गांधी जयंती पर भाषण Speech on Gandhi Jayanti in Hindi

इस लेख में हमने गांधी जयंती पर भाषण (Speech on Gandhi Jayanti in Hindi) बेहद आकर्षक रूप से लिखा है। अगर आप महात्मा गांधी जी की जयंती पर भाषण खोज रहे हैं तो यह लेख आपके लिए बेहद मददगार साबित हो सकती है। इस लेख में विद्यार्थियों तथा शिक्षकों के लिए गांधी जयंती पर भाषण बेहद सरल रूप में दिया है। 

भारतवर्ष का इतिहास बेहद गौरवपूर्ण रहा है। जहाँ एक तरफ यहां श्री राम तथा श्री कृष्ण जैसे देवताओं ने अवतार लिया। वहीँ दूसरी तरफ ऐसे महामानवों ने भी जन्म लिया जिन्हें भगवान की श्रेणी में ही रखा जाता है। भारत का इतिहास किसी और देश के इतिहास से सदा ही उज्जवल रहा है।

इस धरा पर सम्राट विक्रमादित्य, महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी जैसे देवमानव तथा भगत सिंह, सुभाषचंद्र बोस और आज़ाद जैसे क्रांतिकारी हुए हैं। एक तरफ जहां सीता-सावित्री जैसी महान देवियाँ यहां अवतरित हुईं वहीं दूसरी तरफ रानी लक्ष्मीबाई-जीजाबाई जैसी वीरांगनाओं ने इस भारत भूमि का गौरव बढ़ाया।

उन्नीसवी सदी के शुरुवात में महात्मा गांधी नामक एक इंसान ने अंग्रेजी हुकूमत को सोचने पर मजबूर कर दिया था। जिन्हें आगे जाकर महात्मा तथा अहिंसा का पुजारी कहा जाने लगा। जिन्होंने भारत की आज़ादी में अपना बहुमूल्य योगदान दिया। 

गांधी जयंती पर विद्यार्थियों के लिए भाषण Speech on Gandhi Jayanti for Students in Hindi 

माननीय मुख्य अतिथि, प्रधानाचार्य, शिक्षकगण तथा मेरे विद्यार्थी मित्रों आप सभी को गांधी जयंती की शुभकामनाएं।

आज हम सभी पूज्य बापू की जयंती पर एकत्रित हुए हैं। जिन्होंने अपने शस्त्र के रूप में एक लाठी और शास्त्र के रूप में अहिंसा के माध्यम से आज़ादी में अपना योगदान दिया।

2 अक्टूबर 1869 के दिन करमचंद और पुतलीबाई के यहां जन्म लेने वाले महामानव मोहनदास का शुरुआती जीवन बेहद सामान्य गुजरा। लेकिन सत्य के प्रति उनका झुकाव बेहद कम उम्र में हो गया था।

कहते हैं की किसी भी समाज का आईना उनके साहित्य होते हैं। उस वक़्त के संगीत और फ़िल्में सात्विक हुआ करती थी। इसी कारण मोहनदास के जीवन पर “राजा हरिश्चंद्र” के जीवन पर बनी फिल्म ने बहुत गहरा प्रभाव छोड़ा।

 हर इंसान से गलती होती है। कुसंगति के कारण मोहनदास गांधी भी गलत मार्ग पर चल पड़े लेकिन उनकी अंतरात्मा ने उन्हें अनुशासित किया और उन्हें प्रायश्चित का मार्ग सुझाया।

आज जिन्हें हम महात्मा गांधी के नाम से जानते हैं, उनकी इस ख्याति के पीछे उनके वर्षों का संघर्ष है। चाहे वह अपनी भूल का पश्चाताप हो या लोगों को अहिंसा के मार्ग पर ले जाना। सभी के पीछे उन्होंने बहुत कष्ट सहा और एक मिसाल कायम की।

महात्मा गांधी जी ने शिक्षा को बहुत ही ज्यादा महत्व दिया। वे कहते थे की हर लड़ाई को शिक्षा के माध्यम से जीता जा सकता है। उनके इस बात के पीछे सिर्फ डिग्री वाली शिक्षा नहीं बल्कि वह जरुरी ज्ञान है, जिसके माध्यम से दुनियाँ बदली जा सकती है।

इस ज्ञान को पहले उन्होंने खुद पर और अपने परिवार पर आजमाया। इसे हम एक घटना से देख सकते हैं की जब बापू आफ्रिका में रहते थे और कस्तूरबा जी और उनके बेटे उनके साथ रहते थे तब वे कस्तूरबा को जरुरी अक्षर ज्ञान करवाते थे और बच्चों को उचित शिक्षा देते थे।    

आफ्रीका में हक की लड़ाई लड़ने के बाद वे भारत आए तो एक विदेशी बाबू की तरह सोने के बटनों वाले कोट-पैंट पहनकर बापू जब भ्रमण करने निकले। कुछ दूर जाकर उन्होंने गरीबी की पराकाष्ठा देखी। उन्होंने देखा की एक स्त्री अपनी साड़ी के दो टुकड़े कर एक को धारण कर दुसरे को सुखा रही है।

उसके प्रयासों और गरीबी के मिश्रण को देख बापू का हृदय द्रवित हो उठा और उन्होंने आजीवन एक धोती को पहनने का प्राण लिया। जिसका पालन उन्होंने जीवन भर किया। उनका मानना था की जब तक भारत गरीबी और अशिक्षा से मुक्त नहीं होगा तब तक पूर्ण आज़ाद नहीं हो सकता।

बापू का जन्म बहुत छोटे शहर में हुआ था लेकिन उनके काम दुनिया में सर्वश्रेष्ठ हैं। उनकी ख्याति को पूरे विश्व में फैलने से कोई नहीं रोक सका। वह एक ऐसे व्यक्ति थे जो अहिंसा के मार्ग पर चलकर भारत को आजादी दिलाने में भरोसा रखते थे। 

चंपारण, सत्याग्रह, असहयोग आंदोलन, दांडी सत्याग्रह, दलित आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन उनके कुछ प्रमुख आंदोलन ने जिन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य की नींव कमजोर करने में बड़ा रोल अदा किया। 

वह अहिंसा के पथ-प्रदर्शक थे, उनके अनुसार ब्रिटिश शासन से आजादी प्राप्त करने का यही एकमात्र असरदार तरीका है। बापू एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने भारत की आजादी के संघर्ष में अपना पूरा जीवन दे दिया।

भारतीयों के असली दर्द को महसूस करने के बाद, उन्होंने गोपाल कृष्ण गोखले के साथ कई सारे आंदोलनों में भाग लेना शुरू कर दिया। असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा और भारत छोड़ो आंदोलन वे अभियान है जो उन्होंने भारत की आजादी के लिये चलाये थे। 

वह कई बार जेल गये लेकिन कभी अपना धैर्य नहीं खोया और शांतिपूर्वक अपनी लड़ाई को जारी रखा। बापू का पूरा जीवन (वर्तमान और भविष्य की पीढ़ी के लिये) देशभक्ति, समर्पण, अहिंसा, सादगी और दृढ़ता का आदर्श उदाहरण है।

मैं अपने भाषण के अंतिम पंक्तियों में अपने अंतर्मन के भाव प्रकट करना चाहूँगा। महात्मा गांधी जी ने बहुत सी बातें कही थी। जिनका सिर्फ राजनीतिकरण होकर रह गया। कुछ छद्म राजनीतिज्ञों ने महात्मा गांधी के नाम और ख्याति का उपयोग सिर्फ सत्ता पाने भर के लिए किया है।

अगर बापू के सपनों का भारत बनाना है तो हम युवाओं को एक सम्मत होना पड़ेगा। राजनीति में ऐसे लोगों को चुनना पड़ेगा जिनकी सोच परिवारवाद तथा भाई भतीजावाद से ऊपर हो। जो राष्ट्र के बारे में पहले सोचें।

धन्यवाद, वन्देमातरम 

गांधी जयंती पर शिक्षकों के लिए भाषण Speech For Teachers on Gandhi Jayanti in Hindi

माननीय मुख्य अतिथि, प्रधानाचार्य, शिक्षक तथा विद्यार्थी साथियों। वन्देमातरम सह आप सभी को गांधी जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं।

आज हम सब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती के उपलक्ष पर एकत्रित हुए हैं। विद्यालय शासन को धन्यवाद देता हूँ की आज इस पवित्र उपलक्ष पर इस कार्यक्रम का आयोजन किया तथा आदरणीय मुख्य अतिथि गण को मैं विशेष धन्यवाद देता हूँ की आप अपने व्यस्त कार्यक्रम में से समय निकाल कर हमारे उत्साह को बढ़ाने हमारे बीच आये।

दोस्तों! भारत भूमि पर जन्म लेना यह बड़े भाग्य की बात होती है। क्योंकि भारत को देवभूमि कहा जाता है। भारत भूमि पर समय-समय पर देवात्माओं ने जन्म लिया।

सतयुग से लेकर कलयुग तक देवासुर संग्राम चलता रहा है। पुरातन काल में श्री राम और श्री कृष्ण जैसे ईश्वर अवतारी सत्ता ने धरती की रक्षा की। उसके बाद तमाम देव सत्ताएँ धरती पर आई और इस देवभूमि को पवित्र कर अपने लोक चली गईं।

भारतवर्ष को सोने की चिड़िया इसलिए कहा जाता था की भारतवर्ष सर्वगुण संपन्न था। इसी संपन्नता की प्राप्ति का लालच लेकर पहले मुगल आए उसके बाद अंग्रेज।

मुगल काल में कुछ देव आत्माओं ने जन्म लिया है जैसे कि महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी इत्यादि। जिन्होंने लुटेरों की नियत को कभी पूरा नहीं होने दिया।

अंग्रेजों के समय सुभाष चंद्र बोस, चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह, महात्मा गांधी जैसे लाखों क्रांतिकारियों ने भारत भूमि को स्वतंत्र कराने के लिए अपनी आहुति दी।  

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर सन 1869 के दिन पोरबंदर में हुआ था। पिता करमचंद जो दीवान थे। माता पुतलीबाई जो बेहद धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थी।उनके सदकर्मों का ही नतीजा था की उनके यहां महात्मा गांधी जैसे महामानव पैदा हुए।

मोहनदास नाम के जो बचपन में एक बेहद कमजोर और भीरु स्वभाव के थे उन्होंने अपने प्राणशक्ति के बल पर पूरे भारत की मानसिकता बदल कर रख दी थी। लेकिन उनके मोहनदास से महात्मा गांधी तक के सफर में अनेकों कठिनाइयां आई।

बापू का बचपन हमारी तरह ही बेहद सामान्य गुजरा। राजा हरिश्चंद्र के जीवन पर बनी फिल्म ने उन्हें सत्य का बोध दिया। जिसका प्रयोग वे जीवन पर्यंत करते रहे।

उनके सत्य के प्रयोग में उनके बचपन का प्रायश्चित एक अप्रतिम उदाहरण है। जब बचपन में कुसंगति में फस कर उनसे कुछ गलतियां हुई, तो उन्होंने अपने पिता से पत्र के द्वारा माफी मांगी और प्रायश्चित किया।

महात्मा गांधी सन 1900 की शुरुआत में भारतीय प्रवासी बनकर वकालत करने दक्षिण अफ्रीका गए थे। फिर पहले विश्व युद्ध तक भारत और भारतीयों के हक के लिए लड़ने वाले नेतृत्व बनकर उभरे।

वैसे तो बापू शुरुआत से ही शालीन और सादा जीवन व्यतीत करते थे लेकिन विदेश से वकालत की पढ़ाई पूरी कर भारत लौटे तो यहां की परिस्थिति देखकर उनकी अंतरात्मा बेहद व्यथित हुई।

दोस्तों एक मशहूर कविता है की “औरों के हित जो जीता है औरों के हित जो मरता है। उसका हर आंसू रामायण प्रत्येक कर्म ही गीता है”। इस कविता को चरितार्थ होते हुए हम महात्मा गांधी जी के जीवन को देख सकते हैं।

विदेश से लौटने के बाद उन्होंने जीवन पर्यंत धोती पहनने का प्रण लिया। उसके बाद अनेकों आंदोलन उन्होंने किए जिसमें उनका मुख्य हथियार “अहिंसा” था। ऐसे अनेकों समय आए जब अंग्रेजी हुकूमत ने उन्हें कुचल देना चाहा लेकिन उनके तेज और प्रतिज्ञा के आगे उनकी एक भी ना चली।

क्या आपको पता है कि बापू शिक्षा को इतना महत्व क्यों देते थे? दोस्तों बापू का मानना था की इतिहास से ज्ञान, वर्तमान की शैली और भविष्य का अंदाजा शिक्षा के माध्यम से ही लगाया जा सकता है। 

शिक्षा का मतलब सिर्फ डिग्री प्राप्त करना नहीं बल्कि समाज,परिवार तथा स्वयं के लिए उचित ज्ञान अर्जन करना होता है इसका बोध बापू ने ही सबसे पहले दिया था।

बापू के अंदर ऐसी शक्ति थी कि वे जिस रास्ते पर चलते हजारों लोग उनके साथ जुड़ जाते। अपनी आत्मीयता और अनुशासन के दम पर उन्होंने जनसैलाब को इकट्ठा किया और अहिंसा के माध्यम से अंग्रेजी हुकूमत को उखाड़ फेंकने का ताना-बाना रचा।

इतने महान व्यक्तित्व के धारक श्री मोहनदास करमचंद गांधी जी के जीवन से अनगिनत सीख मिलती है लेकिन कहीं ना कहीं कुछ ऐसे सवाल भी हैं जिनका उत्तर कोई नहीं देना चाहता।

शायद इसी कारण से किसी ने उनकी हत्या कर दी और उसी सवाल को सीढ़ी बनाकर कुछ राजनीतिक पार्टियां भारत पर मालिकाना हक दर्शाने लगी थी। कुछ राजनीतिक पार्टियां आंदोलन में शहीद हुए लाखों क्रांतिकारियों की अवहेलना कर सिर्फ बापू के नाम पर राजनीति कर रहे हैं।

महात्मा गांधी जी ने कहा था कि सत्य परेशान हो सकता है पर पराजित नहीं हो सकता। इसलिए आज उन तथाकथित राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टी का वजूद समाप्त हो रहा है और देश बापू के स्वप्न को साकार करने की ओर अग्रसर हो रहा है।

बिना तुष्टीकरण की पोटली को खोले कुछ प्रश्न मेरे भी हैं की “क्या जब बात वजूद तथा धर्म की हो तब वहां अहिंसा का राग अलापना सही होगा”? अगर अहिंसा में इतनी ही शक्ति है तो भगवान राम ने रावण के खिलाफ तथा भगवान श्री कृष्ण ने कौरव के खिलाफ महाभारत में “अहिंसा आंदोलन” क्यों नहीं किया।

खैर हर सिक्के के 2 पहलू होते हैं हम बापू के जीवन से मिल रही सकारात्मक सीखो को आत्मसात करने का प्रयास करें। अपने इन्हीं बातों के साथ अपने भाषण को मैं यहीं विराम देना चाहूंगा। जय हिंद, वंदे मातरम।

गांधी जयंती पर शायरियां Poets on Gandhi Jayanti in Hindi

अहिंसा का पुजारी,
सत्य की राह दिखाने वाला,
ईमान का पाठ पढ़ा गया हमें,
वो बापू लाठी वाला

जब महात्मा गांधी का जन्म दिवस आता हैं,
हृदय शत-शत नमन करने को झुक जाता हैं

सत्य अहिंसा का था वो पुजारी,
कभी ना जिसने हिम्मत हारी,
साँस दी हमें आजादी की,
जन जन है जिसका बलिहारी।

सत्य-अहिंसा की ताकत समझे और दुनिया को समझाएं,
आपको सपरिवार गांधी जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं.

जग में जिया है कोई तो बापू तू ही जिया 
तूने वतन की राह में सब कुछ लुटा दिया 
माँगा न कोई तख्त न कोई ताज भी लिया 
अमृत दिया तो ठीक मगर खुद ज़हर पिया

गांधी जयंती पर नारे Slogans on Gandhi Jayanti in Hindi

  1. आओ मिलकर 2 अक्टूबर को गांधी जयंती मनाये, साथ मिलकर अपने बापू के सपनो का भारत बनाये।
  2. दिन सुरमयी देशभक्ति का यह स्वर, आज आ गया है गांधी जयंती का अवसर।
  3. ऐनक, धोती और लाठी है जिसकी पहचान, वो है हमारे बापू महात्मा गाँधी महान।
  4. इस 2 अक्टूबर नये-नये तुम गीत गाओ, ज़्यादा कुछ नही तो बस अहिंसा के गुण को अपनाओ।
  5. कहकर नहीं करके दिखाया है जिस स्वतंत्र भूमि पर हम खड़े है, उसके लिए महात्मा गांधी जैसो ने अपना सर्वस्व लुटाया है।

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में आपने गांधी जयंती पर भाषण हिंदी (Speech on Gandhi Jayanti in Hindi) में पढ़ा। आशा है यह लेख आपको पसंद आया हो। अगर यह लेख आपको अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें।

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