इस लेख में अंबेडकर जयंती पर भाषण (Speech on the Ambedkar Jayanti in Hindi) बेहद सरल रूप से दिया गया है| अगर आप अंबेडकर जयंती के उपलक्ष पर भाषण की तैयारी कर रहें हैं तो यह लेख आपकी बड़ी मदद कर सकता है|
डॉ. अंबेडकर जयंती Ambedkar Jayanti in Hindi
भारतवर्ष में समय-समय पर ऐसे महापुरुषों ने जन्म लिया है जिन्होंने सदियों से चलती आ रही विचारधाराओं को बदल कर रख दिया।ऐसे ही एक महापुरुष का नाम डॉक्टर भीमराव अंबेडकर है। जिन्होंने सदियों से चली आ रही मानसिकता को न सिर्फ चुनौती दी बल्कि उस बुराई को समाज से दूर करने का भरसक प्रयास किया।
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का जन्म14 अप्रैल सन 1891 को मध्यप्रदेश में हुआ था। जिनका बचपन बेहद गरीबी में गुजरा। 5 वर्ष की उम्र में उन्होंने अपनी माता जी को खो दिया और पिछड़े वर्ग से होने के कारण उच्च वर्ग के अमीर लोगों ने उन्हें अपमानित भी किया।
सभी कठिनाइयों के बावजूद बाबासाहेब अंबेडकर खुद को दिन-प्रतिदिन निखारते रहे, और इस काबिल बनाया कि वह पिछड़े वर्ग के लोगों को ऊंचा उठा सके। अंबेडकर जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने और धन्यवाद देने का रिवाज काफी वर्षों से चला रहे हैं।
इतनी तकलीफ के बावजूद उन्होंने पढ़ाई नहीं छोड़ी और मुंबई से B. A. की पढ़ाई पूरी की उसके बाद अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय में दाखिला लिया और वहीं पर उन्होंने मास्टर और पीएचडी की डिग्री प्राप्त की। वे यही नहीं रुके बल्कि उन्होंने अपनी वकालत पूरी की और सन 1923 में भारत वापस आये।
वकालत पूरी करने के बाद जब वे भारत आए तो उन्होंने देखा कि समाज का एक वर्ग बेहद दुखी और शोषित हैं और उन्होंने उन सभी के लिए सामाजिक कार्य करना शुरू किया। उन्हें शिक्षा का महत्व समझाया और अपने अधिकारों के लिए लड़ने तथा जाति व्यवस्था को मिटाने के लिए खड़े होने की अपील की।
उन्होंने जाति के उन्मूलन पर एक पुस्तक भी लिखी जिसमें उन सभी के बारे में चर्चा की जो जाति वर्ग के आधार पर भेदभाव से ग्रसित हैं।
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को भारतीय संविधान का जनक कहा जाता है। तमाम देशों में घूमने और वहां के संविधान को पढ़ने के बाद अंबेडकर जी ने उन सभी में से थोड़े-थोड़े संविधान मिलाकर भारत के संविधान का निर्माण किया।
शिक्षकों के लिए अंबेडकर जयंती पर भाषण Speech on Ambedkar Jayanti for Teachers in Hindi
माननीय मुख्य अतिथि, आदरणीय प्रधानाचार्य, मेरे शिक्षक साथियों तथा विद्यार्थी मित्रों आप सभी को श्री अंबेडकर जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं।
हम सभी आज अंबेडकर जयंती पर एकत्रित हुए हैं। ठीक आज के ही दिन सन 1891 में एक महान आत्मा ने धरती पर जन्म लिया। सभी महापुरुषों की तरह उन्होंने भी कठिनाई को चुना ताकि सभी के लिए एक आदर्श पेश कर सकें।
मित्रों हम किसी भी महापुरुष के जीवन को उठा कर देख लें तो उन सभी में से आपको एक चीज कॉमन मिलेगी वह है कि उन सभी के जीवन में कदम कदम पर संघर्ष का होना और उन्होंने किसी भी संघर्ष के आगे घुटने नहीं टेके।
भारत रत्न से सम्मानित बाबासाहेब के जीवन में भी कठिन संघर्ष था। दोस्तों हम जब संघर्ष का नाम लेते हैं तो हमारे मन में एक छवि बनती है की उच्च वर्ग हमेशा निम्न वर्ग का शोषण करता है और उच्च वर्ग को समाज में रहने का कोई हक नहीं है।
दोस्तों हर काल में ऐसे लोग हुए हैं जो खुद को ऊंचा और दूसरों को हेय समझते हैं। महाभारत काल को उठाकर देखें तो कर्ण और एकलव्य का उदाहरण लिया जा सकता है। इसका यह अर्थ नहीं की हर कोई ही जाति वर्ग भेदभाव का पक्षधर था।
जहां समाज में छुआछूत भेदभाव के अनेकों उदाहरण मौजूद हैं वहां पर भगवान श्री राम और श्री कृष्ण जैसे उदाहरण भी मौजूद हैं जो सभी को समरसता का पाठ पढ़ाते हैं लेकिन इंसानी दिमाग सिर्फ अपने स्वार्थ के बारे में ही सोचता है।
लेकिन बाबासाहेब एक ऐसे उदाहरण हैं जो निम्न वर्ग से विकसित होने के बावजूद भी किसी के प्रति कोई हेय भावना नहीं रखी। उन्होंने कभी किसी वर्ग से बदले की भावना नहीं रखी। उन्होंने सभी जाति धर्म प्रांत संप्रदाय के लोगों के लिए एक संविधान बनाया।
दोस्तों मेरी बात आपको थोड़ी अटपटी जरूर लग सकती हैं लेकिन आज मैं बाबासाहेब के जीवन से प्रेरित होकर अपने ह्रदय की बात रखना चाहता हूं।
कितने ही लोग बाबासाहेब के धर्म पर टीका टिप्पणी करते हैं। इस दुनिया में एक ही धर्म है वह है सनातन धर्म और बाकी के धर्म सनातन की शाखाएं मात्र हैं।
मित्रों वाहन जितना पुराना हो जाता, तो लोग उसमें अपने हिसाब से तरह-तरह के बदलाव करने लगते हैं ठीक ऐसे ही हम मनुस्मृति के बारे में कह सकते हैं। बाबासाहेब ने मनुस्मृति को जलाया था जिसका कारण उन्हीं मिलावटी तत्वों को दूर करना था।
बाबासाहेब कभी भी सनातन धर्म के विरोधी नहीं रहे उन्होंने हमेशा ही सनातन धर्म की कमियों को उजागर किया और अच्छाइयों को ग्रहण किया।
हम सभी बुद्धम शरणम गच्छामि को चरितार्थ करते हैं। भगवान बुद्ध भी वेदों शास्त्रों से प्रेरित होकर उसे एकदम सरल भाषा में लोगों के लिए उपलब्ध कराया क्योंकि वेद सामान्य बुद्धि के लिए थोड़ी कठिन है और बुद्ध कठिन चीजों को सरल करते हैं।
मित्रों बाबासाहेब के पास बहुत से विकल्प थे वह चाहते तो इस्लाम धर्म या ईसाई धर्म को अपना सकते थे लेकिन उन्होंने सनातन की शाखा बौद्ध धर्म को ही क्यों चुना? यह उन सभी विरोधियों को एक सटीक जवाब हो सकता है|
आज हम सभी बाबासाहेब के जन्मदिन पर उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दें और जिसका एकमात्र तरीका है कि हम उनके बताए हुए मार्ग और सिद्धांतों को अपनाएं।
बाबासाहेब ने भारत के लिए जो स्वप्न देखा उसमें जाति धर्म नस्ल के भेदभाव का कोई स्थान नहीं है उन्होंने हर इंसान के लिए समान अधिकार की बात की ।
दोस्तों कई साथी आरक्षण पर तर्क-कुतर्क करते पाए जाते हैं। बाबासाहेब ने आरक्षण के रूप में निम्न वर्ग को एक जीवन प्रदान किया था लेकिन उन्होंने साथ में यह भी कहा था कि इस आरक्षण को सिर्फ 10 वर्षों के लिए जारी रखा जाए|
अगर इसे राजनीतिक रंग देकर ज्यादा दिन चलाया गया तो समाज से सदभावना खत्म हो जाएगी।
उन्होंने यह भी कहा की दलित और पिछड़ों का विकास तभी संभव हो पाएगा जब वे अपने पैरों पर खड़े हो जाएंगे और उन्हें किसी भी आरक्षण की जरूरत नहीं पड़ेगी। लेकिन कुछ राजनीतिक पार्टियां देश और सामाजिक सद्भाव से दूर होकर हेय कार्य करती रही।
दोस्तों बाबा साहब ने शिक्षा को प्राथमिकता देने के लिए अपनी एडी चोटी का जोर लगा दिया और स्त्री शिक्षा तथा स्त्री सशक्तिकरण पर बेहद जोर दिया।
बाबासाहेब एक महान कद के व्यक्ति थे जिन्होंने भारतीय संविधान और भारतीय कृषि औद्योगिक प्रगति साथ ही भारतीय रिजर्व बैंक की नींव रखी
तो आइए हम भी भारतवर्ष के विकास का सपना देखें और एकमत होकर ऐसी सत्ता का साथ दें जो हमारे धर्म, किसान, सेना और सबका विकास में भरोसा रखती हो।
बाबा साहेब की आखरी पंक्ति के साथ मैं अपनी बातों को विराम देना चाहूंगा कि शिक्षा ही ऐसा शस्त्र है जो हमें विजयी बना सकता है।
जय हिन्द, जय भीम
विद्यार्थियों के लिए अंबेडकर जयंती पर भाषण Speech on Ambedkar Jayanti for students in Hindi
माननीय मुख्य अतिथि, प्रधानाचार्य, आदरणीय शिक्षक गण तथा मेरे विद्यार्थी साथियों। जय हिंद के साथ मैं आप सभी को अंबेडकर जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं।
हर साल हम 14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती मनाते हैं और विशेष व्यक्तित्व श्री भीमराव अंबेडकर को याद करते हैं जिन्होंने भारतवर्ष के लिए अपना योगदान दिया है।
इस भारत भूमि पर देवता, देवात्मा और महापुरुषों ने जन्म लिया। इसलिए बाबासाहेब अंबेडकर कहते थे की भारत माता यह देव माता है।
14 अप्रैल सन 1891 को एक महामानव ने जन्म लिया। जिनका शुरुआती जीवन इतना कठिनाइयों से भरा था जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते।
उन्होंने अपनी एक दिन के जीवन के लिए भी बेहद संघर्ष किया। उन्होंने गरीबी से, भूख से, छुआछूत से हमेशा संघर्ष किया।
जब समाज का एक वर्ग अज्ञानता के कारण अपनी मूलभूत अधिकारों से दूर होता चला गया तो बाबासाहेब आगे आए और उन्होंने सभी को समानता का पाठ पढ़ाया।
हम आज बाबासाहेब अंबेडकर को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए एकत्रित हुए।
जिनका पूरा नाम भीमराव रामजी अंबेडकर था और जन्म मध्य प्रदेश के महो में हुआ। इनके पिता रामजी मालोजी सकपाल थे और मां भीम भाई जी और लोग उन्हें प्यार से बाबा साहब के नाम से बुलाते थे।
5 वर्ष की उम्र में उनके सिर से मातृत्व सत्ता का आवरण छिन गया और संघर्षों की संख्या बढ़ गई। बाबासाहेब अंबेडकर को हर वर्ग के लोग अपना आदर्श मानते हैं चाहे वह उच्च वर्ग के हो चाहे वह निम्न वर्ग के।
दोस्तों बाबासाहेब ने कभी भी सत्ता या पद के लिए काम नहीं किया। अंग्रेजों ने उन्हें बहुत से पद और प्रतिष्ठा का लालच दिया लेकिन उन्होंने भारत वासियों और भारत भूमि के लिए उन्हें ठुकरा दिया।
जब गरीबी और छुआछूत अपने चरम पर था तो बाबासाहेब ने भीड़ से ऊपर उठकर ज्ञान अर्जन पर जोर दिया| उनका मानना था की ज्ञान से किसी लड़ाई को जीता जा सकती है।
उन्होंने मुंबई से b.a. की पढ़ाई पूरी की उसके बाद एमए और पीएचडी अमेरिका से किया वे यही नहीं रुके उन्होंने अपनी वकालत पूरी की और सन 1923 में भारत लौट आए।
जिन तकलीफों से वे कभी गुजरे थे अब उन्होंने उन पर पूरी तरह से काम करना शुरू किया और उन्हें समाज से उखाड़ फेंकने का प्रण लिया यही कारण है कि पूरी दुनिया के लोग बाबासाहेब अंबेडकर को सलाम करते हैं।
बाबासाहेब ने खुद को किसी भी धर्म संप्रदाय से ऊंचा उठाकर एक इंसान माना। बाबासाहेब का मुख्य काम भारतीयों में एकता की भावना जागृत करना था।
आज समारोह पर इतनी बड़ी संख्या में आए आप सभी लोगों को देखकर यह लगता है कि कहीं ना कहीं बाबासाहेब का सपना पूरा हुआ।
बाबासाहेब कहते थे की भारत पूरी तरह से तब आजाद होगा जब वह गरीबी बेरोजगारी और छुआछूत से मुक्त होगा। बाबासाहेब की ही देन है कि आज हर इंसान एक समान है सभी के लिए एक ही संविधान है।
भारत में उनकी उपलब्धियों के लिए भारत का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न उन्हें दिया गया।इसके अलावा दिल्ली के 26 अलीपुर रोड स्थित उनके घर पर उनकी स्मृति स्मारक भी बनवाई गई।
आइये हम सब मिलकर बाबासाहेब अंबेडकर की जयंती पर अपने देश अपने राष्ट्र के लिए समर्पित होने की भावना को जगाए।
क्योंकि अगर मैं ऐसे ही उनकी उपलब्धियों को गिनाते रहूं तो मुझे महीनों लग जाएंगे और उनकी प्रशंसा के लिए हमारे पास शब्द कम पड़ जाएंगे।
आइए हम सब बाबासाहेब के सपनों को आगे बढ़ाते हैं और किसी भी प्रकार के भेदभाव को दूर कर एक सुशिक्षित और संगठित राष्ट्र बनाते हैं।
जय हिंद, वंदे मातरम, जय भीम
डॉ. अंबेडकर जयंती के 10 नारे Ambedkar jayanti slogans in Hindi
- किसी भी कौम का विकास उस कौम की महिलाओं के विकास से मापा जाता हैं
- जीवन लम्बा नहीं महान होना चाहिए। इंसान जाति से नहीं कर्म से प्रधान होना चाहिए
- जिसने हमें जीना सिखाया, जिसने हमें अधिकार दिलाया। आओ सब एक दीप जलाएं बाबा को हम शीश नमाएँ।
- दलित-पिछड़ों को उनका अधिकार दिलाया, बाबा साहब ने देशहित के लिए संविधान बनाया।
- बाबा साहब हमारे देश के संविधान निर्माता, दलित-पिछड़ो के भाग्य विधाता।
- जन-जन तक पहुंचाओ यह पुकार, बाबा साहब के दलित उत्थान सपने को करो साकार।
- गरज उठे गगन सारा,
समुन्दर छोडें आपना की नारा
हिल जाए जहान सारा,
जब गूंजे “जय भीम” का नारा। - कुरान कहता है मुसलमान बनो
बाइबल कहता है ईसाई बनो
लेकिन मेरे बाबासाहेब का
संविधान कहता है मनुष्य बनो - नजरो में नजारा देखा,
ऐसा नजारा नहीं देखा,
आसमान में जब भी देखा
मेरे भीम जैसा सितारा नहीं देखा… - आज का दिन है बड़ा महान,
बनकर सूरज चमका इक इंसान,
कर गये सबके भले का ऐसा काम,
बना गये हमारे देश का संविधान।
निष्कर्ष Conclusion
इस लेख में आपने अंबेडकर जयंती पर भाषण (Speech on Ambedkar Jayanti in Hindi) पढ़ा आशा है यह लेख आपको पसंद आया हो। अगर यह लेख आपको सहायक लगा हो तो इसे शेयर जरुर करें।