इस लेख में हम छोटू राम जयंती पर निबंध प्रस्तुत किया है। हमने यहां पर छोटू राम जयंती (Sir Chhotu Ram Jayanti in Hindi) पर प्रस्तावना, जन्म, महत्व, मृत्यु, और उनके अच्छे कामों को लिखा है।
प्रस्तावना Introduction
सर छोटू राम को किसानों का मसीहा कहा जाता है। वे भारतीय किसानों के लिए ब्रिटिश सरकार से लड़े थे। इसीलिए उन्हें प्रतिवर्ष उनके जन्मदिन पर आज भी याद किया जाता है। उनके इस जन्मदिन दिवस को छोटू राम जयंती के रूप में प्रतिवर्ष 30 जनवरी को भारत में मनाया जाता है।
दीनबंधु छोटू राम कौन थे? Who was Sir Chhotu Ram?
साल 1916 में जब रोहतक में कांग्रेस कमेटी का गठन हुआ तब वे अध्यक्ष बने लेकिन बाद में महात्मा गांधी जी के असहयोग आंदोलन से उनके विचार नहीं मिले इसलिए वह उनसे अलग हो गए। उनका कहना था दीनबंधु छोटू राम जी का कहना था कि असहयोग आंदोलन से भारत के गरीब किसानों का कोई फायदा नहीं हो रहा था इसलिए वह इस आंदोलन से हट गए। उन्होंने यूनियनिस्ट पार्टी का गठन किया। सर छोटू राम विकास व राजस्व मंत्री बने।
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सर छोटू राम का जन्म और माता-पिता Chhotu Ram Birth and Parents
छोटू राम जी के बचपन का नाम राम रिचपाल था। उनका जन्म एक जाट परिवार में गढ़ी सांपला, रोहतक, पंजाब के एक छोटे से गांव में साधारण से परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम चौधरी सुखीराम सिंह और माता का नाम सरला देवी था। अपने भाइयों में वे सबसे छोटे थे इस कारण उन्हें प्यार से सभी छोटू कह कर बुलाते थे।
सर छोटू राम जी के जयंती और महत्व Chhotu Ram Jayanti Importance
1937 के प्रोवेंशियल असेंबली चुनाव में सर छोटू राम जी को पंजाब राज्य के विकासमंत्री के रूप में चुना गया।सर छोटू राम ने ब्रिटिश शासन काल में किसानों के लिए लड़ाई लड़ी इस कारण उन्हें किसानों का मसीहा कहा जाता है। सर छोटूराम पंजाब राज्य के सम्मानित मंत्री थे। सर छोटू राम ने कुछ ऐसे सामाजिक सुधारक कार्य किए जिससे किसानों को शोषण से मुक्ति मिली।
सन 1930 में उन्होंने दो कानून पास करवाए। इन कानूनों में किसानों के कर्ज़ का निपटारा किए जाने उनके ब्याज और किसानों के मूलभूत अधिकारों से जुड़े हुए प्रावधान थे। साहूकार पंजीकरण एक्ट 1938 गिरवी जमीनों के मुक्ता वापसी एक्ट 1938 कृषि उत्पाद अधिनियम एक्ट 1938 व्यवसाय श्रम अधिनियम 19 40 कर्जा माफी अधिनियम 1934 कानून अधिनियम उल्लेखनीय है।
सर छोटू राम जी की प्रमुख सामाजिक कार्य Major Social Works by Chhotu Ram
गरीबी जमीनों के मुफ्त वापसी एक्ट 1938
यह कानून 9 दिसंबर 1938 को प्रभावी हुआ इस अधिनियम के जरिए 8 जून 1901 को जमीन कुर्की को बेची हुई थी और यही i37 सालों से गरीबी चली आ रही थी जो उन्होंने किसानों को वापस दिलाई। इस कानून के तहत एक कोरे कागज पर जिलाधीश को प्रार्थना पत्र देना पड़ा था। इस कानून में अगर मूल राशि का दोगुना दाम साहूकार प्राप्त कर चुका है तो किसानों को जमीन का पूरा अधिकार देने का प्रावधान किया गया।
कृषि उत्पाद मंडी अधिनियम 1938
यह अधिनियम 5 मई 1939 को प्रभावित माना गया इसके तहत नोटिफाइड एरिया में मार्केटिंग कमेटियों का गठन क्या गया एक कमिश्नर की रिपोर्ट के अनुसार किसानों को अपने फसलों का मूल्य एक रुपए से 60 पैसे मिल पाता था । किसानों को अनेक कठिनाइयों का सामना भी करना पड़ता था। आढ़त तुलाई, रुलाई, मुनिमेए, पल्लेदार और कितनी कटौती होती थी। इस अधिनियम के तहत किसानों को उसके फसलों का अधिक मूल्य देने का अधिनियम बना।
व्यवसाय श्रमिक अधिनियम 1940
यह अधिनियम 11 जून 1940 को लागू किया गया बंधुआ मजदूरी पर रोक लगाए जाने वाले इस अधिनियम ने मजदूरों के शोषण से आजाद कराई। मजदूरों को 1 दिन में 11 घंटे से ज्यादा काम नहीं दिया जाएगा। साल भर में 14 छुट्टियां दी जाएगी और 14 साल से कम उम्र के बच्चे से कोई भी कार्य नहीं कराई जाएगी। दुकान और व्यवसायियों रविवार के दिन बन्द रहेगी। छोटी-छोटी गलतियों पर किसानों के वेतन नहीं काटे जाएंगे।
कर्जा माफी अधिनियम 1934
यह क्रांतिकारी अधिनियम दीनबंधु छोटू राम ने 8 अप्रैल 1935 को किसानों व मजदूरों के सूदखोरों के चंगुल से मुक्त कराने के लिए यह अधिनियम बनाया। इस कानून के तहत यदि कर्जा का दुगुना पैसा दिया गया है तो ऋणी मुक्ति समझा जाएगा इस अधिनियम के तहत कर्जा माफी बनाए गए जिसमें एक चेयरमैन और 2 सदस्य होते थे।
दाम दपटा का नियम लागू किए गए इसके अनुसार दुधारी पशु, बछड़ा, ऊंट, आदि पशुओं के साथ रोकनीलामी नहीं की जाएगी। इस कानून के तहत अपील करता में एक दंतकथा बहुत ही प्रचलित थी।
लाहौर हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सर शादीलाल से एक अपील करता ने कहा कि मैं बहुत ही गरीब आदमी हूं मेरा घर और मेरा बैल कुर्की से माफ कर दिया जाए तब सर शादीलाल ने व्यंगात्मक शुरूसे कहा एक छोटू राम नाम का आदमी है वही ऐसा कानून बनाता है उसके पास जाओ और कानून बना कर लाओ अपील करता सर छोटू राम के पास आया और यह सभी कहानी सुनाएं। सर छोटूराम में कानून में ऐसा संशोधन करवाया कि उस अदालत की सुनवाई पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया और इस तरह सर छोटू राम इसका भी बहुत जबर्दस्त उत्तर दिया था।
अखबार का संपादक Editor in Newspaper
सर छोटू राम अखबार के संपादक थे और उन्होंने किसानों पर हुए अत्याचार और शोषण का भी प्रचार किया उन्होंने किसानों की जमीनों को गिरवी रखने और साहूकारों द्वारा किसानों को पीड़ित करने में आवाज़ उठाई। छोटू राम किसानों के पक्ष में ऐसे तिखे लेख लिखते थे कि उन्हें देश से निकालने का आदेश आ गया था। लेकिन उनकी हैसियत इतनी ऊंची थी की उनके खिलाफ लिए हुए फैसले को वापस लेना पड़ा।
मृत्यु Death
9 जनवरी सन 1945 को लाहौर में सर छोटूराम जी का निधन हो गया। उनके पार्थिव शरीर को उनके जन्म स्थान रोहतक ले जाया गया।उनका अंतिम संस्कार जाट हीरोज मेमोरियल एंगलो संस्कृत सीनियर सेकेंडरी स्कूल में किया गया था।
निष्कर्ष Conclusion
सर छोटूराम जी ने अपने जीवन में किसानों के अधिकार व उन पर होने वाले अत्याचार के खिलाफ ब्रिटिश शासन से लड़ाई की तथा किसानों को इन होने वाले अत्याचारों से मुक्त कराया सर छोटू राम एक बहुत ही साधारण व्यक्ति थे किंतु उन्होंने जो कार्य किए वहां असाधारण कार्य थे।