शहीद दिवस पर भाषण Speech on Martyr’s Day in Hindi

इस लेख में शहीद दिवस पर भाषण (Martyrs’ Day speech in Hindi) बेहद आकर्षक रूप से लिखा गया है। यहां पर विद्यार्थियों तथा शिक्षकों के लिए के लिए शहीद दिवस पर स्पीच विस्तृत रूप से लिखा गया है। 

शहीद दिवस के लिए भाषण तैयार करना एक मुश्किल काम होता है। लेख के अंत में शहीद दिवस पर 10 बेहतरीन लाइनें भी शामिल हैं जो आपके भाषण को अनोखा तथा आकर्षक बनाने में मदद करेगी। 

शहीद दिवस Martyr’s Day in India (Hindi)

भारत को गुलामी से मुक्त कराने के लिए पचीस लाख ओन रिकॉर्ड शहादत दर्ज है। शहीद दिवस के रूप में उन सभी क्रांतिकारियों को नमन करने की परंपरा है। शहीद दिवस पर नायक के रूप में शहीद भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु को याद किया जाता है।

23 मार्च सन 1931 को भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को असेम्बली हॉल में बम फेकने के जुर्म में अंग्रेजी हुक़ूमत ने फ़ासी की सजा दी। इसलिए हर वर्ष 23 मार्च को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है जिसपर विद्यालयों में भाषण तथा अन्य कार्यक्रम होते हैं।

लेकिन शहीद दिवस अलग-अलग दिन पर भी मनाया जाता है। आम तौर पर शहीद दिवस 30 जनवरी को मनाया जाता है क्योंकि 30 जनवरी सन 1948 में महात्मा गांधी जी की हत्या की गयी थी।

शिक्षकों के लिए शहीद दिवस पर भाषण Speech on Martyr’s Day for Teachers in Hindi

आदरणीय वरिष्ठ और सभी विद्यार्थी मित्रों को शहीद दिवस पर मेरा कोटि कोटि अभिवादन। परिवर्तन संसार का नियम है लेकिन प्राकृतिक परिवर्तन और भौतिक परिवर्तन में ज़मीन-आसमान का फर्क होता है।

प्राकृतिक परिवर्तन तो प्रकृति के हाथ में होता है लेकिन भौतिक परिवर्तन के लिए जनसमूह का परिश्रम और समर्पण अत्यावश्यक होता है।

आर्याव्रत से लेकर इंडिया के सफ़र तक इस महान भूमि भारत ने अनेक कालखंड देखें तथा अनेकों लोगों को आश्रय दिया। कुछ तो इस भूमि के पुजारी हो गए लेकिन कुछ इस भूमि की महानता देखकर लालचवश इस भूमि को ही लूटने लगे।

भारतीयों के प्रेम और अपनत्व को उनकी मज़बूरी मानकर समय-समय पर आक्रान्ताओं ने भारतवर्ष को लुटा। लेकिन जहाँ एक ओर भारतीय शास्त्र के पुजारी थे वहीँ दूसरी ओर शस्त्र चलाना भी जानते थे इसलिए इस भूमि ने हमेशा अपने वजूद की लड़ाई लड़ी।

दोस्तों! हमें पढ़ाया जाता है की हम पहले मुग़लों के ग़ुलाम रहे फिर अंग्रेजों के, लेकिन वह अंग्रेजी शिक्षा पद्धति यह बताने में नाकाम हो जाती है की जब तक लड़ाई चालू रहती है तब तक किसी को विजेता घोषित कैसे कर दिया गया। 

जहाँ एक ओर महाराणा-शिवाजी और भगत सिंह-बोस जैसे वीर सपूत रहें हों तो वह भूमि को किसी के अधीन कह देना यह बिना परिणाम के विजय प्रदान करने जैसी बात होगी। अंग्रेजों ने हमें आज़ादी नहीं दी बल्कि उन्हें देनी पड़ी|

आज शहीद दिवस है और हम शहीद दिवस इसलिए मना रहें है की हम यह दिखाना चाहते हैं की तुम हमें गुलाम बनाने की लड़ाई में जीत नहीं सके, हमने लड़ना और मरना चुना। इसलिए आज हम जीत गए। 

अगर यह कोई आपसे कहे की भारत मुगलों और अंग्रेजों का गुलाम था तो उन्हें राणा-शिवा और शेखर आज़ाद का नाम याद दिला देना और दो पंक्तियाँ कह देना की हम लड़कर और दुश्मनों के घुटने तोड़कर जीते हैं 

,चाहे तो इतिहास पलट लो बशर्ते वह इतिहास भूतपूर्व जयचंदों की कलमों से न लिखे गए हों।

मेरे विद्यार्थी मित्रों आज हम अपने छत पर तिरंगा शान से फहरा सकते हैं और चाहे जहाँ वन्देमातरम गा सकते हैं। लेकिन कुछ वर्षों पहले सिर्फ यही करने पर कारावास या मौत की सजा तक सुना दी जाती थी। इस आज़ादी के लिए हमने बहुत कुछ खोया है।

हर किसी की इच्छा होती है की वह शांति से पढ़ लिखकर किसी नौकरी धंधे पर लग जाए। कोई यह नहीं चाहता की हज़ारों के समूहों के बीच अकेले खड़े होकर दुश्मन को ललकारे।

हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने हर स्वार्थ की बलि देकर आज़ादी के रण-संग्राम में कूद पड़े और भारत माता के चरणों में खुद को समर्पित कर दिया। दोस्तों! यह भी एक तपस्या ही है जो हर एक क्रांतिकारी ने की है और भारत का हर सैनिक हर रोज करता है।

मित्रों आज शहीद दिवस के दिन हमारे बीच हर उम्र के लोग बैठे हैं उनके सःस्वर आपको यह बताना चाहूँगा की जब शहीद भगत सिंह फ़ासी पर झूल गए थे तब उनकी उम्र मात्र चौबीस वर्ष थी। जब खुदीराम बोस को फ़ासी दी गयी तब वे सिर्फ उन्नीस साल के थे।

शहीद अशफाक़उल्ला को जब फ़ासी हुई तब वे सिर्फ सत्ताईस वर्ष के थे। दोस्तों जिस उम्र में हम सचेतन होकर काम तक नहीं कर पाते, उस उम्र में इन देवात्माओं ने बिना किसी स्वार्थ के खुद को वतन पर क़ुर्बान कर दिया।

दोस्तों इन महापुरुषों ने अपने छोटे से जीवन काल में आने वाली पीढ़ियों के लिए अप्रतिम ज्ञान और मार्गदर्शन के साथ एक जरुरी चीज़ छोड़ कर गई है जिसे “देशभक्ति” और “जिम्मेदारी” कहा जा सकता है।

हमारा और आपका यह फ़र्ज़ बनता है की खुद से पहले अपने मिट्टी के बारे में सोचें अपने देश के हित को खुद के हित से सर्वोपरी रखें।

उन सभी शहीद देवात्माओं को नमन के साथ मैं अपनी बात को विराम देना चाहूँगा जय हिन्द! वन्दे मातरम।

विद्यार्थियों के लिए शहीद दिवस पर भाषण Martyr’s Day Speech for Students in Hindi

आदरणीय प्रधानाचार्य और शिक्षक गण तथा विद्यार्थी साथियों को मेरा वन्दे मातरम। 

हमारा देश एक महान देश है इसलिए नहीं की हमारे पास प्राकृतिक संपदाएँ ज्यादा है बल्कि इसलिए की इस भूमि ने सबको दिल खोलकर दिया है। इसने मुगलों, अंग्रेजों सभी को रोटी और विकास में हिस्सा दिया।

लेकिन उन्होंने पूरी ज़मीन पर अधिपत्य करने की सोची तो इस संत भूमि अपने ताप से उन्हें जड़ से उखाड़ फेका। जो कभी खुद को भारत का शासक बताते थे उनके नाम तक को सुनना पसंद नहीं किया जाता।

क्रांति सुनने में बेहद छोटा सा शब्द है लेकिन वास्तव में क्रांति लाने के लिए रक्त की स्याही का प्रयोग करना पड़ता है। जब-जब देश को जरुरत पड़ी तब-तब माँ भारती के वीर सपूत आगे आकर अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिए।

आज हम शहीद दिवस पर उन्ही वीर सपूतों को याद करने के लिए तथा उनके सपनों को आगे बढ़ाने के लिए इकट्ठा हुए हैं। आज जीवन जितना आसान है और हम सभी के पास हमारे सभी मुलभुत अधिकार सुरक्षित हैं कुछ दशकों पहले का मंज़र बहुत अलग था।

जहाँ हमारे किसान भाइयों को अपने खून पसीने से उगाए अनाजों का एक हिस्सा विदेशी आक्रान्ताओं को देना पड़ता था।

आम जनता की जिंदगी का कोई वजूद न था तब की परिस्थितियों से लोहा लेने के लिए हमारे ही उम्र के कुछ युवा आगे आए और जनमानस के अन्दर की आग को जला गए।

कुछ दशक पहले 23 मार्च सन 1931 को चौबीस वर्षीय भगत सिंह और सुखदेव, राजगुरु को असेम्बली हॉल में बम फेकने के जुर्म में फाँसी की सजा दे दी गई।

दोस्तों! कारण असेम्बली में बम फेका जाना नहीं था बल्कि अंग्रेजी हुकुमतो को भगत सिंह में अंग्रेजी साम्राज्य का उजाड़ना दिख चुका था और अपनी हार से बचने के लिए उन्होंने क्रांतिकारियों को फ़ासी देना शुरू कर दिया लेकिन वे भूल गए की क्रांति की लड़ाई में खून से क्रांतिकारी निकलते हैं।

भारत को आज़ादी दिलाने के लिए लाखों स्वयंसेवकों ने अपने प्राणों की आहुति दी और अपने आहुति के साथ हमारे लिए यह आदेश छोड़ गए की अब अपने देश की देखभाल आप और हम जैसे युवाओं को करनी है। 

भगत सिंह कहते थे की भारत को आज नहीं कल आज़ादी जरुर मिलेगी लेकिन उस आज़ादी के बाद हमें दुगुना संघर्ष करना होगा। हमें गरीबी से, जातिवाद से आज़ादी पाना होगा तब कही हम पूरी तरह से आज़ाद गिने जायेंगे

दोस्तों हमें भी अपने अन्दर भगत सिंह, आज़ाद जैसी देश भक्ति लानी होगी और स्वयं से पहले राष्ट्र के बारे में सोचना होगा। आज मैं अपने अंतर्मन का एक भाग आप सभी के आगे रखना चाहूँगा की हम हर साल देखते हैं की फला व्यक्ति अमेरिका या यूरोप चला गया.. वगैरह वगैरह

दोस्तों! जिस धरती पर हमने जन्म लिया जहाँ पर हमने अपना बचपन गुजारा तथा जिस मिट्टी का हमने अन्न खाया। तो थोड़ा सा ज्यादा पैसा मिलने के कारण हम अपनी मिट्टी को छोड़ जाएँ?

हाँ! बेशक अभी अभी अपने पैरों पर खड़ा हुआ है हमारा देश। लेकिन क्या हमारा कर्तव्य नहीं बनता की हम अपने सामर्थ्य-बुद्धि से अपने देश को आगे बढाएं?

आज शहीद दिवस पर मैं यह प्रण लेता हूँ की जीवन में मैं चाहे जितनी ऊँचाइयों को छु लूं लेकिन मेरे सभी ऊँचाइयों का केंद्र मेरा देश ही रहेगा। मैं अपने सामर्थ्य को अपने देश अपनी मिट्टी में खपा दूंगा। इसी के साथ मैं अपने भाषण को समाप्त करना चाहूँगा। जय हिन्द वन्देमातरम।

शहीद दिवस पर 10 सुविचार Martyr’s Day Quotes in Hindi

  1. जिंदगी तो सिर्फ अपने कंधों पर जी जाती है, दूसरों के कंधे पर तो सिर्फ जनाजे उठाए जाते हैं- भगत सिंह
  2. अगर युवाओं को इश्क ही करना है , तो अपने मातृभूमि से करो , अपने वतन से करो। अगर मरना ही है तो इसी मातृभूमि की खातिर मरो। – आज़ाद
  3. सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है। – राम प्रसाद बिस्मिल
  4. स्वराज मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगा। – बाल गंगाधर तिलक
  5. क्रांति की  तलवार में धार वैचारिक पत्थर पर रगड़ने से होती है। – भगत सिंह
  6. भाग्य चक्र किसी न किसी दिन अंग्रजों को अपना भारतीय साम्राज्य छोड़ने के लिए विवश करेगा। मगर किस प्रकार का भारत वे छोड़कर जायेंगे, कितनी भयंकर गरीबी होगी ? जब शताब्दियों पुराने प्रशासन का प्रवाह सूख जायगा तब वे किस तरह की बेकार कीचड़ व गंदगी अपने पीछे छोड़कर जायेंगे।– रबिन्द्रनाथ टैगोर
  7. अगर बहरों को सुनना है तो आवाज़ को बहुत जोरदार होना होगा. जब हमने बम गिराया तो हमारा धेय्य किसी को मारना नहीं था. हमने अंग्रेजी हुकूमत पर बम गिराया था. अंग्रेजों को भारत छोड़ना चाहिए और उसे आज़ाद करना चहिये – भगत सिंह
  8. अगर संसार में कोई पाप है तो वह कमजोरी है, सभी तरह की कमजोरी से दूर रहो, कमजोरी पाप है, कमजोरी मौत है। – लाला लाजपत राय
  9. प्रेमी, पागल, और कवी एक ही चीज से बने होते हैं- भगत सिंह
  10. देश के हित जो जीता है, देश के हित जो मरता है उसका हर आँसू रामायण, प्रत्येक कर्म ही गीता है

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में आपने शहीद दिवस पर भाषण (Speech on Martyr’s Day in Hindi) पढ़ा आशा है यह भाषण आपके लिए मददगार साबित हो। अगर यह लेख आपको पसंद आया हो तो इसे शेयर जरुर करें।

Leave a Comment

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.