एनी बेसेंट तक सभी ने एक बेहतर ध्वज देने की कोशिश की थी।
जब आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में एक कांग्रेस सम्मेलन हो रहा था तब पिंगली वेंकैया नामक व्यक्ति ने महात्मा गांधी को वर्तमान राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे के बारे में जानकारी दी थी।
महात्मा गांधी के आदेश पर पिंगली वेंकैया ने पहली पट्टी में लाल रंग को, बीच में सफेद रंग व एक चरखे को और आखिरी पंक्ति में हरे रंग को गढ़कर राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा का निर्माण किया था।
राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा के तीन रंग का महत्व The Importance of Tiranga Jhanda in Hindi
राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा में तीन रंगों का प्रयोग किया गया है। तीनों के ही अपनी विशेषता तथा महत्व है। ऊपर की सबसे पहली पट्टी में केसरी रंग को शामिल किया गया है।
सनातन संस्कृति में केसरी रंग को प्रकृति का सूचक माना गया है। सनातन ग्रंथ कहते हैं कि सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक आकाश का रंग केसरी होता है। छोटी से लेकर बड़ी सभी प्रकार की अग्नि का वास्तविक रंग केसरी ही होता है।
केसरी रंग को शौर्य तथा सात्विकता का प्रतीक माना जाता है। इसलिए सनातन संस्कृति में वस्त्र से लेकर वास्तु शास्त्र तक केसरी रंग को विशेष महत्व दिया गया है।
राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा के मध्य में सफेद रंग तथा अशोक चक्र को शामिल किया गया है। सफेद रंग को हर रंगों की उत्पत्ति का केंद्र माना जाता है। दूसरी और सफेद रंग को शांति तथा सहयोग का प्रतीक भी माना जाता है। बीच में रहे अशोक चक्र को विकास तथा एकता का प्रतीक माना जाता है।
ध्वज के आखिर में प्रयोग हुए हरे रंग को कृषि तथा प्रकृति प्रेम का प्रतीक माना जाता है। इसलिए राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे का महत्व बेहद ही अधिक है।
भारतीय राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा में अशोक चक्र का महत्व और विशेषताएं Importance of Ashok Chakra in National Flag of India in Hindi
राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा में अशोक चक्र के महत्व तथा विशेषताएं बेहद ही अधिक है। सम्राट अशोक धर्म तथा न्याय की मूर्ति माने जाते थे। उनके शौर्य की गाथाएं दूर-दूर तक फैले हुए थे।
तिरंगा झंडा में अशोक चक्र को धर्म चक्र के रूप में भी शामिल किया जाता है। सम्राट अशोक भगवान बुद्ध के ज्ञान से बेहद प्रभावित थे इसलिए उन्होंने इस धर्म चक्र को अपने ध्वज में शामिल किया था।
अशोक चक्र के अपने दार्शनिक तथा आध्यात्मिक मायने हैं। लेकिन चरखे को आत्मनिर्भरता का प्रतीक माना जाता था। महात्मा गांधी चाहते थे कि इसके माध्यम से जन समुदाय को आत्मनिर्भर होने की सीख मिले।
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने जब बौद्ध धर्म को अपनाया तब उनके साथ बहुत से लोगों ने बौद्ध धर्म का अनुसरण किया। उस वक्त कि कांग्रेस पार्टी ने वोट के रूप में उन सभी लोगों को अपने साथ लेने के लिए अवसर का फायदा उठाया और चरखे को बदलकर अशोक चक्र को राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा में शामिल कर लिया।
राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा पर 10 लाइन 10 Lines on Tiranga Jhanda in Hindi
- अंग्रेजी हुकूमत के समय भारत में ब्रिटेन का ध्वज ही चला करता था लेकिन स्वाधीनता संग्राम में राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे का जन्म हुआ।
- संविधान के अनुसार तिरंगे का स्पर्श कभी भी पानी और जमीन पर नहीं किया जाना चाहिए।
- 2005 से पहले तिरंगे वाला वस्त्र पहनने पर कठोर कार्यवाही होती थी।
- भारतीय इतिहास का सबसे पहला झंडा भगिनी निवेदिता द्वारा बनाया गया था।
- दूसरा झंडा सन 1907 में मैडम कामा और कुछ क्रांतिकारियों के द्वारा पेरिस में फहराया गया।
- सन 1917 में डॉक्टर एनी बेसेंट और श्री लोकमान्य तिलक के द्वारा तीसरी बार संशोधित ध्वज फहराया गया।
- सन 1921 में अखिल भारतीय कांग्रेस सत्र के दौरान “पिंगली वेंकैया” नामक एक युवक ने तिरंगे का विचार महात्मा गांधी को बताया।
- राष्ट्रध्वज में पांचवा संशोधन सन 1931 में हुआ। इस साल ही ध्वज को राष्ट्रीय ध्वज कह कर सम्मानित किया गया।
- महात्मा गांधी जी चरखे को हटाकर अशोक चक्र को शामिल करने से बेहद ही नाराज हुए। उन्होंने कहा कि मैं इस झंडे को कभी भी सलामी नहीं दूंगा।
- राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे में अशोक चक्र को धर्म चक्र के रूप में भी शामिल किया जाता है।
निष्कर्ष Conclusion
इस लेख में आपने राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा पर निबंध हिंदी में (Essay on Tiranga Jhanda in Hindi) पढ़ा। आशा है यह लेख आपके लिए सरल तथा मददगार साबित हुआ हो। अगर यह लेख आपको पसंद आया हो तो इसे शेयर जरूर करें।